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देशभर में 16 जनवरी से कोरोना वैक्सीनेशन शुरू किया जा रहा है। इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम सभी मुख्यमंत्रियों से वर्चुअल मीटिंग करेंगे। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बताएंगे कि मध्य प्रदेश में 4 लाख फ्रंट लाइन कोरोना वॉरियर्स स्वास्थ्य कर्मियों को 5 दिन में कैसे वैक्सीन लगाई जाएगी। मुख्यमंत्री बैठक में इसके रोडमैप से पीएम मोदी को अवगत कराएंगे। मप्र में वैक्सीनेशन की रिहर्सल में अधिकांश स्वास्थ्यकर्मियों को शामिल किया था, ताकि दिक्कत ना आए। मध्य प्रदेश को पहले चरण में वैक्सीन के 5 लाख डोज मिलने वाले हैं।
रोडमैप के अनुसार पहले 4 लाख डोज स्वास्थ्य कर्मियों को लगाए जाएंगे। इसके बाद शेष 1 लाख डोज सीनियर सिटीजन और बीमारियों से जूझ रहे जरूरतमंदों को लगाएंगे। हालांकि स्वास्थ्य मंत्री डा. प्रभुराम चौधरी का कहना है कि रेडमैप में आवश्यकतानुसार बदलाव भी किया जा सकता है।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि कोरोना वैक्सीनेशन के लिए तैयारी लगभग अंतिम चरण में है। वैक्सीन स्टोर से लेकर वैक्सीन सेंटर तक का खाका खींचा जा चुका है। हर स्तर पर इसकी सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं। मध्यप्रदेश में स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना का टीका सरकारी अस्पतालों में लगाया जाएगा। इसके बाद बुजुर्गों, बीपी, डायबिटीज और कैंसर जैसे रोगों से जूझ रहे मरीजों को टीका लगाया जाएगा।
केंद्र सरकार ने पहले 65 साल से ऊपर के लोगों को टीका लगाने का निर्णय लिया था, लेकिन अब 50 साल से ऊपर के सभी लोगों को टीका लगाने पर सहमति बनी है। प्रदेश की आबादी में 50 साल के ऊपर के करीब 20% लोग हैं। करीब 4% आबादी डायबिटीज, 10% से 12% ब्लड प्रेशर से पीड़ित है।
1 घंटे में सेंटर में पहुंचेगा वैक्सीन
वैक्सीन के स्टोरेज वाले कोल्ड चेन पॉइंट वैक्सीनेशन सेंटर के इतने निकट बनाए गए हैं कि 1 घंटे के भीतर वैक्सीन वहां पहुंचाई जा सके। पूरे प्रदेश में इन कोल्ड चेन पॉइंट की संख्या 1214 है। इन पॉइंट के मामले में मध्य प्रदेश देश में दसवें नंबर पर है, जबकि वैक्सीन लगवाने वालों की संख्या 1 करोड़ से ज्यादा है। इसके मद्देनजर 62 और पॉइंट बनाए जा रहे हैं। प्रदेश के 4 शहरों को 9 लाख डोज दिए जाएंगे। इसमें से इंदौर को जहां 2.52 लाख और भोपाल को 1. 89 लाख डोज दिए जाएंगे।
SMS से दी जाएगी सूचना
चिन्हित मरीजों को SMS भेजकर वैक्सीनेशन के लिए बुलाया जाएगा। इसके बाद भी कुछ ऐसे लोग छूट जाएंगे, जो सर्वे में शामिल नहीं हो पाए थे या फिर बाद में उन्हें बीमारी का पता चला है, ऐसे लोगों की पहचान के लिए अस्पतालों में अलग काउंटर बनाए जाएंगे। वह काउंटर पर जांच रिपोर्ट, अन्य चिकित्सकीय दस्तावेज दिखाकर वैक्सीनेशन के लिए अपना पंजीयन करा सकेंगे। जिन्हें अभी तक बीपी और शुगर की बीमारी का पता नहीं है, वह भी सरकारी अस्पताल में हफ्ते में दो बार जांच कराने के बाद बीमारी निकलती है, तो वह रजिस्टर्ड हो सकेंगे।
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