मशहूर लेखिका मन्नू (महेंद्र कुमारी) भंडारी का सोमवार को 90 की उम्र में हरियाणा के गुरुग्राम में निधन हो गया। रजनीगंधा, निर्मला, स्वामी, दर्पण फिल्मों की पटकथा लिखने वाली मन्नू भंडारी का मध्य प्रदेश से नाता रहा है। उनका जन्म 3 अप्रैल 1931 मंदसौर के भानपुरा में हुआ था। जब वे 6 साल की थीं, तब पिता सुखसंपतराय भंडारी के साथ अजमेर चली गई थीं।
उन्हें देश-विदेश में ख्याति 'महाभोज' व 'आपका बंटी' कहानी से मिली थी। मन्नू भंडारी को 2008 में उपाधिन्यास से सम्मानित किया गया। वे 1992 से 1994 तक विक्रम यूनिवर्सिटी उज्जैन की प्रेमचंद सृजन पीठ की डायरेक्टर थीं। उनके पिता सुखसंपतराय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता भी थे। उनकी शिक्षा भले ही राजस्थान में हुई, लेकिन बीच-बीच में कुछ काम से भानपुरा आईं।
अक्टूबर 2002 में अंतिम बार आई थीं मध्य प्रदेश
मन्नू भंडारी अंतिम बार अक्टूबर 2002 को पति साहित्यकार राजेंद्र यादव के साथ मध्य प्रदेश आई थीं। इस दौरान 4 दिन अपने काकाजी के स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल हुई थीं। उनके पिता सुखसंपतराय देश की पहली हिंदी टू इंग्लिश व इंग्लिश टू मराठी डिक्शनरी के लेखक थे। साथ ही, हिंदी पारिभाषिक कोष, ओसवाल जाति, माहेश्वरी जाति के इतिहास के लेखक थे।
1920 में पहला कांग्रेस कार्यालय उनके निवास में खुला था
जानकारी के अनुसार जिस मकान में मन्नू भंडारी का जन्म हुआ, वह आज भी अच्छी स्थिति में है। मकान की देखभाल के लिए एक व्यक्ति रखा हुआ है। बताया जाता है कि कांग्रेस का सबसे पहला कार्यालय 1920 में इनके निवास पर ही खुला था। महात्मा गांधी जब पहली बार इंदौर आए, तब मन्नू भंडारी के पिता सुखसंपत राय भंडारी ही स्वागत समिति के अध्यक्ष थे।
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