प्रदेश में तीन महीने के दौरान चार लोगों की हंसते-खेलते मौत हाे गई। कारण हार्ट अटैक था। इनमें तीन लोगों की उम्र 20 से 35 जबकि एक की 67 साल थी, खुद डॉक्टर थे। दैनिक भास्कर ने इस तरह की हैरान करने वाली मौतों को लेकर एक्सपर्ट्स से चर्चा की। इसमें तीन बड़े कारण सामने आए। पहला है, एक्वायर्ड यानी हमारी लाइफस्टाइल। दूसरा खानपान और तीसरा कारण है आनुवांशिक। एक्सपर्ट्स का मानना है कि कई बार व्यक्ति को मौत के आने का पता ही नहीं चल पाता यानी वह साइलेंट होती है। इसी को साइलेंट किलर कहते हैं। एक्सपर्ट से जानते हैं इसके कारण, सावधानी और बचने के उपाय...
तीन बड़े कारण: डॉ. अशोक शर्मा, संचालक, मेडिकोलीगल इंस्टीट्यूट, भोपाल के अनुसार
1 - एक्वायर्ड
व्यक्ति की शारीरिक बनावट, लाइफ स्टाइल, डायबिटिक, प्रोफेशन, बीपी, हायपरटेंशन, एंग्जाइटी, चिंता और स्ट्रेस के कारण होता है। एक उम्र के बाद ओवर एक्टिविटी करने से भी कार्डियक अरेस्ट आ सकता है। ये धीरे-धीरे साइलेंट किलर का रूप ले लेती हैं।
2 - खानपान
ऐसे व्यक्ति जो अल्कोहल ज्यादा पीते हैं, फैटी चीजें, जंक फूड और कोलेस्ट्रॉल युक्त चीजें ज्यादा लेते हैं। इससे भी कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ता जाता है। इसका सीधा असर हार्ट पर पड़ता है। कई बार लोग बिना डॉक्टर की सलाह के कोई सप्लीमेंट ले लेते हैं। इससे फायदे से ज्यादा नुकसान होता है।
3- आनुवांशिक
कई बार हार्ट की धमनियां ज्यादा मोटी या ज्यादा पतली रहती हैं। इन्हें ज्यादा ब्लड की जरूरत होती है। पीएम रिपोर्ट में कई बार इसका खुलासा हुआ है। इसमें ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत होती है। ओवर एक्टिविटी, ओवर एक्जर्शन के कारण ऑक्सीजन और ब्लड सप्लाई कम होने पर कार्डियक अरेस्ट का खतरा रहता है।
अटैक के बाद पहला घंटा महत्वपूर्ण
भोपाल में जेके हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक त्रिपाठी के मुताबिक ठंड के सीजन में स्ट्रोक के केस बढ़ जाते हैं। हार्ट की नसें सिकुड़ती हैं। ब्लड क्लॉटिंग होती है। हार्ट में एब्नॉर्मल ब्लीडिंग होती है। ऐसे में पेशेंट के लिए पहला घंटा बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान, अगर व्यक्ति को प्रॉपर इलाज मिल जाए, तो जान बचाई जा सकती है।
सुबह 4 बजे से 9 बजे तक का समय खतरनाक
ग्वालियर में जीआरएमसी के कार्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पुनीत रस्तोगी ने बताया कि हार्ट अटैक के सबसे ज्यादा मामले सुबह 4 बजे से 9 बजे के बीच आए हैं। हाई बीपी, शुगर के मरीजों के लिए खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए बुजुर्ग सर्दी से बचाव रखें। अपना कमरा गर्म करके रखें। हार्ट अटैक होने पर तत्काल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है। किसी को अटैक आता है, तो पहले इमरजेंसी नंबर पर कॉल कर नजदीक के अस्पताल पहुंचाएं।
जागरूकता की कमी
शहर हो या गांव। देखने में आता है कि कई लोग शरीर के प्रति अवेयर नहीं रहते। छोटी-मोटी दिक्कत होने पर वह ध्यान नहीं देते। इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। व्यक्ति को शरीर के प्रति लापरवाह नहीं होना चाहिए। क्योंकि शरीर भी मशीन की तरह है। इसे भी समय-समय पर मेंटेनेंस की जरूरत पड़ती है।
शरीर पहले देता है चेतावनी
डॉक्टर के पास कब जाएं
फिर क्या किया जाए
वो मौतें जिनसे दंग था हर कोई
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