कोरोना के दो वैरिएंट मरीजों पर अलग-अलग अटैक कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश में पंचायत मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया के 15 दिन में दूसरी बार संक्रमित होने के कारण सामने आया है। कोरोना से ठीक होने वाले मरीज मानते हैं कि उन्हें दोबारा कोरोना नहीं होगा, क्योंकि एक बार संक्रमित होने पर शरीर में 3 से 4 माह के लिए एंटीबॉडी रहने की बात कही जाती है। अब मंत्री के 15 दिन में दूसरी बार संक्रमित होने पर एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना लगातार अपना स्वरूप बदल रहा है, इसलिए दो अलग-अलग वैरिएंट से संक्रमित होने की आशंका बहुत ज्यादा है।
नेचुरल तरीके से बनी एंटीबॉडी ज्यादा समय रहती है शरीर में
कोरोना संक्रमित के ठीक होने पर शरीर में 4 से 6 महीने तक एंटीबॉडी रहती है। नेचुरल तरीके से एंटीबॉडी बनने पर उसके शरीर में लंबे समय तक बने रहने की संभावना रहती है। एंटीबॉडी रहने पर कोरोना के दोबारा संक्रमित होने की आशंका कम रहती है, लेकिन कोरोना के नए-नए वैरिएंट के साथ ही अब ओमिक्रॉन ने बहुत कुछ बदल दिया है।
एक्सपर्ट ने कहा- जीनोम सीक्वेंसिंग से ही पहचान संभव
हमीदिया अस्पताल के प्रोफेसर डॉ. निशांत श्रीवास्तव ने बताया कि अभी संक्रमित के 15 दिन में दोबारा इंफेक्टेड होने की आशंका ज्यादा है। इसका कारण कोरोना के नए-नए वैरिएंट सामने आना है। अभी प्रदेश में डेल्टा और ओमिक्रॉन दो वैरिएंट से मरीजों के संक्रमित होने के मामले देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि डेल्टा वैरिएंट को ओमिक्रॉन तेजी से रिप्लेस कर रहा है।
ओमिक्रॉन धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। डेल्टा की एंटीबॉडी को बायपास कर रहा है, इसलिए दूसरी बार में ओमिक्रॉन से संक्रमित होने की आशंका ज्यादा है। हालांकि, इसकी पहचान जिनोम सीक्वेंसिंग से ही संभव है। उन्होंने बताया कि इस तरह के ज्यादा मामले हेल्थकेयर वर्कर्स में ज्यादा देखने को मिल चुके हैं।
वैक्सीनेटेड एंटीबॉडी कम समय तक एक्टिव
डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि शरीर के अनुसार एंटीबॉडी अलग-अलग समय के लिए रहती है। वैक्सीनेटेड एंटीबॉडी का समय अलग रहता है। समय के साथ धीरे-धीरे एंटीबॉडी भी डाउन होने लगती है। बार-बार इंफेक्शन होने से भी एंटीबॉडी कम होती जाती है।
पंचायत मंत्री दोबारा ऐसे हुए पॉजिटिव
पंचायत मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया जनवरी के पहले सप्ताह में मुंबई अपनी दूसरी बीमारी के इलाज के लिए गए थे। वहां सर्दी-खांसी होने पर उन्होंने 6 जनवरी को कोरोना सैंपल जांच के लिए दिया और भोपाल लौट आए। 8 जनवरी को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। हालांकि, वह ठीक हो गए थे। 13 जनवरी को दोबारा उन्होंने जांच कराई, जिसमें रिपोर्ट निगेटिव आई। 17 जनवरी को हल्का बुखार और सर्दी-जुकाम के लक्षण होने पर दोबारा कोरोना की जांच कराई। जिसमें उनकी अगले दिन रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उनकी पत्नी भी पॉजिटिव मिली हैं।
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