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MP की माउंटेनियर बेटी का यूरोप में कमाल:5,642 मीटर की ऊंचाई पर लहराया तिरंगा; बोलीं-आधी ऊंचाई पर निकलने लगा था खून

भोपाल10 महीने पहलेलेखक: शुभांगिनी दुबे
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मध्यप्रदेश की बेटी और माउंटेनियर भावना डेहरिया ने 15 अगस्त को माउंट एल्ब्रुस (रूस) पर आजादी का जश्न मनाया। रूस-जॉर्जिया बॉर्डर पर स्थित माउंट एल्ब्रुस चोटी यूरोप की सबसे ऊंची चोटी है। इसकी ऊंचाई 5,642 मीटर है। भावना ने दैनिक भास्कर को तिरंगा लहराते हुए एक्सक्लूसिव फोटो-वीडियो उपलब्ध करवाए। उनका कहना है कि उनके लिए ये गौरव का पल है। इससे पहले भावना एवरेस्ट भी फतह कर चुकी हैं। उनके साथ सीहोर (MP) की मेघा परमार ने भी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी। माउंट एवरेस्ट 8849 मीटर ऊंचा है।

भावना ने दैनिक भास्कर को बताया कि एल्ब्रुस की दो चोटी हैं। पहली पूर्वी और दूसरी पश्चिमी। अभी उन्होंने पूर्वी चोटी को फतह किया है। सोमवार रात दूसरे शिखर को फतह करने के लिए निकलेंगी। दूसरी चोटी पर 3 महिलाओं का दल है। इसमें मध्यप्रदेश से अकेली भावना शामिल हैं।

30 साल की भावना छिंदवाड़ा के छोटे से गांव तामिया की रहने वाली हैं। 15 महीने की बेटी की मां हैं। बेटी के जन्म के बाद भावना का यह पहला पर्वतारोहण अभियान था। स्वतंत्रता दिवस को जब पूरा भारत देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा था, तब भावना यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस (रूस) पर तिरंगा लहरा रही थीं। एवरेस्ट विजेता भावना ने समुद्र तल से 5642 मीटर (18,510 फीट) की ऊंचाई वाली यूरोप की इस चोटी पर सफलतापूर्वक पहुंचीं।

भावना ने स्वतंत्रता दिवस पर यूरोप की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचकर तिरंगा फहराया।
भावना ने स्वतंत्रता दिवस पर यूरोप की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचकर तिरंगा फहराया।

आधी दूरी तक पहुंचने पर निकलने लगा था खून

भावना ने बताया कि उनकी टीम 10 अगस्त को रूस की राजधानी मॉस्को से मिनरलनी वोडी शहर पहुंची। 11 अगस्त को जलवायु-अनुकूलन रोटेशन के दौरान 2,346 मी ऊंचाई तक गई, जिसमें नाक से खून बहने लगा। 12 अगस्त को दल के साथ 3,888 मीटर की ऊंचाई पर बेस कैंप बनाया। अगले दो दिन 45,00 मीटर तक रोटेशन किए। यह रोटेशन शरीर को पर्वत के ऊपर होने वायु दबाव के परिवर्तन और एक्यूट माउंटेन सिकनेस से बचाव के लिए जरूरी होता है।

भावना डेहरिया ऐसा करने वाली प्रदेश की पहली महिला बन गई हैं।
भावना डेहरिया ऐसा करने वाली प्रदेश की पहली महिला बन गई हैं।

आधी रात शुरू किया सफर

14 अगस्त की रात 12 बजे दल के साथ माउंट एल्ब्रुस चोटी के लिए निकल पड़े। 15 अगस्त की सुबह करीब 5:30 बजे पश्चिमी माउंट एल्ब्रुस पर समिट कर तिरंगा लहराया। भावना बताती हैं कि ये बेहद मुश्किल और शरीर को थका देने वाला था। शिखर के नजदीक मौसम बहुत खराब हो गया था। बर्फबारी और 35 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से तेज बर्फीली हवा के कारण विजिबिलिटी कम हो गई थी। तापमान तेजी से गिर कर -25 डिग्री तक पहुंच गया था। हालांकि मां बनने के बाद तामिया के पर्वतीय क्षेत्र में भरपूर ट्रेनिंग की थी, जिससे मैं रिकॉर्ड समय पर समिट कर पाई। इस अभियान में मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सहयोग किया था।

एवरेस्ट भी कर चुकी हैं फतह

22 मई 2019 को माउंट एवरेस्ट के शिखर पर फतह हासिल करने वाली भावना मध्यप्रदेश की पहली महिला हैं। उन्होंने वर्ष 2019 में दीपावली के दिन अफ्रीका महाद्वीप के माउंट किलिमंजारो और होली के दिन ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के माउंट कोजिअस्को के सबसे ऊंचे शिखर पर फतह हासिल की थी। पर्वतारोहण के क्षेत्र में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर भावना 7 समिट मिशन के तहत सातों महाद्वीप के सबसे ऊंचे शिखर पर तिरंगा फहराएंगी।

भारत की प्रमुख महिला पर्वतारोही

1. बछेंद्री पाल

इनका जन्म 24 मई 1954 को उत्तरकाशी उत्तराखंड में हुआ। बचेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट (8848.86 मीटर) पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला एवं विश्व की पांचवीं महिला है। इन्होंने 30 वर्ष की उम्र में 23 मई 1984 को माउंट एवरेस्ट पर भारतीय तिरंगा लहराया था। बछेंद्री पाल को पद्मश्री, अर्जुन अवॉर्ड एवं पद्म भूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।

2. अरुणिमा सिन्हा

यह माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली भारत व विश्व की पहली दिव्यांग महिला है जिन्होंने 2013 में माउंट एवरेस्ट फतह किया था। उत्तर प्रदेश की रहने वाली अरुणिमा सिन्हा राष्ट्रीय स्तर की पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी एवं पर्वतारोही रह चुकी है। 2011 में अरुणिमा सिन्हा का रेल हादसे में एक पैर कट गया था। अरुणिमा सिन्हा सात महाद्वीपों की सर्वोच्च पर्वत चोटियों पर चढ़ने वाली विश्व की पहली महिला दिव्यांग है। अंटार्कटिका महाद्वीप की सर्वोच्च पर्वत चोटी माउंट विंसन मैसिफ पर चढ़ने वाली प्रथम महिला दिव्यांग अरुणिमा सिन्हा है।

3. प्रेमलता अग्रवाल

48 वर्ष की प्रेमलता अग्रवाल ने 2011 में माउंट एवरेस्ट फतह किया था। यह उत्तरी अमेरिका महाद्वीप की सर्वोच्च पर्वत चोटी माउंट मैकिनले पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला है। सात महाद्वीपों के सर्वोच्च पर्वत शिखर पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला है। प्रेमलता अग्रवाल झारखंड की रहने वाली हैं।

4. संगीता बहल

यह जम्मू कश्मीर की रहने वाली है। माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली भारत की सबसे उम्रदराज (53 वर्ष) महिला संगीता बहल है। इन्होंने 2018 में माउंट एवरेस्ट फतह किया था। इनसे पहले यह रिकॉर्ड प्रेमलता अग्रवाल के नाम था।5. मालावथ पूर्णातेलंगाना की रहने वाली मालावथ पूर्णा माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र (13 वर्ष 11 माह) की भारतीय लड़की है।

6. संतोष यादव

हरियाणा की रहने वाली संतोष यादव माउंट एवरेस्ट पर सर्वप्रथम दो बार चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला है, उन्होंने 1992 व 1993 मे माउंट एवरेस्ट फतह किया।

7. काम्या कार्तिकेयन

मुंबई की रहने वाली काम्या कार्तिकेयन दक्षिण अमेरिका महाद्वीप की सर्वोच्च पर्वत चोटी माउंट एकांकागुआ (6962 मीटर) चढ़ने वाली (2020) विश्व की सबसे कम उम्र (12 वर्ष) की लड़की है।

8. अंशु जामसेंपा

सर्वाधिक बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला पर्वतारोही हैं। अरुणाचल प्रदेश की रहने वाली अंशु जामसेंपा 5 बार माउंट एवरेस्ट फतह कर चुकी है।यह 1 सप्ताह में दो बार माउंट एवरेस्ट चढ़ने वाली प्रथम महिला है।

9. नुंग्शी औरत ताशी मलिक

माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली जुड़वा बहनें जो हरियाणा की रहने वाली है। 2013 में दुनिया की पहली जुड़वा बहनें जिन्होंने सात महाद्वीपों की सर्वोच्च चोटियों पर चढ़ने का गौरव हासिल किया।

10. शिवांगी पाठक

हरियाणा की रहने वाली शिवांगी पाठक ने16 वर्ष की उम्र में माउंट एवरेस्ट फतह किया।

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