मध्यप्रदेश में मानसून की विदाई के बाद भी दो दिन से तेज बारिश हो रही है। एक्सपर्ट कहते हैं कि ताजा बारिश का ठंड पर कोई असर नहीं होगा। उलटे अगले दो दिन बादल छाए रहने से गर्मी और उमस का अहसास होगा। उसके बाद धूप खिलने पर गुलाबी ठंड महसूस होने लगी। इसका भी ठंड की एंट्री से कोई लेना-देना नहीं है। सीजनल ठंड नवंबर के दूसरे सप्ताह से ही मध्यप्रदेश में असर दिखाएगी। दैनिक भास्कर ने तीन मौसम एक्सपर्ट्स से बात कर समझे इस बारिश के मायने और असर...
अचानक इतनी बारिश कैसे हो गई
मौसम वैज्ञानिक वेद प्रकाश सिंह और पीके साहा कहते हैं कि महाराष्ट्र में लो प्रेशर एरिया में बनने के कारण एक सिस्टम तैयार हुआ। वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण दक्षिण-पश्चिमी हवाएं और लो प्रेशर एरिया के कारण दक्षिण पूर्वी हवाएं आपस में टकरा गईं। इसी से बादल बरस रहे हैं।
क्या यह बारिश ठंड के आने का संकेत है, तापमान गिरेगा?
अभी तापमान बहुत ज्यादा कम नहीं होगा। बादल छाने से दिनभर की गर्मी ऊपरी वायुमंडल में वापस नहीं जा पाती है। इसके कारण तापमान में बढ़ोतरी होगी, इससे गर्मी बढ़ेगी। 20 अक्टूबर से धूप निकलने की संभावना है। तब दिन-रात के तापमान में गिरावट दर्ज होना शुरू होगी। 5 दिन बाद तापमान फिर बढ़ेगा। यह मिलीजुली स्थिति 8 नवंबर तक चलती रहेगी। 13 नवंबर के आसपास ठंड शुरू हो सकती है। यानी तापमान में गिरावट आएगी।
क्या अब कोहरा छाना शुरू हो जाएगा
अभी कोहरा नहीं देखने को मिलेगा। विजिबिलिटी सामान्य बनी रहेगी। कोहरा नवंबर से छाएगा। नवंबर में इस बार यह उन क्षेत्रों में भी रहेगा जहां सामान्यत: कोहरा नहीं रहता है। इनमें आलीराजपुर, धार, बड़वानी और बैतूल में सुबह के समय रहेगा, लेकिन विजिबिलिटी करीब 1 किमी तक रहेगी। यानी हल्का कोहरा।
ठंड के सीजन पर इस बारिश का क्या कोई असर पड़ेगा?
कोई असर नहीं होगा। ठंड आने की प्रक्रिया यथावत रहेगी जो कि नवंबर में ही असर दिखाएगी। यह जरूर है कि अब प्रदेश में अधिकतम औसतन तापमान 25 डिग्री के आसपास रहेगा। जबकि रात को 20-22 डिग्री तक बने रहेंगे।
फसल को नुकसान भी फायदा भी
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक जेडी मिश्रा ने बताया कि जहां भी फसल कट कर खेतों में है। ऐसे किसानों को बहुत नुकसान होगा। इसके अलावा, जहां फसल पक गई है, वहां फसल खराब होगी। इससे बीज खराब हो जाएंगे और हवा चलने से फसल बैठ जाएगी। इससे उत्पादन पर असर पड़ेगा। जहां अभी बोनी होने के बाद फसल आ गई है, वहां इससे फायदा होगा। कम पानी वाले जैसे दलहन, मटरी और मसूर को ज्यादा नुकसान नहीं है।
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