निजी बस संचालक नियमों के खिलाफ बसें चला रहे हैं। वे नीमच से रतलाम-इंदौर तक का बोर्ड लगाकर बस में सवारियों को बैठा रहे हैं लेकिन मंदसौर से पहले ही उन्हें उतारकर दूसरी बसों में चढ़ा देते हैं। इसमें उन्हें जगह मिलेगी इस पर भी संशय रहता है। यात्री जगह के चक्कर में दौड़ लगाकर दूसरी बस में अपनी जगह तय करते हैं।
इन सबके बीच अगर काेई यात्री विरोध करता है ताे बीच जंगल में उसे किराया वापस करने की धमकी दी जाती है। मजबूरन यात्री काे दूसरी बस में खड़े-खड़े सफर करना पड़ता है। इस तरह आपसी सांठगांठ से बस संचालकों द्वारा यात्रियों को परेशान किया जा रहा है।
यह सब भी यहीं नहीं थमता, बस में क्षमता से अधिक यात्रियों के साथ सामान भी भरा जाता है। ये बसें हादसों को न्योता दे रही हैं। परिवहन विभाग भी पूरे मामले में लापरवाह बना हुआ है। अधिकारियों को शिकायत के लिए फोन लगाते हैं तो वे रिसीव तक नहीं करते।
नीमच सहित मंदसौर, रतलाम जिलों में लोग निजी बस संचालकों की मनमानी से परेशान हैं। लंबे समय से बस संचालक लंबी-लंबी दूरी के बोर्ड लगाकर सवारियों को बैठा लेते हैं, फिर दूसरे शहरों में या बीच जंगल में उनका इंतजार कर रही दूसरी बसों में यात्रियों को बैठा देते हैं। बस संचालक यह कार्य शहरों के बाहर रोड पर करते हैं।
इससे यात्री विरोध भी नहीं कर पाते और उनकी यह करतूत प्रशासन तक भी नहीं पहुंच पाती है। उदाहरण के लिए नीमच से साेमवार दोपहर में करीब 1.30 बजे चलने वाली कोठारी बस एमपी 44 आर 1189 में नीमच से रतलाम तक का बोर्ड लगा रहता है।
इसके बाद दोपहर 2.31 बजे मंदसौर रोड पर टाेल से पहले एक चाय की होटल पर राैनक बस नीमच से निकलने वाली कोठारी बस का इंतजार करती रहती है। यहां पर कोठारी बस से रतलाम तक के यात्रियों को उतारकर राैनक बस में बैठा दिया जाता है।
इसी तरह रतलाम, जावरा व सैलाना से दोपहर 12 से 3 बजे तक चलने वाली कई बसों के संचालक नीमच, चित्ताैड़गढ़, निंबाहेड़ा, भीलवाड़ा तक की सवारी बैठा लेते हैं लेकिन यह मंदसौर में शिवना ब्रिज के बाद जिला जेल व पुलिस पेट्रोल पंप के यहां पर नीमच, चित्ताैड़गढ़, निंबाहेड़ा, भीलवाड़ा की सवारियों को दूसरी बस में बैठा देते हैं।
इस दौरान बस संचालक यात्रियों से पूरी दूरी का किराया वसूल लेते हैं। अगली बस को कमीशन के हिसाब से यात्रियों की संख्या के आधार पर राशि दे दी जाती है। पूरे मामले में तीनों जिलों के परिवहन अधिकारी अनजान बने हुए हैं। मामले में डीटीओ रितु अग्रवाल से उनके मोबाइल नंबर 9424595217 पर कई बार संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं किया।
पैसेंजर स्वयं बैठता है, हम नहीं बैठाते हैं। जब डायरेक्ट गाड़ी नहीं मिलेगी तो सवारी तो बैठेगी। हम हमारी बसाें में नहीं बैठाते हैं। दूसरी बस में सवारी बैठाने की जानकारी नहीं है। मैं कर्मचारियों से बात कर पता लगाउंगा। - इमरान मेव, बस संचालक।
खड़े रहने तक की नहीं मिलती जगह फिर भी यात्रियों को चढ़ाते रहते हैं
नियमानुसार बस संचालक बस में सीटों की क्षमता के आधार पर 35 से 52 यात्रियों को बैठा सकते हैं लेकिन अधिक कमाई के चक्कर में क्षमता से कई अधिक यात्रियों को बैठा लेते हैं। हैरानी की बात है कि इन बसों में डेली अपडाउन करने वाले पुलिस जवान व अधिकारी भी सफर करते हैं पर उन्हें इससे कोई मतलब नहीं रहता। संचालक उनके लिए सीट रिजर्व करके रखता है। इस कारण वे भी अनदेखी कर देते हैं। मंदसौर से सुबह 9.30 बजे नीमच के लिए चलने वाली बस में इसी तरह की फाेटाे हम आपको दिखा रहे हैं। इसी तरह ओवरलोड बसें हादसों का कारण बनती हैं।
यात्रियों से अधिक अवैध रूप से सामान लाती हैं बसें
यात्री बसों में लोडिंग सामान नहीं रखा जा सकता है, यह नियम के खिलाफ है। इसके बाद भी बिना रोक-टोक के लंबी दूरी पर चलने वाली बसों में डिग्गी, बस की छत सहित अंदर सीटों के बीच भी बड़ी मात्रा में सामान एक शहर से दूसरे शहर पहुंचाया जाता है। इसके लिए बस चालक लोगों से मोटा भाड़ा भी वसूलते हैं। नीमच से मंदसौर एक छोटा सा पार्सल पहुंचाने के लिए ये 80 से 100 रुपए तक लेते हैं। इंदौर से रतलाम, मंदसौर, नीमच चलने वाली स्लीपर बसों में अंदर क्षमता से अधिक सामान भरा होता है।
दरवाजे पर खड़े होकर सफर किया - मंदसौर के पीयूष बाफना ने बताया कि दो दिन पहले वे मंदसौर से नीमच के लिए सुबह 9.30 बजे श्रीकोल्ड चौराहा से कोठारी बस में चढ़े थे। उसमें बैठने तक की जगह नहीं थी। यही नहीं इसके बाद भी बस चालक जगह-जगह रुककर यात्रियों को बस में चढ़ाता रहा। कई लोगों ने दरवाजे पर खड़े होकर सफर किया।
मजबूरी में दूसरी बस में बैठना पड़ा - नीमच के सिंगोली क्षेत्र के नानालाल भील ने बताया कि वे रतलाम से दोपहर करीब 12.40 बजे एक बस में बैठे थे। बस कंडक्टर ने नीमच तक ले जाने की बात कही। लेकिन मंदसौर बस स्टैंड से पहले ही उन्हें उतार कर दूसरी बस में बैठा दिया।
बसों की जांच करा ली जाएगी
लापरवाही हो रही तो डीटीओ व उनकी टीम से सभी बसों की जांच करा ली जाएगी। संबंधित बसों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। -मयंक अग्रवाल, कलेक्टर, नीमच
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