• Hindi News
  • Local
  • Mp
  • Congress's Allegation Government's Lawyers Did Not Say Anything In The Court, BJP Said Tankha Had Asked To Stay In The Supreme Court

MP पंचायत चुनाव में OBC आरक्षण की फांस:कांग्रेस का आरोप- सरकार के वकीलों ने कुछ नहीं बोला, BJP बोली- तन्खा ने रोक लगाने कहा था

मध्य प्रदेशएक वर्ष पहले
  • कॉपी लिंक

मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव में OBC आरक्षण को लेकर कांग्रेस और बीजेपी एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं। पूर्व मंत्री व कांग्रेस विधायक कमलेश्वर पटेल ने आरोप लगाया कि शिवराज सरकार के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में कुछ नहीं बोला। अब मंत्री से लेकर प्रदेशाध्यक्ष तक कांग्रेस पर आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की लापरवाही के कारण ओबीसी वर्ग के अधिकार छिने हैं।

दूसरी तरफ नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस की तरफ से पैरवी करने वाले वकील विवेक तन्खा ने ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाने के लिए कहा था। इधर, राज्य निर्वाचन आयोग ने सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति के साथ पत्र लिखकर पंचायत चुनाव में ओबीसी के लिए रिजर्व सीटों को सामान्य घोषित करने की अधिसूचना जारी कर 7 दिन में जानकारी देने कहा है। इस पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग विधि विभाग से कानूनी राय ले रहा है।

मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बुलाई थी ओबीसी नेताओं की बैठक
इस मुद्दे काे लेकर नगरीय विकास व आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह के निवास पर बीजेपी के ओबीसी नेताओं की बैठक हुई। इसमें उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. मोहन यादव व रामखेलावन पटेल और मप्र पिछड़ा वर्ग आयाेग के अध्यक्ष गौरी शंकर बिसेन भी मौजूद रहे। बैठक के बाद मंत्री सिंह ने कहा कि यह मामला विवेक तन्खा कोर्ट लेकर गए। यहां विवेक तन्खा ने महाराष्ट्र का उदाहरण दिया था, उसके आधार पर फैसला आया है।

सरकार सभी संवैधानिक पहलुओं पर कर रही विचार
मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि सरकार अब सभी संवैधानिक पहलुओं पर विचार कर रही है। कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए हैं। मामले में सरकार प्रत्यक्ष तौर पर पार्टी नहीं है। सरकार को आयोग ने 7 दिन में कोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार और बीजेपी अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण देने के लिए सरकार संकल्पित है।

आयोग 3 माह में करेगा ओबीसी पर रिपोर्ट
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ओबीसी की आबादी जिले व तहसीलवार तैयार कर रिपोर्ट तैयार करेगा। आयोग के अध्यक्ष डाॅ. गौरी शंकर बिसेन ने बताया कि इस काम में कम से कम 3 माह का समय लगेगा।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की तरह मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में ट्रिपल टेस्ट लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसमें राज्य स्तरीय आयोग के गठन की स्थापना करने का उल्लेख है। यह आयोग इस वर्ग की आबादी की गणना कर सिफारिश सरकार को देगा। इसके आधार पर आरक्षण तय किया जाएगा।

बीजेपी की सोच आरक्षण समाप्त करने की है: पटेल
कांग्रेस विधायक और पूर्व पंचायती राज मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि इस फैसले से अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को धक्का पहुंचा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की सोच हमेशा से आरक्षण को समाप्त करने की रही है, इसीलिए जानबूझकर चुनाव प्रक्रिया में संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया गया। मामला कोर्ट में गया। अगर शिवराज सरकार सुप्रीम कोर्ट में सही ढंग से पैरवी करती, तो इस तरह का फैसला नहीं आता। जरूरत पड़ी तो कांग्रेस इस मामले में सुप्रीम कोर्ट भी जाएगी।

याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका लगाई थी, उनमें अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का विषय ही नहीं था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जो व्यवस्था दी गई है, उसे लेकर न तो भाजपा सरकार और न ही राज्य निर्वाचन आयोग के वकीलों ने पक्ष रखा। भाजपा के नेता अपनी गलती छुपाने के लिए कांग्रेस पर आरोप लगा रहे हैं।

खबरें और भी हैं...