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भास्कर एक्सक्लूसिवआधा मानसून बीता...MP में 10 साल बाद सबसे ज्यादा बारिश:भोपाल में 45, इंदौर में 26 इंच गिरा पानी; जानें नदी-नाले, डैम से लेकर कहां कैसे हालात

भोपाल7 महीने पहलेलेखक: अनूप दुबे

मध्यप्रदेश में मानसून आधा सफर तय कर चुका है। नदी-नाले उफान पर हैं। तालाब और डैम भी लबालब हो चुके हैं। अभी तक हुई बारिश में ही सालभर का पानी जमा हो चुका है। अब तक 25 इंच बारिश होना चाहिए, जबकि अब तक साढ़े 28 इंच से ज्यादा पानी गिर चुका है। यह सामान्य से करीब 15 % ज्यादा है। बीते 10 साल में इस साल सबसे ज्यादा पानी गिरा है। पिछले साल इस दौरान 24 इंच बारिश हुई थी। प्रदेश के इलाकों की बात की करें, तो भोपाल-इंदौर समेत प्रदेश के मध्य में रिकॉर्ड तोड़ बारिश हो रही है, लेकिन सीमावर्ती इलाकों में बारिश न होने से संकट की स्थिति है। सबसे ज्यादा खराब हालात बुंदेलखंड और बघेलखंड के हैं। ग्वालियर-चंबल और मालवा-निमाड़ के अधिकांश इलाकों की स्थिति भी ज्यादा अच्छी नहीं है।

दैनिक भास्कर के साथ करिए अब तक बीते मानसून का सफर...

16 जून, जब मानसून ने प्रदेश में की एंट्री
16 जून, दिन गुरुवार। शाम का वक्त था, जब मानसून ने खंडवा-बैतूल के रास्ते मध्यप्रदेश में एंट्री की। यह मानसून अरब सागर से आया। 12 साल में 5वीं बार इतनी जल्द पहुंचा। वर्ष 2011 में सबसे पहले 10 जून को एंट्री ली थी। इसी दिन शाम को भोपाल में बारिश होती है। खजुराहो, नरसिंहपुर, बैतूल, नौगांव, दमोह, सतना, रीवा, मलाजखंड, ग्वालियर और गुना को भी जमकर भिगोया। पहली बारिश से गर्मी से थोड़ी राहत मिली। किसानों के चेहरे भी खिल उठे। भोपाल में तो तीन दिन रिमझिम होती रही, लेकिन इंदौर तरस गया।

बंगाल की खाड़ी के साथ अरब सागर में भी मानसून एक्टिविटी तेज होने से मानसून ट्रैक पर आया। भोपाल, जबलपुर, छिंदवाड़ा, सागर संभाग में 3 दिन बारिश हुई। श्योपुर में सीप, कदवाल और भादड़ी नदी उफान पर आ गई। पुल पर पानी आने से श्योपुर-ग्वालियर हाईवे पर जाम लग गया। बंजारा डैम भी ओवरफ्लो हो गया। भोपाल में पहली ही बारिश में बैरागढ़ में दीवार ढहने से एक की मौत हो गई। इंदौर में 23 जून की दोपहर तीन इंच बारिश हुई। 7 दिन की लगातार बारिश के बाद मानसून के तेवर नरम पड़े। 24 जून को पहला ब्रेक लिया। चार दिन के बाद 28 जून को छिंदवाड़ा में मानो जैसे बादल फट गए हों, करीब एक घंटे में 4 इंच पानी गिरा। तेज बहाव में बोदरी नदी पर हो रहे पुल निर्माण के चलते बनाया गया डायवर्जन रोड बह गया। बुलडोजर बहते नजर आए। छिंदवाड़ा-नागपुर मार्ग बंद हो गया। प्रदेश में 28 और 29 जून को बिजली गिरने से 9 लोगों की मौत हो गई। प्रदेशभर में जून महीने में 4.75 इंच बारिश हुई। सामान्य तौर पर 5.56 इंच पानी गिरता है।

भोपाल में इस सीजन खूब पानी गिरा। राजधानी कई बार तरबतर हुई।
भोपाल में इस सीजन खूब पानी गिरा। राजधानी कई बार तरबतर हुई।

जुलाई में जब केंद्रीय मंत्री सिंधिया के बंगले में घुसा पानी
भोपाल में जुलाई महीने के पहले ही दिन ढाई घंटे में सवा तीन इंच पानी गिरा। कॉलोनियों में पानी भर गया। यह सीजन में पहली बार रहा, जब एक दिन में सबसे ज्यादा पानी गिरा। नर्मदापुरम में 5.5 इंच, बैतूल में 5 इंच, देवास व सीहोर में 4.5-4.5 इंच पानी गिरा। नर्मदापुरम के तवा डैम मे 30 घंटे में 5 फीट पानी बढ़ा। दूसरे दिन इंदौर में भी रिमझिम हुई। 3 जुलाई को भोपाल, खंडवा, सागर,और ग्वालियर भी तर हो गए। 5 जुलाई को बारिश ने आफतें बढ़ाना शुरू कर दिया। इंदौर में करीब तीन घंटे में 3.6 इंच पानी गिरा। औबेदुल्लागंज में सुखतवा के नए पुल पर डेढ़ फीट पानी आने से भोपाल-नागपुर हाईवे पहली बार बंद करना पड़ा। बैतूल में भौंरा नदी भी उफना गई।

1 जून से 9 जुलाई तक बिजली गिरने से 18 लोगों की मौत हुई। फिर आया वह दिन (10-11 जुलाई) जब सीजन की सबसे ज्यादा बारिश हुई। 24 घंटे में भोपाल में सवा पांच इंच पानी गिरा। यह इस सीजन में अब तक की सबसे ज्यादा बारिश थी। विदिशा में 15-16 जुलाई को तवा डैम के 11 गेट खोलना पड़े। 6 साल बाद यह पहला मौका रहा, जब तवा के गेट जुलाई में ही खोलने पड़ गए, इससे पहले 2016 में 9 जुलाई को गेट खुले थे। प्रदेश के 15 जिलों में सबसे कम बारिश हुई है। सीधी और रीवा के हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। यहां अब तक कोटे की 60% से कम बारिश हुई है। 20 जुलाई तक भोपाल, जबलपुर, नर्मदापुरम और मालवा-निमाड़ में हो रही जोरदार बारिश से नर्मदा, ताप्ती, बेतवा, शिप्रा नदी समेत कई नदी-नाले उफान पर आ गए। भदभदा डेम के गेट खोले गए। 2016 के बाद पहला मौका रहा, जब जुलाई में गेट खोलने पड़े। ओंकारेश्वर डैम के 13 गेट, नर्मदापुरम के तवा डैम के भी 13 गेट खोले गए। आगर-मालवा में 25 जुलाई को स्कूल पर बिजली गिरने से 3 बच्चों की मौत हो गई। उधर, भोपाल में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सरकारी बंगले में पानी घुस गया। जुलाई महीने में 15.32 इंच बारिश प्रदेश में हुई। सामान्य तौर पर 12.36 इंच पानी गिरता है।

इंदौर में मानसून देरी से आया, लेकिन दुरुस्त आया।
इंदौर में मानसून देरी से आया, लेकिन दुरुस्त आया।

अगस्त में बारिश ऐसी कि शिवपुरी में मगरमच्छ शहर में आ गए
अगस्त महीने की शुरुआत में मानसून की रफ्तार कुछ कम पड़ी। 3 अगस्त से बारिश ने फिर से कहर बरपाना शुरू कर दिया। बड़वानी में राजघाट रोड पर सरदार सरोवर बांध का बैक वॉटर फैलने लगा। नर्मदा का जलस्तर 131.8 मीटर पर पहुंच गया। 5 अगस्त को बिजली गिरने से 7 लोगों की मौत हो गई। सबसे ज्यादा इंदौर में 4 इंच पानी गिरा। 8 और 9 अगस्त को ग्वालियर में सबसे ज्यादा 4 इंच पानी गिरा। श्योपुर में नदी-नाले उफना गए। विजयपुर (श्योपुर) शिवपुरी और ग्वालियर से जोड़ने वाले स्टेट हाईवे स्थित जंगल के नाले पर बने पटपढ़ा और चंदेली रपटे डूब गए।

मध्यप्रदेश में करीब 7 दिन के ब्रेक के बाद 10 अगस्त से सिस्टम फिर एक्टिव हो गया। राजधानी भोपाल में 6 घंटे में करीब ढाई इंच बारिश हुई। इंदौर में मूसलधार बारिश हुई। सड़कों पर सैलाब नजर आया। कई कारें तेज बहाव में पलट गईं।12 अगस्त तक ऐसे हालात बने कि कई बांधों के गेट खोलकर पानी छोड़ना पड़ा। भोपाल-इंदौर में भी दिनभर में एक इंच बारिश हुई। 14 अगस्त को शिवपुरी में भारी बारिश हुई। बारिश का पानी गलियों, सड़कों और मकानों में भर गया। नाले में कार बह गई, कई बाइकें भी पानी में बहती दिखीं। शहर में तीन मगरमच्छ भी घुस गए। 8 फीट लंबा मगरमच्छ पानी में दिखाई दिया। 1 से 14 अगस्त तक 6.64 इंच बारिश हो चुकी, जबकि 6.36 इंच पानी गिरता है।

शिवपुरी में भारी बारिश से नदी-नाले उफना गए। शहर में मगरमच्छ घुस आए।
शिवपुरी में भारी बारिश से नदी-नाले उफना गए। शहर में मगरमच्छ घुस आए।

बीते 10 साल में सबसे ज्यादा बारिश

इस साल बारिश ने बीते 10 साल के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पिछले 10 साल में सबसे ज्यादा बारिश वर्ष 2013 (24 इंच) के बाद 2021 में 24 इंच हुई थी। यह आंकड़े 1 जून से 31 अगस्त तक की बारिश के थे, लेकिन इस साल 15 अगस्त तक ही रिकॉर्ड 28 इंच से ज्यादा बारिश हो चुकी है। अभी 15 दिन बाकी हैं। तीसरे सप्ताह में भी भारी से भारी बारिश का अलर्ट मौसम विभाग ने जारी किया है। जानते हैं कि मानसून के आधे सफर में किस क्षेत्र को क्या मिला।

आंकड़े मौसम विभाग के मुताबिक।
आंकड़े मौसम विभाग के मुताबिक।

यहां झमाझम बारिश (ब्लू)

मध्यप्रदेश के मध्य में मानसून ज्यादा मेहरबान है। सबसे ज्यादा बारिश बैतूल में 46 इंच तक हो चुकी है। श्योपुर, नीमच, गुना, राजगढ़, आगर-मालवा, भोपाल, विदिशा, शाजापुर, सीहोर, देवास, इंदौर, हरदा, खंडवा, बुरहानपुर, बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी और नर्मदापुरम में कोटे का 30% से लेकर 75% तक ज्यादा पानी गिर चुका है।

आंकड़े मौसम विभाग के मुताबिक।
आंकड़े मौसम विभाग के मुताबिक।

यहां कुछ राहत की बारिश (ग्रीन)

मंदसौर, रतलाम, उज्जैन, धार, बड़वानी, खरगोन, मुरैना, भिंड, ग्वालियर, शिवपुरी, अशोकनगर, सागर, रायसेन, नरसिंहपुर, जबलपुर, मंडला, अनूपपुर, उमरिया, शहडोल, बालाघाट, पन्ना और छतरपुर में बारिश सामान्य हुई है। (मौसम विभाग सामान्य से 19% कम और ज्यादा बारिश को सामान्य बारिश मानता है।)

यहां सूखे के हालत (रेड)

मध्यप्रदेश में एक ओर जहां झमाझम बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं। वहीं यूपी, बिहार, छत्तीसगढ़ और राजस्थान से सटे जिलों में सूखे का संकट है। इसमें दतिया, टीकमगढ़, निवाड़ी, सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली, कटनी, दमोह, डिंडोरी, झाबुआ और अलीराजपुर रेड जोन में हैं। यहां पर सामान्य 21% से लेकर 44% तक कम पानी गिरा है।

आंकड़े मौसम विभाग के मुताबिक।
आंकड़े मौसम विभाग के मुताबिक।

छत्तीसगढ़ और यूपी से सटे इलाकों में अभी मानसून सक्रिय नहीं

रिटायर्ड वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक जेडी मिश्रा ने बताया कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के कारण इंदौर, उज्जैन, खंडवा, रतलाम, बैतूल, खंडवा, रायसेन, देवास, हरदा, भोपाल, नर्मदापुरम, विदिशा, सीहोर, गुना और राजगढ़ में ज्यादा बारिश हो रही है। गुजरात, छत्तीसगढ़ और यूपी से सटे जिलों में मानसून अभी तक ज्यादा एक्टिव नहीं हो पा रहा है। इसके कारण यह हालत बने हैं।

साल भर के लिए पर्याप्त पानी, फसलों के लिए अच्छा: कृषि वैज्ञानिक

कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरके जायसवाल ने बताया कि रबी की फसल के लिए बांधों में पर्याप्त पानी भर चुका है। मेजर प्रोजेक्ट में भी पानी का लेवल अच्छा हो गया है। बीच-बीच में मौसम खुलना फसलों की ग्रोथ के लिए अच्छा है। उन खेतों में फसलों को नुकसान हो सकता है, जहां खेतों में पानी भरा हुआ है। चावल की खेती के लिए यह पानी अच्छा है।

आगे क्या- आज भी बारिश के आसार

वर्तमान में उत्तरी बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर एरिया चक्रवातीय गतिविधियां सक्रिय है। उत्तरी अरब सागर में सक्रिय वैरी लो प्रेशर एरिया के कमजोर होने की संभावना है। मानसून ट्रफ जोधपुर-शिवपुरी और सीधी-जमशेदपुर-दीघा होते हुए बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर एरिया तक फैली है। दक्षिणी राजस्थान तक अन्य ट्रफ लाइन गुजर रही है। दक्षिणी गुजरात से महाराष्ट्र तट तक अपतटीय ट्रफ सक्रिय है। इससे मंगलवार को अच्छी बारिश की संभावना है।

आंकड़े मौसम विभाग के मुताबिक।
आंकड़े मौसम विभाग के मुताबिक।
आंकड़े मौसम विभाग के मुताबिक।
आंकड़े मौसम विभाग के मुताबिक।
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