प्रदेश में पिछले दो हफ्तों के दौरान कोरोना मरीजों का नया ट्रेंड सामने आया है। भोपाल एम्स के डायरेक्टर डॉ. नितिन एम नागरकर का ऑब्जर्वेशन है कि यह कोरोना की थर्ड वेव किसी एक ऐज ग्रुप को ही संक्रमित नहीं कर रही है, बल्कि हर आयु के लोग पॉजिटिव हो रहे हैं। इसके अब तक के शुरुआती लक्षण जरूर हल्के हैं, लेकिन इसे हल्के में बिल्कुल नहीं लेना चाहिए। अभी ICU बेड खाली हैं, पर सावधानी नहीं बरती गई तो आने वाले दिनों में इनमें मरीजों की संख्या बढ़ेगी। अब तक कोरोना के जो मरीज मिल रहे हैं, उनके ट्रेंड, लक्षण और इलाज के साथ सावधानी को लेकर डॉ. नागरकर ने हर सवाल का जवाब दिया।
भास्कर: तीसरी लहर में मिल रहे मरीजों में पहली और दूसरी लहर की तुलना में कितने लक्षण अलग मिल रहे हैं?
डॉ. नागरकर: थर्ड वेव में अब तक जो मरीज सामने आए हैं, उनमें हल्के लक्षण ही दिखाई दिए हैं। जो दूसरी लहर में दिखे थे। बुखार, सर्दी-खांसी ही शुरुआती सिम्प्टम्स हैं। इसे पहली या दूसरी लहर से अलग नहीं मानना चाहिए और न ही हल्के में लेना चाहिए। इस बार यह जरूर है कि 7 दिन में संक्रमण का असर कम होने से लोग ठीक हो जा रहे हैं। जहां तक दूसरी लहर में भी कुछ पेशेंट को डायरिया और पेट दर्द के लक्षण दिखाई दिए थे, वह इस बार भी कुछ मरीजों में देखे गए हैं। किसी भी तरह के सिम्प्टम्स को नजरअंदाज न करें।
भास्कर: तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरा मानी जा रही थी। अभी जो मरीज आ रहे हैं, उनमें किस ऐज ग्रुप के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं?
डॉ. नागरकर: ऐसा नहीं है, बच्चों के लिए जितना खतरा है, उतना ही बड़ों को भी है। अभी सभी ऐज ग्रुप के मरीज सामने आ रहे हैं। इनमें बच्चे भी हैं तो बुजुर्ग भी। कई मिडिल ऐज वाले भी हैं। अच्छी बात यह है कि अभी तक हल्के लक्षण ही मरीजों में मिले हैं, इसे लेकर सावधानी रखने की जरूरत है। इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है।
भास्कर: कोरोना के पहले दो फेस के दौरान मेडिटेशन या इलाज का पैटर्न इस बार कितना अलग है?
डॉ. नागरकर: इलाज का पैटर्न अलग नहीं है। इस बार 7 दिन तक संक्रमित मरीज को आइसोलेट रहना है। इसके बाद वह ठीक हो जा रहे हैं। अगर कोई परेशानी या लक्षण नहीं है, तो उसे दोबारा टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। अगर कोई अन्य बीमारियों से पहले से पीड़ित है तो उन्हें ज्यादा ख्याल रखने की जरूरत है। ऐसे लोग हल्के लक्षण को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। इनमें से कुछ अब अस्पतालों में भर्ती भी हो रहे हैं।
भास्कर: इस लहर में अब तक मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत, ICU बेड या वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है क्या?
डॉ. नागरकर: अभी तो हर मरीज को इसकी जरूरत नहीं आई है। कुछ अस्पतालों में भर्ती भी हो रहे हैं। उन्हें ऑक्सीजन और आईसीयू बेड में रखा गया है। अगर इस लहर में लोगों ने लापरवाही की या इसे लेकर कहीं चूक की, तो केसेस बढ़ेंगे। आने वालों दिनों में आईसीयू बेड भी अस्पतालों में भरे दिखाई देंगे। वहां मरीजों की संख्या बढ़ेगी। लोगों से अपील है कि वे कोरोना गाइडलाइन का पालन करें। उसके ट्रीटमेंट का भी।
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