मेरे पापा ने मुझसे कहा कि मैं तोय बड़ी बहन के घर छोड़ आता हूं। और मुरैना लाकर दलवीर गुर्जर के घर मुरैना छोड़ गए। दलवीर मुझसे गोबर, कूड़ा डलवाता और झाड़ू के साथ बर्तन भी मजवाता था। मम्मी की याद आई तो मैं प्रतापपुरा के घर से बाहर निकल आई जहां दो लोगों ने मुझे रिठौरा थाने पहुंचा दिया।
यह दर्दभरी दास्तां 9 साल की बालिका ने बाल कल्याण समिति को सुनाई। रिठौरा पुलिस ने घटित अपराध को लेकर बालिका खरीदने व बेचने के आरोपी दो लोगों के खिलाफ मानव तस्करी का मुकदमा दर्ज कर उनको जेल भेज दिया है। बालिका ने समिति सदस्य को बताया कि उसके पिता ने दूसरी जनी कर रखी है।
उसके बाद भी पिता घर पर नहीं रहते हैं। घर पर वह अपनी मां, दादी व भाई बहनों के साथ रहती है। उसकी बड़ी बहन का विवाह हो चुका है। 6 जून को उसके पिता ने कहा कि ताेये बड़ी बहन के घर छोड़ आता हूं और मोय मुरैना में दलवीर गुर्जर के घर छोड़ गए। वहां दलवीर की जनी के अलावा लड़का कान्हा व लड़की किन्नू भी किराए के मकान में रहते हैं।
बाद में दलवीर मुझे प्रतापपुरा के घर में छोड़ गया। दलवीर के बच्चे मुझे मारते भी थे। 24 जून की दोपहर में मुझे मां की याद आई तो मैं घर से निकल आई। दरअसल सतनवाड़ा के सहरिया आदिवासी एक व्यक्ति ने अपनी 9 साल की बेटी को सवा लाख रुपए में प्रतापपुरा के दलवीर गुर्जर को बेच दिया। पेशगी के रूप में 25 हजार रुपए देने की बात थी।
एक लाख रुपए बालिका के बालिग होने पर देने का करार हुआ था। दलवीर से 5000 रुपए लेने के 20 दिन बाद बालिका का पिता शेष 20 हजार की किस्त लेने आया तो पुलिस ने क्रेता व विक्रेता दोनों के खिलाफ मानव तस्करी समेत बच्चों की देखभाल व संरक्षण अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध कर दोनों आरोपियों को दबोच लिया।
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