यदि आपके यहां 200 यूनिट तक बिजली खपत होती है, तो अक्टूबर महीने से 22 रुपए ज्यादा चुकाने होंगे। मध्यप्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को नवरात्र में महंगी बिजली का झटका लगा है। दरअसल, FCA (फ्यूल काॅस्ट एडजस्टमेंट) में 10 पैसे की बढ़ोतरी की गई है। इसके बाद अब उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 10 पैसे की बजाय 20 पैसे FCA देना होगा। बढ़ी हुई दरें 1 अक्टूबर से लागू हो जाएंगी। हालांकि 100 यूनिट तक बिजली की खपत करने वालों फिलहाल 100 रुपए ही देने होंगे। क्योंकि इसकी भरपाई सरकार बिजली कंपनियों को सब्सिडी देकर करती है।
पावर मैनेजमेंट कंपनी की प्रभारी CGM शैलेंद्र सक्सेना के मुताबिक हर तीन महीने में बिजली कंपनियां फ्यूल काॅस्ट का निर्धारण नियामक आयोग से कराती हैं। बिजली बनाने में कोयला परिवहन और फ्यूल की कीमतों के आधार पर FCA की दर निर्धारित होती है। कंपनियां बिजली दरों के अलावा उपभोक्ताओं से FCA चार्ज भी वसूलती हैं।
एक साल में बढ़े 37 पैसे प्रति यूनिट
बिजली कंपनियों ने एक साल में FCA में 37 पैसे की बढ़ोतरी कर दी। साल भर पहले कंपनियां माइनस 17 पैसे फ्यूल काॅस्ट वसूल रही थीं। अब ये 20 पैसे प्रति यूनिट है। रिटायर्ड मुख्य अभियंता राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि बिजली कंपनी ने बिना सूचना के फ्यूल चार्ज बढ़ा दिए हैं। ये एक तरह से उपभोक्ताओं से धोखा है। बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं पर भार लाद रही हैं।
इससे पहले अप्रैल और जुलाई में बढ़ाया था चार्ज
बिजली कंपनियों ने इसी साल अप्रैल में भी बिजली की दरों में बढ़ोतरी की थी। बिजली की कीमतों में औसतन 2.64 % की बढ़ोतरी की गई थी। इसमें घरेलू बिजली की दरों में 3 से 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। अप्रैल में एफसीए चार्ज बढ़ाया था। तब 6 पैसे प्रति यूनिट चार्ज लगाया गया था। इसे दूसरे तिमाही में बढ़ाकर 10 पैसे प्रति यूनिट कर दिया गया। अब तीसरे तिमाही में 10 पैसे बढ़ोतरी करते हुए इसे 20 पैसे प्रति यूनिट कर दिया गया है।
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क्या होता है FCA
FCA (फ्यूल काॅस्ट एडजस्टमेंट) यानि ईंधन लागत समायोजन वह राशि है जो बिजली कंपनी ईंधन या कोयले की अलग-अलग कीमत के आधार पर बिल में लागू होने वाली अतिरिक्त राशि होती है। कोयला या ईंधन की कीमत मांग और आपूर्ति के आधार पर हर महीने बदलती है। इसके चलते बिजली उत्पादन की लागत भी बदल जाती है। बिजली उत्पादन कंपनियां इसकी वसूली बिजली वितरण कंपनियों से करती हैं। वितरण कंपनियां ये चार्ज उपभोक्ता पर लगाती हैं। टैरिफ साल में एक बार तय होता है। वहीं, FCA त्रैमासिक (तीन महीने) पर निर्धारित होता है।
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