मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव रद्द करने के बाद त्रिस्तरीय पंचायतों की प्रशासकीय समितियों एवं उनके प्रधानों के अधिकार भी राज्य सरकार ने वापस ले लिए हैं। अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सोमवार को इन समितियों के प्रधानों से बात करेंगे। इस दौरान शिवराज इनके वित्तीय अधिकारों को लेकर बड़ा ऐलान कर सकते हैं।
चुनाव रद्द होने के बाद राज्य सरकार ने इनको वित्तीय अधिकार दिए थे। इस संबंध में 4 जनवरी को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने आदेश जारी कर किया, लेकिन अगले ही दिन एक नया आदेश जारी कर उनके वित्तीय अधिकार वापस ले लिए। अधिकार छीने जाने पर प्रधान लगातार विरोध जता रहे हैं। उनका कहना है कि गांवों का विकास कार्य रुक गया है। ऐसे में उम्मीद जाहिर की जा रही है कि सीएम इन अधिकारों को एक बार फिर वापस दे सकते हैं।
इस मामले में कांग्रेस ने चुटकी ली है। कांग्रेस प्रवक्ता सैय्यद जफर का कहना है कि प्रदेश सरकार पंचायत प्रतिनिधियों के मजाक कर रही है। वर्तमान में कोई प्रशासकीय समिति चार्ज में नहीं है। इसके बाद भी प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिस्तरीय पंचायत प्रशासकीय समिति के प्रमुखों के साथ कौन सी बैठक करेंगे। अधिकारी अंधाधुंध आदेश जारी कर रहे हैं।
सभी कलेक्टर्स को दिया निर्देश
मुख्यमंत्री प्रधानों से चर्चा करेंगे। इस संबंध में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से प्रदेश के सभी कलेक्टर्स और मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। उनसे कहा गया है कि मुख्यमंत्री त्रिस्तरीय पंचायतों की प्रशासकीय समितियों एवं उनके प्रधानों को संबोधित करेंगे। इसलिए कोविड प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए ग्राम पंचायतों, जनपद पंचायतों एवं जिला पंचायतों की प्रशासकीय समितियों के सदस्यों और प्रधानों को सीएम का संबोधन सुनने और देखने की व्यवस्था कराई जाए।
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