मध्यप्रदेश में कोरोना का पीक जनवरी के अंत में आएगा। IIT कानपुर के प्रोफेसर राजेश रंजन ने दावा किया है कि मध्यप्रदेश में कोरोना का पीक 3 दिन का होगा। इस दाैरान 15 हजार तक नए केस आ सकते हैं। संक्रमण की मौजूदा रफ्तार से संकेत मिलते हैं कि यहां पॉजिटिविटी रेट अगले एक सप्ताह में 15 से 20% तक पहुंच जाएगा। मप्र में रोजाना करीब 70 हजार टेस्ट हो रहे हैं। इस हिसाब से भी अधिकतम 14 हजार केस आएंगे।
प्रो. रंजन ने कहा कि देश में ओमिक्रॉन के फैलने की रफ्तार पर पिछले सप्ताह के अध्ययन से अनुमान लगाया गया था कि मप्र में रोजाना 20 से 25 हजार के बीच केस आएंगे, लेकिन दिल्ली-मुंबई पीक के करीब हैं। इस लिहाज से देखें, तो मध्यप्रदेश में संक्रमितों के सोमवार 10 जनवरी तक के आंकड़ों से पता चलता है कि मप्र में कोरोना के अधिकतम 15 हजार केस आने की आशंका है।
पीक की परिभाषा क्या है?
लगातार 15 दिन तक रिकवर होने वाले मरीज ज्यादा और नए संक्रमित कम मिलें, तो उसे पीक कहते हैं। पीक बताता है कि वायरस को अपना प्रसार करने के लिए ज्यादा लोग नहीं मिल रहे हैं। इसकी शुरुआत पॉजिटिविटी रेट गिरने या स्थिर होने से होती है।
MP में पीक कब आएगा, तीसरी लहर कमजोर कब होगी?
मप्र में तीसरी लहर का पीक जनवरी के अंत में आ जाएगा। यह 25 जनवरी के आसपास भी आ सकता है। इसके बाद हालात संभलने लगेंगे। ऐसी संभावना है कि फरवरी के पहले सप्ताह से तीसरी लहर कमजोर होने लगेगी।
12 साल तक के बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ। उन पर कितना असर होगा?
पहली और दूसरी लहर में भी बच्चे वायरस की चपेट में आए थे, लेकिन वे जल्दी ठीक हो गए थे। ऐसा नहीं है कि ऑमिक्रॉन बच्चों पर असर नहीं करेगा, लेकिन वे एक-दो दिन में ठीक हो जाएंगे। मुझे लगता है कि बच्चों के मामले में डरने की जरूरत नहीं है।
पॉजिटिविटी रेट और मृत्यु दर क्या हो सकती है?
यह स्पष्ट है कि देश में ऑमिक्रॉन ने डेल्टा को रिप्लेस कर दिया है। यह वैरिएंट ज्यादा घातक नहीं है। यही वजह है कि ICMR ने टेस्टिंग को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। संक्रमितों के संपर्क में आने वालों की टेस्टिंग नहीं होने से केस ज्यादा हो सकते हैं।
मप्र का डेटा देखें तो पॉजिटिविटी रेट अधिकतम 20% तक जाने की आशंका है। रहा सवाल मृत्यु दर का तो यह पूरी दुनिया में 1% से भी बहुत कम है। तीसरी लहर के दौरान केवल 3% मरीजों को ही अस्पताल की जरूरत पड़ेगी। ये वे मरीज होंगे, जिन्हें कोई गंभीर बीमारी है। इस दौरान सीनियर सिटीजन को एहतियात बरतने की जरूरत है।
मप्र में स्कूल खुले हैं, जबकि अन्य राज्यों में कॉलेज भी बंद हो गए। आपकी क्या राय है?
सरकार एक नंबर (संक्रमितों का आंकड़ा) का इंतजार करती है। यूपी में चार दिन पहले ही स्कूल बंद किए गए। मेरा मानना कि नंबर से ज्यादा ग्रोथ ज्यादा महत्वपूर्ण है। यदि सरकार जल्दी फैसले लेती है, तो संक्रमण को रोकने में फायदा होता है। हालांकि, मप्र में पैनिक नहीं होने वाला है। लोगों को घबराने की नहीं, बल्कि सावधान रहने की जरूरत है।
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