श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर इटारसी में आयोजित ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिवस में श्री चित्रकूट धाम से आए भागवत रत्न आचार्य नवलेश दीक्षित के कृष्ण जन्म की कथा के माध्यम से नाम जप की महिमा का बड़ा सुंदर बखान किया, और कहा कि हर व्यक्ति को भगवान के नाम से ही जुड़ना चाहिए। मुख्य यजमान राज मिश्रा एवं पूजा मिश्रा ने पूजा-अर्चना की।
आचार्य नवलेश दीक्षित ने कहा कि भगवान का नाम कैसे भी लिया जाए हर रूप में कल्याणकारी होता है। गज ही जीव है और ग्राह ही काल है। सरोवर ही संसार है जीवन जब सरोवर रूपी संसार में अत्यधिक आकर्षित हो जाता है। जब ग्राह रूपी काल जीव रूपी हाथी का पैर पकड़ता है। तब जीव अपनी हर प्रकार की शक्ति मृत्यु से बचने के लिए लगाता है और जब जीव हर प्रकार से हार जाता है तब जीव अंत में भगवान को याद करता है। उसी समय भगवान अपने भक्त का कष्ट हरण करने के लिए हरि अवतार धारण करते हैं।
सप्तम स्कन्ध की कथा के क्रम में आचार्य श्री ने भक्त प्रहलाद की बड़ी ही सुंदर कथा का वर्णन किया। भक्ति का ज्ञानोपदेश प्रहलाद द्वारा अपने पिता हिरण्यकश्यप को दिया। भक्ति का लाभ बताते हुए आचार्य श्री ने कहा कि इस प्रकार की भक्ति में मनुष्य के अंदर अगर भक्ति आ जाये तो प्राणी का कल्याण हो जाएगा। कथा में भगवान के जन्म पर बोलते हुए आचार्य श्री नेभक्तों के मध्य पहले श्री राम जन्म एवम अंत मे भगवान श्री कृष्ण जन्मकी कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि जब जब अधर्म भरता है तब तब प्रभु अवतार लेते हैं द्वापर में कंस के आतंक से मुक्ति के लिए प्रभु ने जन्म लिया एवं ग्वाल वालों को सुरक्षित किया ।
भगवान कृष्ण के जन्म के समय की सजीव झांकी बनाई गई मक्खन दूध एवं घी मिश्री का प्रसाद वितरण किया गया बच्चों को खिलौने वितरित किए गए। कृष्ण जन्म के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक डॉ सीतासरन शर्मा ने आचार्य श्री का पुष्पा हार से स्वागत किया।
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