कुछ लोगों को कहते सुना होगा कि एक वोट से क्या होगा? अगर आप भी यही सोचते हैं, तो दोबारा विचार कीजिए। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि निकाय चुनाव में एक वोट की वजह से कुछ लोग पार्षद बन गए, तो इसी एक वोट ने कुछ प्रत्याशियों को हरा दिया। ये रिजल्ट नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण का है। इनमें भाजपा के 6, कांग्रेस के 3 और एक निर्दलीय प्रत्याशी है।
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देवास की कांटाफोड़ नगर परिषद में कांग्रेस के 8 पार्षद प्रत्याशी जीते। यहां वार्ड क्रमांक 7 की प्रत्याशी आशाबाई को बीजेपी की रमाबाई ने एक वोट से हरा दिया। रमा की जीत के साथ बीजेपी के पार्षदों की संख्या 6 हो गई, जबकि एक निर्दलीय प्रत्याशी जीता। यदि रमाबाई की जगह आशाबाई को वो एक वोट मिलता, तो परिषद में कांग्रेस को बहुमत (8 पार्षद) से एक पार्षद ज्यादा मिल जाता। सत्ता उसके हाथ में आ जाती, लेकिन अब क्रॉस वोटिंग का खतरा है। हालांकि पार्षदों की संख्या के हिसाब से देखें तो बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए दो पार्षद चाहिए।
सतना नगर निगम में एक उम्मीदवार लकी
सतना नगर निगम में बीजेपी प्रत्याशी लकी और कांग्रेस प्रत्याशी अनलकी रहे। यहां भी जीत-हार एक वोट के अंतर से हुई है। वहीं, नोटा को 20 वोट मिले हैं। वार्ड क्रमांक 15 बीजेपी प्रत्याशी ममता को 1076 और कांग्रेस की सरला को 1075 वोट मिले।
नोटा ने बिगाड़ा खेल....
मऊगंज के वार्ड क्रमांक 10 से कांग्रेस प्रत्याशी रेशमा खान को 381 वोट मिले और वह एक वोट से हार गईं। बीजेपी की बतलून्निशा 382 वोट लेकर पार्षद बन गईं। यहां नोटा में 3 वोट गए। यदि यह वोट कांग्रेस के खाते में जाते तो रेशमा जीत जाती।इंदौर की सांवेर परिषद में वार्ड क्रमांक 11 में निर्दलीय और छिंदवाड़ा के वार्ड क्रमांक 1 में 4-4 वोट नोटा को गए। दोनों वार्डों में जीत-हार महज एक वोट से हुई है। इन आंकड़ों को देखने से पता चल रहा है कि उम्मीदवार एक वोट से चुनाव हार गए, वहीं नोटा ने इन जगहों पर दो से लेकर 20 वोट तक हासिल किए हैं।
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