मध्यप्रदेश कोरोना की तीसरी लहर के पीक के करीब पहुंच गया है। IIT कानपुर के प्रोफेसर राजेश रंजन का दावा है कि तीसरी लहर का पीक आने का सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। वजह है कि टेस्टिंग कम होने से केस बढ़ते दिख रहे हैं। पॉजिटिविटी रेट भी नहीं घट रहा। हालांकि 1 या 2 फरवरी तक स्थिति साफ हो जाएगी। प्रदेश में कोरोना से मौत के आंकड़ों को लेकर उनका कहना है कि राज्य में मौतों का प्रतिशत 0.02 है। यही आंकड़ा देश और विश्व स्तर पर आमने आया है।
इंदौर में आया पीक, भोपाल में दो दिन बाद
प्रो. रंजन ने कहा कि इंदौर में 23 जनवरी को कोरोना का पीक आ चुका है। भोपाल में दो दिन बाद आ सकता है। यदि प्रदेश में कोरोना की रफ्तार और संक्रमण दर देखें, तो 1 या 2 फरवरी को यह पीक पर रहने के संकेत दे रहा है। प्रदेश में पिछले 24 घंटे में 9,305 मामले सामने आए हैं। जो बीते एक सप्ताह का एवरेज देखें, तो 9,604 आता है। 3 दिन पहले यह 8,627 था।
रोजाना सैंपल टेस्ट का आंकड़ा कम-ज्यादा
प्रो. रंजन का कहना है कि मध्यप्रदेश में पिछले 10 दिनों में रोजाना के सैंपल टेस्ट का आंकड़ा कम-ज्यादा होता रहा है। ऐसे में अगले दो दिन में आने वाले केस के बाद पता चलेगा कि एमपी में कोरोना का पीक आ चुका है या नहीं? हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि केस नहीं बढ़े, तो 1-2 फरवरी तक पीक आ जाएगा।
पॉजिटिविटी रेट में गिरावट नहीं
प्रो. रंजन ने बताया कि पिछले एक सप्ताह के आंकड़े देखें, तो मध्य प्रदेश में पॉजिटिविटी रेट में गिरावट नहीं आ रह रही है। उम्मीद थी कि 29-30 जनवरी को पॉजिटिविटी रेट 10% से नीचे आएगा। 27 जनवरी के बाद यह फिर बढ़ता दिख रहा है। यह राहत भरे संकेत हैं। यदि 7 दिन के डेटा का आकलन करें, तो पॉजिटिविटी रेट 13% से घट कर 11% हो गया है। यह राहत भरे संकेत हैं।
पीक की परिभाषा क्या है?
लगातार 15 दिन तक रिकवर होने वाले मरीज ज्यादा और नए संक्रमित कम मिलें, तो उसे पीक कहते हैं। पीक बताता है कि वायरस को अपना प्रसार करने के लिए ज्यादा लोग नहीं मिल रहे हैं। इसकी शुरुआत पॉजिटिविटी रेट गिरने या स्थिर होने से होती है।
आंकड़े भी नहीं पेश कर रहे सही तस्वीर
कोरोना की वर्तमान लहर में कई मामले एसिम्प्टोमेटिक रहे। कई में हल्के लक्षण रहे। ऐसे में आधिकारिक आंकड़ा सही तस्वीर पेश नहीं करता। बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जिन्हें संक्रमण हुआ भी तो पता नहीं चला होगा। कुछ शहरों में आक्रामक टेस्टिंग की वजह से ज्यादा मामले आ रहे हैं।
51 से 80 साल के मरीजों की मौत ज्यादा
कोरोना की तीसरी लहर में एक महीने में 74 मरीजों की इलाज के दौरान मौत हुई है। इसमें से 40 की उम्र 51 से 80 साल के बीच है। इसमें 32 पुरुष और 8 महिलाएं हैं। 80 साल से ज्यादा के कोरोना पॉजिटिव 11 लोगों की मौत हुई है। इसमें भी पुरुष 8 और 3 महिलाएं हैं। युवाओं में संक्रमण का असर कम है। यही वजह है कि 20 साल से कम केवल 4 लोगों की मौत हुई है। कोरोना से मरने वाले 19 लोगों की उम्र 21 से 50 साल के बीच है।
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