किसी अफसर के बंगले पर घरेलू काम के लिए कितने लोग हो सकते हैं? 1,2,3,4... लेकिन भोपाल में पदस्थ एक IPS अधिकारी ऐसी भी हैं जिनके सरकारी बंगले पर 44 कॉन्स्टेबल सेवा में लगे हैं। इनमें कुक से लेकर माली तक शामिल हैं। दैनिक भास्कर के पास यहां तैनात लोगों के नाम और मोबाइल नंबर के साथ पूरी लिस्ट है।
ये अधिकारी हैं विशेष सशस्त्र बल (SAF) मध्य क्षेत्र भोपाल की DIG कृष्णा वेणी देशावतु। इनके बंगले पर इतनी संख्या में कॉन्स्टेबल काम पर लगाने की जानकारी मिलने पर जब दैनिक भास्कर ने लगातार दो दिन तक पड़ताल की, तो 32 कॉन्स्टेबल बंगले पर ड्यूटी करते मिले। इस बारे में DIG का कहना है कि नियम से अधिक एक भी ट्रेड कॉन्स्टेबल तैनात नहीं है। वहीं, SAF के ADG साजिद फरीद शापू ने तो इस बारे में बात करने से ही इनकार कर दिया।
2007 बैच की IPS अधिकारी कृष्णा वेणी देशावतु के यहां नियमानुसार 2 अर्दली (फोर्थ ग्रेड कर्मचारी) रखे जा सकते हैं, लेकिन उनके 74 बंगला स्थित आवास D-10 पर हमेशा स्टाफ की भीड़ रहती है। ये सभी शिफ्ट के मुताबिक घरेलू काम करने आते हैं। बेड-टी तैयार करने से लेकर खाना बनाने का जिम्मा इन्हीं कॉन्स्टेबल का है। इनमें से कुछ झाड़ू-पोछा भी करते हैं, तो कुछ कपड़े धोने और चौकीदारी का काम कर रहे हैं। इनमें 4 माली भी शामिल हैं जो गार्डन को पूरी मुस्तैदी से मेंटेन करते हैं। कृष्णा वेणी देशावतु के पति श्रीकांत बनोट माध्यमिक शिक्षा मंडल में हैं। इनके कोटे से 12 कर्मचारी बंगले पर रखे गए हैं।
हिसाब लगाया जाए, तो यहां काम करने वाले कॉन्स्टेबल को सरकारी खजाने से 27 लाख रुपए से ज्यादा का भुगतान हर महीने किया जा रहा है। प्रत्येक कॉन्स्टेबल की औसत सैलरी करीब 50 हजार रुपए महीना है।
बात रखना हो तो वर्दी में ऑफिस जाना पड़ता है…
दैनिक भास्कर ने बंगले पर तैनात कुछ कॉन्स्टेबल से बात करने का प्रयास किया, लेकिन कोई भी ऑन कैमरा बात करने को राजी नहीं हुआ। एक कॉन्स्टेबल ने कहा– मैडम को अपने घर में सारा काम बहुत परफेक्ट चाहिए होता है। छोटी सी गलती करने पर इन्क्रिमेंट रोकने जैसी सख्ता सजा देती हैं। हमें अपनी समस्या और बात रखने के लिए वर्दी में ऑफिस जाना पड़ता है।
बच्चों को पढ़ाते हैं, उन्हें संभालना भी पड़ता है
बंगले में कार्यरत 6 महिला आरक्षकों की ड्यूटी बच्चों को संभालने और पढ़ाने की है। एक महिला कॉन्स्टेबल मैडम के साथ मॉर्निंग वॉक पर भी जाती है। महिला आरक्षकों में एक जिला पुलिस बल देवास की और दूसरी GRP इंदौर की है। अन्य 23 बटालियन की हैं। ये कॉन्स्टेबल मौखिक आदेश पर बंगले पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
रिटायर्ड अफसरों के यहां भी काम कर रहे ट्रेड कॉन्स्टेबल
23वीं बटालियन के कमांडेंट यूसुफ कुरैशी के बंगले पर भी 25 से अधिक कर्मी कार्यरत हैं। स्पेशल DG शैलेष कुमार सिंह, ADG EOW अजय शर्मा और DGP सुधीर सक्सेना के यहां भी बड़ी संख्या में ऐसे ही ट्रेड आरक्षक कार्यरत हैं। रिटायर्ड DGP नंदन दुबे, रिटायर्ड ADG अरुणा मोहन राव और राजीव टंडन के यहां भी ट्रेड आरक्षक मौखिक आदेश पर कार्यरत हैं। 25 व 23 बटालियन से अधिक भेजे जा रहे हैं।
CM की तल्खी का भी तोड़ निकाला, मौखिक आदेश से करा रहे काम
IPS अधिकारियों के बंगले पर दो अर्दली (चतुर्थ श्रेणी) रखने का नियम है। आरक्षक यानी कॉन्स्टेबल क्लास-3 में आते हैं। किसी के बंगले पर आरक्षक या हवलदार रखने का प्रावधान नहीं है। ट्रेड आरक्षकों का किसी के बंगले में चाकरी के तौर पर प्रयोग नहीं कर सकते हैं। इस तरह का कोई लिखित आदेश या नियम नहीं है। DIG SAF मध्य क्षेत्र भोपाल के अंतर्गत 7, 10, 23 व 25 बटालियन आती है।
10वीं बटालियन जहां सागर में है। वहीं 7, 23 व 25 बटालियन भोपाल में है। अधिकारियों के बंगले पर सबसे अधिक 23 व 25 बटालियन के ट्रेड आरक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। पूर्व में CM ने बंगले पर जवानों की तैनाती को लेकर तल्खी दिखाई थी। उन्होंने इस तरह के VIP कल्चर को लेकर नाराजगी जताई थी। तब मौखिक व्यवस्था बनाई गई थी कि IG स्तर तक के अधिकारी के यहां 8 ट्रेड आरक्षक काम करेंगे।
अफसरों ने अपने यहां नौकरी कराने के लिए नियम ही बदल दिए
दरअसल, अफसरों के यहां जो भी घर का काम रहे हैं, वे ट्रेड कॉन्स्टेबल हैं। इनकी भर्ती भी इसी पदनाम से होती है। जो और जहां-जहां बटालियन जाती है, वहां ये अफसरों व जवानों की मदद के लिए तैनात होते हें। इनमें कुक से लेकर स्वीपर तक शामिल रहते हैं। 2013 से पहले यह प्रावधान था कि पांच साल नौकरी करने के बाद ट्रेड कॉन्स्टेबल को परीक्षा और प्रशिक्षण के बाद GD (जनरल ड्यूटी) में शामिल कर लिया जाता था, लेकिन अफसरों ने 2013 में एक आदेश से इस व्यवस्था को ही खत्म कर दिया। इसके बाद SAF में 5,500 ट्रेड आरक्षक पिछले 10 सालों से GD (जनरल ड्यूटी) के इंतजार में गुलामी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
10 साल से आरक्षक GD के पद के विलय पर रोक
1993 में एक विभागीय परिपत्र जारी कर ट्रेडमैन आरक्षकों को पांच साल की सेवाकाल के बाद आरक्षक GD के पद पर संविलियन (शामिल) करने का नियम बनाया गया था। ये व्यवस्था जून 2013 तक लागू रही। 19 जून 2013 को नया परिपत्र जारी कर इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया। 6 मार्च 2017 को विधानसभा में विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार ने ये मामला उठाया था।
मौजूदा गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने 24 मार्च 2022 को गृह विभाग को पत्र के माध्यम से ट्रेड आरक्षकों के संविलियन को जारी करने को कहा था। 28 मार्च 2022 को अप्रूवल के लिए पुलिस हेडक्वार्टर भेजा गया, जो आज तक नहीं मिला है। पूर्व DGP विवेक जौहरी ने इसे लेकर चार सदस्यीय कमेटी भी बनाई थी। कमेटी की रिपोर्ट भी अब तक सामने नहीं आई है।
हाईकोर्ट के आदेश से कई करा चुके हैं संविलियन
हाईकोर्ट में याचिका के माध्यम से ट्रेडमेन धोबी के पद पर कार्यरत आरक्षक गनेश प्रसाद रजक ने 16 जनवरी 2020 को छतरपुर जिले में आरक्षक GD के पद पर संविलियन का लाभ लिया है। इसी तरह हाईकोर्ट के आदेश पर मंदसौर में टेंट खलासी ट्रेड के आरक्षक रमेशचंद्र खारोल 30 मई 2019 को जीडी आरक्षक के पद पर संविलियन का लाभ प्राप्त कर चुके हैं।
सरकार के खजाने पर 312 करोड़ का बोझ
अफसरों के कपड़े धोने, घर की सफाई, जूते पॉलिश करने वाले ऐसे नॉन टेक्निकल ट्रेड आरक्षकों की संख्या इस समय मध्यप्रदेश में 5,500 है। ये पिछले 10 साल से GD आरक्षक में संविलियन के इंतजार में हैं। इन आरक्षकों में 27 हजार से 67 हजार रुपए महीने के वेतन वाले शामिल हैं। इनके वेतन पर हर महीने 24 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। मतलब सालाना वेतन खर्च को जोड़ लें तो ये 312 करोड़ होता है। एक तरफ सरकार करोड़ों रुपए घरेलू काम कर रहे आरक्षकों पर खर्च कर रही है। दूसरी ओर मैदानी अमले की भारी कमी से पुलिसिंग प्रभावित हो रही है। संविलियन होने से मैदानी अमले की कमी पूरी हो सकती है।
ADG ने कहा- इस मामले में मेरा कोई कमेंट नहीं
IPS अधिकारियों के बंगले पर ट्रेड आरक्षकों की तैनाती को लेकर ADG SAF साजिद फरीद शापू से भास्कर ने इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा- इस मामले मेरा कोई कमेंट नहीं है। 23 बंगले पर ट्रेड आरक्षकों सहित 56 कर्मियों की तैनाती के संबंध में IPS कृष्णा वेणी देशावतु से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने भी कमेंट करने से मना कर दिया। ऑफ कैमरा बस इतना बोलीं- मेरे बंगले सहित किसी भी अधिकारी के बंगले पर नियम के मुताबिक ही ट्रेड आरक्षक तैनात हैं। 40-45 का तो सवाल ही नहीं उठता है।
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