गो संरक्षण के लिए शिवराज सरकार गाय टैक्स (Cow Cess) लगाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके संकेत दिए हैं। उन्होंने गुरुवार को मध्य प्रदेश गो-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड की समीक्षा बैठक के दाैरान अफसरों को निर्देश दिए कि गो-ग्रास के लिए टैक्स लगाने की योजना बनाएं। इसके साथ ही जन-भागीदारी को भी बढ़ावा दिया जाए।
बता दें कि इसी तरह का टैक्स लगाने का मसौदा कमलनाथ सरकार में भी अफसरों ने तैयार किया था। शिवराज सरकार भी ऐसे ही विकल्पों के जरिए गायों के भरण-पोषण की तैयारी कर रही है। फर्क इतना है कि कमलनाथ सरकार महंगी कारों, स्टाम्प डयूटी और टोल प्लाजा की फीस बढ़ाकर गोशालाओं का निर्माण करना चाहती थी, लेकिन शिवराज सरकार गायों के चारे-भूसे की स्थाई व्यवस्था करने के लिए रजिस्ट्री, वाहन और शराब पर सेस लगाने के विकल्पों पर विचार कर रही है।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि कमलनाथ सरकार ने गो शालाएं खोलने के लिए धन जुटाने वन, राजस्व, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिवों की कमेटी का गठन किया था, जबकि शिवराज सरकार में मुख्यमंत्री की सैद्धांतिक सहमति के बाद गायों को पालने के लिए सेस लगाने पर गो-कैबिनेट की बैठक में विचार होगा। हालांकि अधिकारियों ने वाहनों की बिक्री, रजिस्ट्री और शराब पर सेस लगाने के विकल्प तैयार किए हैं।
इसलिए सेस लगाने की तैयारी
इस समय राज्य में करीब 1300 गोशालाएं हैं, जिनमें 1.80 लाख गायों को रखा गया है। बताया जाता है कि पिछली कमलनाथ सरकार ने बजट में प्रति गाय 20 रुपए का आवंटन किया था। पिछले वित्तीय वर्ष में पशुपालन विभाग का बजट 132 करोड़ रुपए रखा था, जबकि 2020-21 में तो यह सीधे 11 करोड़ रुपए हो गया, यानी लगभग 90 फीसदी की कटौती कर दी गई। यानी प्रति गाय सरकारी खुराक 20 रुपए से घटकर 1 रुपए 60 पैसे हो गई।
गो-शालाओं को सेवाभाव से करें विकसित
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गो-शालाओं के विकास के लिए स्वयंसेवी संगठनों को कार्य दिया जाए। स्वयंसेवी संगठन सेवाभाव रखकर गो-शालाओं को अच्छी तरह विकसित कर सकते हैं। उन्होंने अशासकीय स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित गो-शालाओं को अनुदान देने तथा प्रदेश की 6 गो-शालाओं को प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए।
गंगईवीर में गो-वंश वन विहार की स्थापना
मुख्यमंत्री ने जबलपुर जिले के गंगईवीर में गो-वंश वन विहार की स्थापना करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गंगईवीर में पशुपालन विभाग की 530 एकड़ भूमि में क्रमबद्ध तरीके से दो हजार गो-वंश को आश्रय दिया जा सकेगा।
नस्ल सुधार के हों प्रयास
उन्होंने कहा कि प्रदेश में गो-वंश एवं नंदी की नस्ल सुधार के विशेष प्रयास किए जाएं। उन्होंने गो-उत्पादों के विक्रय के लिए विशेष व्यवस्था बनाने एवं अधिकाधिक प्रचार-प्रचार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गो-फिनायल का उपयोग शासकीय कार्यालयों में किया जाए।
2200 गो-शालाएं बनेंगी
जानकारी के मुताबिक प्रदेश में 2200 गो-शालाएं बनाई जाएंगी। इनके संचालन समाजसेवी संस्थाओं को सौंपा जाएगा। गो-अभयारण्य को गो-पर्यटन का केन्द्र बनाया जाएगा। इसके लिए पर्यटन विभाग ने कार्य शुरू कर दिया है। प्रदेश में बंद किए गए 8 गो-सदन पुन: प्रारंभ किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने म.प्र. राज्य कृषि विपणन बोर्ड, मंडी बोर्ड आदि से प्राप्त राशि एवं व्यय की गई राशि का अनुमोदन किया।
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