बागेश्वर धाम के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन दुरियागंज पर आस्था के आगे नियम-कायदे बेपटरी हो जाते हैं। यहां स्टेशन से पहले ही ट्रेनें चेन पुलिंग कर रोक दी जाती हैं। एक नहीं, वो भी दो से तीन बार। ट्रेन कोई भी हो, इस स्टेशन के पास रुकने की गारंटी तय है। जिन ट्रेनों का यहां स्टेशन पर स्टॉपेज है, उन्हें भी 500 मीटर पहले बागेश्वर धाम रोड पुल पर जंजीर खींचकर रोक दिया जाता है। इतना ही नहीं, रेलवे के इस रूट पर हर दिन 90% यात्री डंके की चोट पर बेटिकट यात्रा करते हैं। रेलवे प्रशासन से लेकर RPF और GRP के जवान बेबस हैं। टिकट का पूछने पर लोगों का पलटकर जवाब होता है- क्यों लें...।
बागेश्वर धाम छतरपुर जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर है। दुरियागंज से करीब 6 किमी। छतरपुर-खजुराहो के बीच दुरियागंज हॉल्ट स्टेशन है। खजुराहो से इसकी दूरी 15 किमी है। हॉल्ट स्टेशन कम फैसिलिटी वाले स्टेशन होते हैं। यहां पैसेंजर या लोकल ट्रेन ही ठहरती हैं। एक्सप्रेस ट्रेन को स्पेशल परमिशन पर ही रोका जाता है।
बागेश्वर धाम पर हर मंगलवार और शनिवार को लाखों में भीड़ पहुंच रही है। ज्यादातर श्रद्धालु ट्रेन से ही आ-जा रहे हैं। श्रद्धालुओं ने दुरियागंज रेलवे स्टेशन को अघोषित स्टॉपेज बना दिया है। दूसरे यात्री परेशान हैं। दैनिक भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि हजारों की भीड़ बेटिकट यात्रा करती है। यह तब जब बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी लोगों से टिकट लेकर आने की अपील कर चुके हैं। पढ़िए ये ग्राउंड रिपोर्ट...
आम यात्रियों की परेशानी
तारीख: 31 जनवरी।
समय: सुबह के 11 बजे।
ट्रेन बिफोर पहुंची, चेन पुलिंग की वजह से घंटे भर खड़ी रही...
दुरियागंज रेलवे स्टेशन पर दादर-बलिया (01026 1028) स्पेशल ट्रेन खड़ी है। हमने ट्रेन में सफर कर रहे नितिन गुप्ता से बात की। उन्होंने बताया कि जनवरी से दुरियागंज रेलवे स्टेशन पर हॉल्ट दिया गया है। लेकिन, स्टेशन से 500 मीटर पहले ही बागेश्वर धाम जाने वाली सड़क के पास लोगों ने चेन पुलिंग कर दी। ट्रेन 20 मिनट तक वहां रुकी रही। इसके बाद दुरियागंज में घंटे भर से रुकी है। ये ट्रेन यहां बिफोर पहुंची थी।
महिला को कहा ट्रेन नहीं रुकेगी, वे आत्मविश्वास से बोलीं- जरूर रुकेगी...
इसी ट्रेन में भोपाल से चित्रकूट की यात्रा कर रहे रमेश चौरसिया बोले, तीन बार ट्रेन में चेन पुलिंग हुई। मैं तो इसके विरोध में हूं। पहले छतरपुर में चेन पुलिंग कर आधे घंटे तक ट्रेन को रोका गया। इसके बाद दुरियागंज स्टेशन से 500 मीटर पहले दो बार चेन पुलिंग कर 20 मिनट ट्रेन को रोका गया। मेरे कोच में मेरी सीट के सामने छतरपुर से एक महिला सवार हुईं। पूछा तो बोलीं कि बागेश्वर धाम जा रही हूं। मैंने बताया कि ट्रेन वहां नहीं रुकती, पर वो पूरे आत्मविश्वास से कह रही थीं कि वहां हर ट्रेन रुकती है। ये भी रुकेगी। वह भी बिना टिकट रिजर्वेशन कोच में बैठी थीं। इसी तरह दूसरे कई यात्री भी सवार थे।
टीटी बोले, टिकट पूछो, तो महिलाएं लड़ने पर आमादा हो जाती हैं...
ट्रेन के टीटी चरण सिंह ने बताया कि चेन पुलिंग कर उतरने वाले किसी भी यात्री ने टिकट नहीं लिया था। सफर के दौरान भी कोई रसीद नहीं बनवाता है। पूरे कोच में लोग सवार थे। कुछ बोले तो लोग खासकर महिलाएं लड़ने पर आमादा हो जाती हैं। ऊपर के अधिकारी भी हालात से वाकिफ हैं।
सबसे अधिक दुर्गति महामना ट्रेन की
भोपाल-खजुराहो-भोपाल के बीच चलने वाली महामना एक्सप्रेस की सबसे ज्यादा दुर्गति होती है। ये ट्रेन दुरियागंज स्टेशन से दोपहर 12.15 बजे और शाम को 4.45 बजे के लगभग गुजरती है। यहां स्टॉपेज नहीं है, लेकिन हर दिन चेन पुलिंग कर इसे दुरियागंज स्टेशन से 500 मीटर पहले ही रोक दिया जाता है।
31 जनवरी को मंगलवार का दिन था। बागेश्वर धाम में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री दरबार लगाकर लोगों की पेशी सुन रहे थे, इस कारण भीड़ भी अधिक उमड़ी थी। ठीक दोपहर 12.15 बजे महामना एक्सप्रेस बागेश्वर धाम जाने वाली सड़क के पास पहुंची, इसी बीच ट्रेन में सवार यात्रियों में से कुछ ने चेन खींच दी। महिलाएं, बच्चे, बड़े-बुजुर्ग सभी ट्रेन से उतर पड़े। 20 मिनट से अधिक देरी तक ट्रेन यहां रुकी रही। इसके बाद ट्रेन आगे रवाना हुई। पूरी ट्रेन यहां खाली हो चुकी थी। सामने GRP और RPF के जवान बेबस लोगों को ताकीद करते हुए दिखे कि कोई ट्रेन से गिर न जाए। हर ट्रेन की यही कहानी है।
लाखों की भीड़ के बीच महीने भर में बिके सिर्फ 318 टिकट
दुरियागंज स्टेशन मास्टर ने बताया कि ट्रेन दादर-बलिया को 1 जनवरी से यहां हॉल्ट दिया गया है। यात्री स्टेशन से पहले ही चेन पुलिंग कर रोक देते हैं। हमने स्टेशन मास्टर से सवाल किया कि जब यहां लाखों की भीड़ आ रही है, हर ट्रेन को चेन पुलिंग कर रोका जा रहा है, तो रेलवे प्रशासन ट्रेनों की हॉल्ट का निर्णय क्यों नहीं लेता? उन्होंने कहा- रेलवे को फायदा भी तो होना चाहिए। दूसरा सवाल किया कि इतनी भीड़ आ रही है, तो टिकट तो बिक ही रहे होंगे। जवाब मिला- नहीं...। टिकट की बिक्री होती तो ट्रेनों के ठहराव की कोई समस्या नहीं होती।
रेलवे ने प्रायोगिक तौर पर दो पैसेंजर सहित तीन ट्रेनों का ठहराव दुरियागंज स्टेशन पर दिया है। सुबह 5.30 टीकमगढ़-खजुराहो पैसेंजर (04119) यहां रुकती है। इसी तरह वापसी में दोपहर में आती है। दूसरी पैसेंजर (04117) खजुराहो-ललितपुर है। यह ट्रेन शाम को रिटर्न होती है। सप्ताह में तीन दिन बलिया और तीन दिन गोरखपुर से दादर के बीच चलने वाली एक्सप्रेस ट्रेन को भी जनवरी से ठहराव दिया गया है। तीनों ट्रेनों के लिए यहां (दुरियागंज) दिसंबर महीने में महज 318 टिकटों की बिक्री हो पाई। हर महीने औसतन 25 से 30 हजार के ही टिकट बिक पाते हैं।
90% यात्री बेटिकट, महाराज की भी नहीं सुनते
स्टेशन मास्टर ने बताया कि महामना सहित सभी ट्रेनों को चेन पुलिंग कर पुल के पास ही लोग रोक देते हैं। 90% यात्री बेटिकट होते हैं। बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी लोगों से अपील कर चुके हैं कि टिकट लेकर ही यात्रा करो। चेन पुलिंग कर ट्रेन न रोको, लेकिन महाराज की भी लोग नहीं सुनते। शाम को महामना आती है, तब देखिए। हर मंगलवार-शनिवार को इस ट्रेन को यहां रोक देते हैं। सभी को पता है कि चेन इमरजेंसी में ही खींचना है, लेकिन कोई नहीं समझता।
कुछ लोग खजुराहो चले जाते हैं। दुरियागंज स्टेशन से आगे पुल पर चेन पुलिंग कर आधा-आधा घंटा रोक देते हैं। ऊपर वाले अधिकारियों को भी सब पता है। लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं कि चेन पुलिंग न करें, लेकिन असर नहीं हो रहा है। आप खुद प्लेटफार्म पर मौजूद लोगों से पूछ लें, किसी के पास टिकट नहीं मिलेगा। टिकट को लेकर किसी यात्री से पूछिए तो कहते हैं कि टिकट क्यों लें, कुछ महिलाएं तो अभद्रता करने लगती हैं।
स्टेशन मास्टर के इस दावे का सच जानने के लिए हमने कई यात्रियों से बात की...
टिकट को लेकर गोलमोल जवाब देते रहे यात्री
रेल पटरी पर साथियों के साथ ललितपुर के तिलक सिंह यादव मिले। बताया कि भगवान बालाजी के दर्शन हो गए। पहली बार आए हैं। महाराज के दर्शन नहीं हुए। उनके साथ आए रामराज यादव ने बताया कि 30 बार आ चुके हैं। अभी तक महाराज से मुलाकात नहीं हुई। मंदिर का दर्शन कर चले जाते हैं। सामने से कई बार बाबा भी दिख जाते हैं।
राजपाल सिंह पहली बार आए हैं। बताया, मेरा बेटा एक साल तक लगातार यहां आता रहा है। इसके बाद मैं भी पहली बार आया हूं। दर्शन तो अच्छे से हुआ, पर अर्जी नहीं लगाई। ललितपुर के ही गोपाल सिंह यादव ने बताया, मैं 25 बार आ चुका हूं। उनके साथी हरपाल यादव दूसरी बार आए हैं। रघुराज सिंह ठाकुर 13 मंगलवार से लगातार बागेश्वर धाम आ रहे हैं। इनमें से किसी के पास टिकट नहीं मिला। बोले कि अभी बहुत समय है, ले लेंगे।
टिकट की कीमत तक नहीं पता, अलग-अलग दर बताते रहे
आगे प्लेटफॉर्म पर कई लोग दोपहर दो बजे टीकमगढ़ जाने वाली ट्रेन का इंतजार करते हुए मिले। किसी के पास ट्रेन टिकट नहीं था। कई यात्रियों से टिकट को लेकर सवाल किया, तो बोले कि अभी नहीं लिया है, ले लेंगे। आने के समय ट्रेन टिकट लेने के बारे में पूछा तो अगल-बगल देखने लगे। एक रुक कर बोला- हां लिया था। कितने का टिकट था? इसके जवाब अलग-अलग मिले। किसी ने 35 तो कुछ ने 50 और 70 रुपए बताए।
स्टेशन मास्टर के मुताबिक सही कीमत 70 रुपए है। ललाट पर चंदन लगाए कुछ महिलाएं मिली। प्लेटफार्म पर बैठी एक महिला से सवाल किया कि टिकट लिया क्या? बोलीं- ले लूंगी। ट्रेन आने में अभी समय है। दूसरे यात्री सुंदरम पटेल बोले कि टिकट लेने जा रहा हूं।
टीकमगढ़ की रामप्यारी बोली कि कैंसर की बीमारी है। दवा लेने दरबार में आई थी, लेकिन नहीं मिली। राम दरबार से पिछली बार दवा मिली थी। इस बार भीड़ के चलते वहां जा ही नहीं पाई। टिकट के बारे में बताया कि अभी ले लूंगी। टीकमगढ़ के अंशुल साहू भी बिना टिकट के मिले। उन्हें टिकट की दर तक पता नहीं था। उनके साथ मौजूद दीपक साहू बोले कि टिकट खरीदने जा रहा हूं। प्लेटफार्म पर 500 से अधिक लोग थे, लेकिन कोई भी टिकट नहीं दिखा पाया।
जवान बोले, बेटिकट को पकड़ें या यात्रियों की जान बचाएं
जीआरपी-आरपीएफ के कुछ जवान मिले। बात करते हुए उनका दर्द छलक पड़ा। बोले- हम 12 जवान एक शिफ्ट में होते हैं। जबकि, ट्रेन से उतरने वाले बेटिकट यात्रियों की संख्या हजारों में होती है। ऐसे में हम बेटिकट वालों को पकड़ें या फिर हड़बड़ी में उतरने वाले यात्रियों की जान बचाएं। अक्सर महिलाएं उतरते समय पायदान पर फंस जाती हैं। उन्हें बचाएंगे नहीं तो वे पटरी के नीचे आ जाएंगी। सुबह-शाम और रात तक हम जूझते रहते हैं।
पति से बिछड़ गई महिला रोते हुए मिली
प्लेटफार्म पर एक महिला रोते हुए मिली। बोली- पति ओमकार लापता हो गए। मेरे साथ आए थे। मैं चूड़ी खरीदने लगी। खुद का नाम सरोज कैनवारी जिला अशोकनगर की रहने वाली बताया। बोलीं- सोमवार (30 जनवरी) को पति ओमकार के साथ आई थी। मंदिर से लौटते समय भीड़ में बिछड़ गई। मैं स्टेशन आ गई, उनका पता नहीं चल रहा है। मोबाइल नंबर भी मेरे पास नहीं है। मैं पढ़ी लिखी भी नहीं हूं। मेरा दिमाग ठीक नहीं रहता है। इसी के लिए बागेश्वर धाम आई थी। इसके बाद वह रोते हुए पति को खोजने वापस बागेश्वर धाम चली गई।
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ब्रह्मेश्वर धाम उजड़ा तब बढ़ी बागेश्वर धाम की रौनक
सालभर पहले तक बागेश्वर धाम से 7 किलाेमीटर दूर टपरियन गांव के बालाजी मंदिर में एक और दरबार लगा करता था। यहां भी लाल, पीले, काले रंग के कपड़ों में नारियल बांधकर अर्जी लगाई जाती थी। सैकड़ों भक्त आते थे। प्रसाद और फूलों की दुकानें सजती थीं। मंगलवार और शनिवार को ब्रह्मेश्वर धाम में लगने वाले दिव्य दरबार में वैसे ही कथित चमत्कार हो रहे थे, जो अब बागेश्वर धाम में हो रहे हैं। अचानक एक दिन लवलेश महाराज पर दुष्कर्म की FIR हुई। महाराज को पुलिस ने गिरफ्तार किया और ब्रह्मेश्वर धाम बंद हो गया। पढ़िए पूरी खबर
बागेश्वर दरबार में अर्जी-चमत्कार का पूरा विज्ञान-गणित
ऐसा नहीं है कि पं. धीरेंद्र शास्त्री अंतर्यामी हैं और वे हर किसी के मन की पूरी बात जानते हैं। यदि ऐसा होता तो वे ये भी जान लेते कि कुछ पत्रकार धाम में खबर करने आए हैं? हम कौनसी खबर करने आए हैं? पहले भी हमने धाम के आसपास तालाब और मरघट की जमीनों पर बागेश्वर धाम के कब्जे की खबरें की हैं। हमने ये भी लिखा है कि धाम के लिए यहां श्मशान को बंद कर दिया गया है और तालाब को धीरे-धीरे पाटा जा रहा है। जब तक ये खबर प्रकाशित नहीं हो गई, तब तक धीरेंद्र शास्त्री को इस बात की जानकारी नहीं लगी थी। चमत्कार देखने और अर्जी की पूरी प्रोसेस समझने; चमत्कार, ट्रिक या ठगी के दावे का साइंस और गणित समझने के लिए भास्कर टीम 7 दिन बागेश्वर धाम और उसके आसपास रही। पढ़िए पूरी खबर
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