मध्यप्रदेश में करीब डेढ़ साल बाद 6वीं से लेकर 12वीं तक की क्लास के लिए बुधवार यानी 1 सितंबर से सप्ताह भर के लिए स्कूल खोले जा रहे हैं। हालांकि 50% की क्षमता से ही क्लास लगाने के निर्देश के कारण एक बच्चा सप्ताह में तीन ही क्लास अटेंड कर सकेगा। इस दौरान उन्हें पानी की बोतल से लेकर खाने तक का सामान ले जाना होगा।
पहले दिन की तैयारी को लेकर दैनिक भास्कर ने भोपाल, इंदौर, जबलपुर, शिवपुरी और रतलाम के सरकारी और निजी स्कूलों की ग्राउंड रिपोर्ट में बड़े शहरों में तो तैयारी ठीक दिखाई दी, लेकिन ग्रामीण और छोटे जिलों में हकीकत डराने वाली है। रतलाम में स्कूल में ताले तो शिवपुरी में स्कूल परिसर में भैंसें नजर आईं। तो देखते हैं कि बच्चे 5 घंटे तक स्कूल में कैसे रहेंगे और उनकी पढ़ाई कैसे होगी?
भोपाल से लाइव रिपोर्ट
प्रोफेसर कॉलोनी स्थित शासकीय विद्या विहार स्कूल में थर्मल स्क्रीन से लेकर सैनिटाइजर, मास्क और एक बेंच छोड़कर एक बेंच पर बच्चे के बैठने की व्यवस्था की गई है। स्कूल में पीने का पानी और खाना साथ लाने को कहा गया है। बच्चे ग्रुप में एक जगह जमा न हों इसलिए 10 शिक्षकों की एक कोरोना कामेटी भी बनाई गई है। इनका काम स्कूल में पूरी व्यवस्था बनाने से लेकर बच्चों को कोरोना गाइड लाइन का पालन कराने का है।
इसी तरह होशंगाबाद रोड पर प्राइवेट स्कूल ज्ञान गंगा इंटरनेशनल अकादमी में एक-एक बच्चे की थर्मल स्क्रीन से लेकर एक उचित दूरी बनाकर उसके क्लास तक पहुंचाने की जिम्मेदारी के लिए क्लास टीचर की ड्यूटी लगाई गई है। यहां कैंटीन तो है, लेकिन उसे शुरू नहीं किया गया है। इसमें बच्चों को क्लास में खाना खाने की अनुमति दी जाएगी। खाना उन्हें घर से लाना होगा। कोई भी बच्चा ग्रुप बनाकर नहीं रहेगा।
इंदौर में पेरेंट्स को वीडियो से स्कूल दिखाया
शासकीय अहिल्या आश्रम स्कूल की प्रिंसिपल सुनयना शर्मा ने बताया कि यहां 9वीं से 12वीं तक की क्लासेस पूरे कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए संचालित हो रही हैं, लेकिन छठी से आठवीं तक के विद्यार्थी छोटे होते हैं। इसलिए अवेयर करने के लिए पेरेंट्स-टीचर मीटिंग आयोजित की गई थी। इसमें पेरेंट्स को विश्वास दिलाया गया कि यहां आपके बच्चे पूरी तरह सुरक्षित हैं, आप चिंता न करें। उन्हें वीडियो फिल्म से पूरे स्कूल की कोरोना प्रोटोकॉल की व्यवस्था के बारे में बताया गया। यहां सैनिटाइजर, साबुन आदि की व्यवस्था की गई है।
उत्कृष्ट बाल विनय मंदिर में छठी से आठवीं तक के बच्चों के लिए 11 कमरे तैयार किए हैं। एक बेंच पर एक विद्यार्थी को ही बैठाया जाएगा। हर स्थान पर सैनिटाइजर की व्यवस्था की गई है। विद्यार्थी को प्रवेश देने के लिए पहले गेट पर ही पेरेंट्स की सहमति का दस्तावेज देना होगा। उसके बाद ही प्रवेश दिया जाएगा।
जबलपुर में सहमति पत्र के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया
जबलपुर में एक लाख छात्रों को लगभग 6 हजार शिक्षक पढ़ाएंगे। इसमें 97% शिक्षकों को वैक्सीन का पहला डोज लग चुका है। इसके लिए अभिभावकों को सहमति पत्र देना सोशल ग्रुप में भेजना पड़ेगा। सरकारी मॉडल स्कूल में 6वीं से 8वीं के कुल 300 के लगभग बच्चों की सहमति अभिभावक सोशल ग्रुप में दे चुके हैं। यहां सभी 10 टीचरों को पहला वैक्सीन लग चुका है। प्रधानाध्यापक उपमा गुप्ता के मुताबिक एक टेबल छोड़कर एक बच्चे को बैठाएंगे।
सेंट नार्बट स्कूल में भी तैयारी पूरी कर ली गई है। यहां सिर्फ गर्ल्स की पढ़ाई होती है। सिस्टर यशिका के मुताबिक 3000 छात्राएं हैं। 9वीं से 12वीं की क्लास पहले से संचालित हो रही है। अभी तक कोई परेशानी नहीं आई है। उनके स्कूल के सभी टीचर वैक्सीनेट हो चुके हैं। एक बेंच पर दो छात्राओं को बीच में गैप करके बैठाया जाएगा।
रतलाम के स्कूलों के ताले तक नहीं खुले
रतलाम शहर के जिला शिक्षा केंद्र परिसर में स्थित नवउन्नत माध्यमिक स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए कमरों की तैयारी अधूरी मिली है। स्कूल की कक्षाओं में फर्नीचर नहीं है। वहीं, एक कक्ष का ताला ही महीनों से नहीं खुला है और न ही यहां सफाई हुई है । यही हालात शहर के डीआरपी लाइन स्थित माध्यमिक विद्यालय के भी नजर आए जहां कोई भी शिक्षक और जिम्मेदार मौजूद नहीं थे। वहीं, विद्यालय के मुख्य द्वार पर ही स्कूल का कबाड़ और सामग्री पड़ी हुई है।
जिला मुख्यालय से सुदूर आलोट स्थित नारायण बालक माध्यमिक विद्यालय में बच्चों के बैठने और सोशल डिस्टेंसिंग के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है, लेकिन यहां छात्रों के अभिभावकों को सूचना दिए जाने के बावजूद अब तक किसी भी अभिभावक की सहमति स्कूल प्रबंधन को प्राप्त नहीं हुई है ।
शिवपुरी में स्कूल में भैंसें मिलीं
शिवपुरी में स्कूलों को लेकर सबसे खराब हालात नजर आए। यहां शिक्षकों की कोई तैयारी कहीं नजर नहीं आई। शहरी स्कूलों में कुछ जगह स्कूलों में ताले लगे मिले तो कुछ जगह शिक्षक थे, लेकिन ग्राउंड में गंदगी, कीचड़ दिखाई दी। ग्रामीण क्षेत्र के तो लगभग सभी स्कूलों में ताले लटके हुए थे। तानपुर को छोड़ कर एक भी ऐसा स्कूल नजर नहीं आया जहां कोई शिक्षक मिला हो। माध्यमिक विद्यालय रातोर में तो स्कूल परिसर में एक ग्रामीण अपनी भैसें घुसा कर घांस चरवा रहा था तो किचिन में एक महिला अपने बच्चों के साथ रह रही थी।
भास्कर की टीम पहुंचने पर ग्रामीण अपनी भैंसे लेकर वहां से चला गया, तो किचन में रह रहीं महिला सफाई देने लगीं कि वह कल शाम को ही बारिश के कारण इसमें आ गई थीं। स्कूल में कोई शिक्षक नहीं था।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.