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ग्राउंड रिपोर्टहीरे की चाहत में दिन-रात खुदाई:25 हजार लोग खोद रहे पहाड़; छान रहे बरसाती नदी

भोपाल\पन्ना4 महीने पहलेलेखक: संतोष सिंह

कहते हैं, हीरा मिल जाए तो किस्मत चमक जाए। पन्ना में करीब 25 हजार लोग इसी उम्मीद से दिन-रात पहाड़ खोद रहे हैं। नदी की रेत छान रहे हैं। इनमें से कुछ ने तो परिवार सहित यहां डेरा डाल रखा है।

मध्यप्रदेश के पन्ना की धरती हीरा उगलती है। इस हीरे को पाने के लिए लोग कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं। हीरे की खदान के बाद दैनिक भास्कर का अगला पड़ाव जिले में अवैध खदानों की ओर था।

पन्ना जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर अजयगढ़ के पास रुंझ नदी में डैम का काम चल रहा है। डैम का काम एलएंडटी कंपनी कर रही है। मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की संयुक्त परियोजना से दोनों राज्यों के किसानों की सिंचाई और पीने के पानी की समस्या दूर होगी। 4 महीने पहले यहां एक ठेकेदार को खुदाई में हीरा मिला। यह खबर जंगल में आग की तरह फैली। इसके बाद यहां पन्ना जिले के अलावा सीमावर्ती छतरपुर, सतना, बांदा आदि जिलों से लोग हीरे की तलाश में पहुंच रहे हैं।

रुंझ नदी की तलहटी में एक अस्थाई बस्ती बस गई है। लोग दिन-रात यहीं डटे हैं। यहां सब्जी-दूध समेत कई किराना दुकान भी खुल चुकी हैं। पौ फटने से शाम होने तक लोग नदी में रेत छान रहे हैं। जंगल और पहाड़ी को खोद रहे हैं। रोज 20 से 25 हजार लोग रुंझ नदी के 6 किलोमीटर के दायरे में गैंती, फावड़ा, तसला और छलनी लेकर हीरे तलाश रहे हैं।

25 हजार लोग रोज हीरे की तलाश में पहुंच रहे रुंझ नदी
पन्ना में अवैध रूप से हीरा की खुदाई हो रही है। खुदाई कर रहे लोगों का दावा है कि यहां एक ठेकेदार को हीरे हाथ लगे हैं। हमारी मुलाकात आमानगंज निवासी मद्धू चौधरी से हुई। वे पति-पत्नी अपने 3 बच्चों साथ 6 दिन से रुंझ नदी और पहाड़ी पर हीरे की तलाश में जुटे हैं। कहते हैं, बच्चे पढ़-लिख गए, फिर भी नौकरी नहीं मिली। हीरा मिल जाएगा तो जीवन संवर जाएगा।

संकल्प लेकर आया हूं, बिना हीरा मिले नहीं लौटूंगा
63 वर्षीय नयागांव (छतरपुर) निवासी हरिराम रैकवार कंकड़ के बीच हीरा तलाशते हुए मिले। बोले- अकेले आया हूं। चौथा दिन है हीरा नहीं मिला है। कसम खाकर आया हूं कि जब तक हीरा नहीं मिलेगा, घर नहीं लौटूंगा। जब हमने पूछा कोई समयसीमा तो तय की होगी, तो हाथ आसमान की तरफ उठाकर हरिराम बोले- वो (भगवान) भले ही छोटा (हीरा) दे, लेकिन बिना लिए यहां से घर नहीं जाऊंगा।

जब हमने पूछा कि इस बुढ़ापे में इतनी मेहनत करने की क्या जरूरत है ताे बोले- मेरा हीरे जैसा बड़ा बेटा 38 की उम्र में हार्ट अटैक से मर गया। उसके 2 बच्चे हैं। छोटा बेटा ठेकेदारी करता है। उसी की कमाई से घर चलता है। बड़े बेटे के बच्चों की चिंता मुझे यहां खींच लाई। वैसे भी अब मरना तो है ही तो क्यों न अपने पोते-पोतियों के लिए कुछ करके मरूं।

न नहाने की सुध और न खाने की
देवीनगर से 2 दोस्त अपनी पत्नियों को लेकर हीरे तलाशने आए हैं। उन्होंने 8 दिन से यहां डेरा जमाया हुआ है। दिन-रात रुंझ नदी के कंकड़-पत्थरों को तलाशते रहते हैं। न खाने की सुध है, न आंखों में नींद। इनमें से नीरज हमसे बात करने को तैयार हुआ। कहा- हमें यकीन है, किस्मत साथ देगी। जब हमने पूछा कि हीरा नहीं मिला तो? नीरज ने जवाब दिया- हजारों लोग आ रहे हैं। कई लोगों की किस्मत खुली है, हमारी भी खुलेगी। एक बार हीरा मिल जाए तो लाइफ सेट हो जाए।

डैम के लिए खोदी मिट्‌टी भी छान रहे लोग
रुंझ नदी में हीरे तलाश रहे पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की एक ही तमन्ना है कि हीरा मिल जाए। बाकी जीवन सुकून से कट जाएगा। लोगों ने नदी और उसके दोनों ओर तट को खोद डाला है। ये बरसाती नदी है। बारिश में इसमें पानी अधिक होता है। अभी नदी में घुटने तक ही पानी है, इस कारण लोग इसे पैदल ही पार कर लेते हैं।

लोगों में एक बार में लखपति बनने की ऐसी सनक सवार है कि उन्होंने डैम के लिए की गई खुदाई के पत्थरों को भी छान मारा है। डैम की खुदाई कर रहे ठेकेदार ने यहां से 80 हजार टन के लगभग चाल को अवैध तरीके से स्टोर करके रखा था। चाल मिट्‌टी की उस परत को कहते हैं, जिसमें हीरा पाया जाता है। जब खनिज विभाग को ठेकेदार की यह करतूत पता चली तो उस मिट्‌टी को जब्त कर अपनी निगरानी में ले लिया है।

एक घंटा बाइक चलाकर आता है हीरा खोदने
अम्बोरा से आए अशोक एक सप्ताह से हीरे की तलाश में नदी की रेत छान रहे हैं। बोले- मजदूरी करते हैं। अभी काम नहीं था। सुना कि इधर हीरा मिल रहा है। इस उम्मीद से आ गया कि शायद मेरी किस्मत भी चमक जाए। रोज सुबह 5 बजे घर से निकल जाता हूं। बाइक से यहां पहुंचने में घंटा भर लगता है। सुबह से शाम तक नदी में रेत छानता हूं, पर अभी तक हीरा नहीं मिला। हमने पूछा- क्या किसी को हीरा मिला? इस पर बोले कि उधर, दूर एक व्यक्ति को हीरा मिला है। कई लोगों को हीरा मिलने की बात रोज सुनता हूं। अब सच पता नहीं कि लोगों को हीरा मिल रहा है या चमकीला पत्थर।

पड़ेरी से आए राजन वर्मा को नदी की रेत से एक चमकीला पत्थर मिला है। उन्हें लगता है कि ये हीरा है। कागज की पुड़िया में रखते हुए बोले- इसे हीरा कार्यालय में चेक कराऊंगा, तभी पता चलेगा कि ये हीरा है या चमकीला पत्थर। एक दिन पहले से यहां आ रहा हूं। घर में मां-पिता और भाई-बहनों के बीच कमाने वाला मैं अकेला हूं। सोचा कि चलो हीरा तलाश लेते हैं। शायद किस्मत मेहरबान हो जाए। 100 लोगों में 5 प्रतिशत के नसीब में ही हीरा मिलना लिखा होता है।

गुजरात से छुट्‌टी पर घर आया, यहां हीरा खोजने लगा
पन्ना निवासी राजन युवा हैं। छह दिन से हीरा तलाश रहे हैं। राजन ने पन्ना आईटीआई से पढ़ाई की है। वह गुजरात में नौकरी करते हैं। दीपावली की छुट्‌टी पर घर आए थे। हमने पूछा- नौकरी करते हैं, तो यहां क्यों चले आए? इस सवाल पर बोले- रुंझ नदी में हीरा मिलने की बात सुन रखी थी। ये सोचकर आया हूं कि शायद मुझे हीरा मिल जाए, तो फिर कभी अपनी माटी छोड़कर गुजरात न जाना पड़े। हीरे ने कई लोगों की तकदीर बदल दी है। पूछा कि छुट्‌टी में घर रहते या रिश्तेदारों से मिल लेते, यहां कहां समय खपा रहे हो? बात पूरी होने से पहले राजन ने कहा कि जब दूसरे की नौकरी करना ही लिखा है, तो आराम क्या? जब तक छुट्‌टी है, हीरा तलाशता रहूंगा।

महेवा पन्ना निवासी युवा अरविंद को 5वें दिन एक चमकीला पत्थर मिला, तो उनकी आंखें चमक गईं। बोले- इसे हीरा कार्यालय में चेक कराऊंगा। शादी की बात पूछी, तो कहा कि हो गई है। घरवाली का खर्च भी अब मेरे जिम्मे है। हीरा मिल जाए तो जिंदगी संवर जाए।

अरविंद ने बताया कि पिता भी मजदूरी करते हैं। खेती नहीं है। दूसरे के यहां मजदूरी करते हैं। कुछ दिन अपने लिए मजदूरी कर लूं। शायद फिर किसी के यहां मजदूरी करने की जरूरत ही न पड़े। अरविंद के कंधों पर उनकी 2 छोटी बहनों की शादी का भी भार है।

पेड़ की जड़ तक खोद डाली
बवेठा निवासी राकेश भी हीरे की तलाश में पहुंचे थे। उन्होंने सुना था कि नदी के दूसरे किनारे पर महुआ के पेड़ के पास की जमीन से हीरा मिला है। हालांकि, इसका कोई प्रमाण नहीं है। यहां आधे से ज्यादा लोग अफवाहों पर ही हीरा तलाशने के लिए खनन कर रहे हैं। राकेश भी इसी पेड़ के आसपास खुदाई कर रहे थे। वे इतने बिजी थे कि उन्होंने केवल अपना नाम और निवास बताया। लोगों ने हीरे के लालच में इस पेड़ के आसपास इतनी खुदाई कर दी है कि पेड़ की जड़ें नजर आने लगी हैं। हालांकि, अभी तक किसी को हीरा तो दूर की बात कोई चमकीला पत्थर तक नहीं मिला है। बता दें, इस क्षेत्र में चारों ओर गड्‌ढे और मिट्‌टी छोड़ चुके सागौन पेड़ की जड़ें नजर आ रही थीं। कई पेड़ उखड़ गए हैं। कुछ सूख गए हैं।

खुदाई करते-करते हाथों में छाले पड़ गए
पेड़ के पास हीरे की तलाश में खुदाई कर रहे लवकुश नगर निवासी हरिचरण अहिरवार ने हाथों में एक पत्थर दिखाते हुए बताया कि ये कच्चा हीरा मिला है। हाथ में छाले पड़ गए हैं। हथेली दिखाते हुए कहा कि परिश्रम बहुत है। हजारों लोग यहां हीरे की तमन्ना लेकर आ रहे हैं। सभी को हीरा तो नहीं मिल सकता। पहाड़ी पर कच्चा हीरा है। इसकी कोई कीमत नहीं होती, पर यहां हीरा लोगों को मिला है। मैं भी प्रयास कर रहा हूं। शायद मुझे भी मिल जाए।

जितना जिंदगीभर में कमाएंगे, यहां एक झटके में मिल जाएगा
बीएससी कर चुके हरिचरण अहिरवार अपने छोटे भाई शिवचरण के साथ पिछले 5 दिन से हीरा तलाश रहे हैं। हमने पूछा क्या सच में यहां हीरा मिल रहा है? बोले- लोगों से सुन रखा था कि यहां हीरा मिल रहा है, तो हम भी भाग्य आजमाने आ गए। पिता का सालभर पहले एक्सीडेंट हो गया था। घर चलाने की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर है। घर की माली हालत ठीक नहीं। अगर एक बार हीरा मिल गया तो उतना पैसा मिल जाएगा कि जितना मैं जिंदगीभर नौकरी करके नहीं कमा पाऊंगा। इसी आस से यहां हीरा खोज रहा हूं।

नदी किनारे पहाड़ी का सीना कर दिया छलनी
हम नदी पार कर पहाड़ी की ओर पहुंचे। पता चला कि लोगों ने हीरे की तलाश में पूरी पहाड़ी को छलनी कर दिया है। 500 फीट ऊंचाई तक लोगों ने पहाड़ी में छोटे-छोटे गुफानुमा गड्‌ढे कर दिए हैं। बीते 4 महीने में यहां कई हादसे हो चुके हैं। कोई हादसा पुलिस डायरी में दर्ज नहीं है, इसलिए इसका कोई हिसाब नहीं है। भास्कर रिपोर्टर का पैर एक जगह पड़ा तो वो भरभरा कर धंस गई और रिपोर्टर गिरते-गिरते बचा। पहाड़ी सीधी ढलान वाली है। यहां चढ़ने और उतरने दोनों में खतरा है।

350 रुपए के इनवेस्टमेंट से लखपति बनने के लिए खुदाई
यहां पहाड़ी के रास्ते पर छतरपुर निवासी बाबूलाल कुशवाहा से मिले। वो एक दिन पहले ही आए हैं। बोले- मुझे ब्लैक डायमंड जैसे पत्थर मिले हैं। न्यूज देख कर पता चला था कि यहां हीरा मिल रहा है। 100 रुपए का यहीं पर तसला और 150 रुपए का सब्बल खरीदा है। बाबूलाल ने 350 रुपए का निवेश कर लखपति बनने की खुदाई शुरू की है।

बाबूलाल ने बताया कि ऊपर पहाड़ी पर एक गुफा है। वहां लोगों को ब्लैक डायमंड जैसे पत्थर अधिक मिल रहे हैं। मेरे पास ऐसे 50 पत्थर जमा हो चुके हैं। इसकी जांच कराऊंगा। ब्लैक डायमंड हुआ तो ठीक नहीं तो सुनार प्रति कंकड़ 100 रुपए में खरीद लेगा। अपना खर्च तो निकल ही आएगा।

लोग कई बार चढ़ते-उतरते हैं पहाड़
पहाड़ी की ढलान पर पन्ना निवासी मीना भारती मिलीं। बोलीं- ऊपर गुफा है। वहां लोग हीरा तलाश रहे हैं। 3 लोगों के साथ मैं भी हीरा तलाश रही हूं। मीना के पहनावे से कतई यह नहीं लगता कि उनको जीवनयापन में आर्थिक समस्या है, लेकिन एक झटके में लखपति बनने की चाहत मीना को कीमती पत्थर खोजने ले आई है।

भास्कर रिपोर्टर को 500 फीट की सीधी और जगह-जगह से खुदी पहाड़ी की चोटी तक पहुंचने में आधा घंटा लगा। जब हमारी टीम पहुंची तो हांफ रही थी और लोग यहां रोज 3 से 4 बार आते-जाते हैं।

यहीं पर हमारी मुलाकात सतना निवासी कंतू कुशवाहा से हुई। पेशे से खेती-किसानी करने वाले कंतू इस पहाड़ी पर हीरा तलाशने पहुंचे थे। बोले- सोशल मीडिया पर देखा था कि लोग रुंझ नदी में हीरा तलाशने जा रहे हैं, तो मैं भी आ गया। सुबह सात से रात 8 बजे तक हीरा तलाशता हूं। यहीं पर सुशील व सनी नाम के दो नाबालिग भी मिले। बोले कि कच्चा हीरा मिला है। पक्का हीरा नीचे नदी में ही मिलता है।

जान पर खेलकर पहाड़ खोद रहे, मिट्‌टी धंसकने का खतरा
यहां पर मुझे बाबूलाल कुशवाहा लेकर पहुंचा था। उसने वो गुफा भी दिखाई, जहां लोग ब्लैक डायमंड के लालच में जिंदगी को दांव पर लगाते हुए मिले। गुफा ऊपर के पत्थर और मिट्‌टी के चलते कभी भी धंस सकती। बावजूद लोग यहां खुदाई कर चाल निकालने पहुंच रहे हैं। इस चाल को लोग नदी की तलहटी में ले जाकर धोते हैं।

इस प्रक्रिया में लोगों को दिन में कई बार पहाड़ी से उतरना-चढ़ना पड़ता है। लौटते समय ढलान वाले रास्ते पर पवई निवासी रामकिशुन मिले। सिर पर एक बोरी में चाल लेकर नदी पर धोने जा रहे थे। बोले- एक बेटा और एक बेटी है। भगवान जुगुल किशोर की कृपा हुई तो हीरा मिल जाएगा। अब नीचे नदी में इस चाल की मिट्‌टी को धुलकर कंकड़ की बिनाई करूंगा।

अंधेरा होते ही बस्ती में चूल्हे जल जाते हैं
अब तक अंधेरा हो चला था। नदी के किनारे सैकड़ों झोपड़ियों से धुआं निकलने लगा था। ये धुआं चूल्हे का था। चूल्हा जलाने की लकड़ी भी लोग पहाड़ी की जंगल से लाते हैं। यहीं पर हमारी मुलाकात बच्चों को रोटी खिलाते हुए विमलेश भारती हुई। वो 5 दिन से पति व बच्चों के साथ यहां हीरा तलाश रही हैं। थोड़ा आगे बढ़े तो तिघरा निवासी बेटूलाल और उनके छोटे भाई मिले। बेटूलाल रोटी सेंककर छोटे भाई को दे रहे थे। दोनों भाई 4 दिन से यहां हीरा की तलाश में झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं।

अब पढ़िए, किस तरह लोगों से हो रही ठगी
हमने अब तक आपको हीरा मिलने और तलाशने की कहानियां बताई, लेकिन हीरे के नाम ठगी का धंधा भी खूब फल रहा है। पन्ना में हीरा खरीदने की एकमात्र जगह सरकारी हीरा ऑफिस है। यहां के हीरा अधिकारी रवि पटेल कहते हैं कि पन्ना में जितने भी हीरे लोगों को मिलते हैं उनका केवल एक प्रतिशत ही सरकार तक पहुंच पाते हैं। यहां कई दलाल और व्यापारी सक्रिए हैं।

जब किसी को हीरा मिलता है तो वह उसे अपने स्तर पर चेक करता है। फिर व्यापारी या बिचौलिए को यकीन हो जाता है कि सही में हीरा है तो उसे लालच देकर सस्ते दाम पर खरीद लेते हैं। असल में इसमें लोगों का ही घाटा होता है। अगर हीरे की नीलामी होगी तो 100 व्यापारी उसे खरीदने आएंगे तो बढ़-चढ़कर बोली लगाएंगे। ऐसे में उसके दाम बढ़ने की संभावना ज्यादा होती है, लेकिन लोग यह नहीं समझ पाते।

70 लाख में बेच दिया और बोला- तुमने जो खोदा था वह कंकड-पत्थर था
हीरा अधिकारी के मुताबिक उनके पास 2 शिकायत ठगी व धोखाधड़ी की आई हैं। दोनों मामलों में नोटिस जारी कर बयान दर्ज कराने के लिए संबंधित को बुलाया गया है। पहली शिकायत सरकोहा निवासी घनश्याम यादव ने की है। जून में उसे अपने खेत की जुताई के वक्त 12 कैरेट के 3 हीरे मिले।

20 अगस्त 2022 को नंद किशोर उर्फ नंदू लाला उसके घर आया। तीनों हीरे उसे चेक कराने को दे दिए। वह मुंबई का रहने वाला है। उसने कहा कि वह मुंबई जाकर चेक कराकर बताएंगे। बाद में उसने बताया कि उसके हीरे कंकड़-पत्थर हैं। इसी बीच उसे पता चला कि नंदू लाला ने उसके हीरे 70 लाख में बेच दिए। वह न तो उसके हीरे लौटा रहा और न ही पैसे दे रहा। हीरा अधिकारी ने इस मामले में एफआईआर कराने की बात कही है।

दूसरी शिकायत के किरदार हैं बरोरा चंद्रपुर महाराष्ट्र निवासी पंकज संचेती। 3 सितंबर 2022 को उन्होंने विश्रामगंज अजयगढ़ में एक रामहेत पटेल नाम के दलाल से 6.51 कैरेट का हीरा खरीदा था। इसके एवज में उन्होंने 4.40 लाख रुपए कैश दिए थे। उस हीरे को सूरत ले जाकर चेक कराया तो पता चला कि वह कीमती मोझानाइट है। मोझानाइट हीरा नहीं होता, लेकिन हीरे के मुकाबले कमतर भी नहीं। 29 सितंबर को रामहेत से बात की तो उसने शिकायत की। तब उसने बताया कि दूसरे दलाल का नंबर देता हूं, उसी ने सौदा कराया है। वह अजयगढ़ का है और लोगों में मामा नाम से जाना जाता है।

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पन्ना हीरे के लिए मशहूर है। हम आपको कोई नई बात नहीं बता रहे हैं, लेकिन वो कहानियां और प्रोसेस जरूर बताएंगे जिससे हीरा मिलता है। संडे स्टोरी में हम आपको बताएंगे कैसे हीरा तलाशा जाता है और उन भाग्यशाली लोगों की कहानियां जिन्होंने 20 से 30 साल तक रोज इसी उम्मीद में खुदाई की कि उनकी किस्मत चमक जाएगी। एक पल में यहां आदमी रंक से राजा बन जाता है। कई ऐसे भी हैं, जो लाखों गंवाने के बाद भी आज भी इस उम्मीद में खदानों की खाक छान रहे हैं कि हीरा उन्हें मिल जाए। दैनिक भास्कर ऐप टीम की पन्ना से खास रिपोर्ट। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...