प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को आत्मनिर्भर नारी शक्ति संवाद कार्यक्रम में अनूपपुर जिले की कृषि सखी चंपा सिंह से बात की। पीएम मोदी से चंपा सिंह ने गरीबी के बीच जैविक खेती अपनाकर लाभ की बात बताई। उन्होंने बताया, कैसे नाॅन पेस्टीसाइट मैनेजमेंट (एनपीएम) को बढ़ावा देने के लिए जैविक खेती में नवाचार किया।
इसी दौरान, मोदी ने उड़ीसा के जंगलों में रहकर मजदूरी करने वाले भाइयों द्वारा गांव में खाने वाली चीजों की ऑनलाइन ब्रांडिंग कर सेलेब्रिटी बनने की कहानी सुनाई। पीएम ने महिलाओं से कहा कि जैविक खेती की वे भी ऑनलाइन ब्रांडिंग करें। इससे महिलाएं टेक्नोलॉजी का उपयोग कर और बेहतर कर सकेंगी। इसके लिए उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार को मदद करने की भी बात कही। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, जब नारी सशक्त होती है, तो परिवार ही नहीं समाज और देश सशक्त होता है।
इससे पहले चंपा सिंह ने बताया, वो कैसे बेहद गरीबी में पली-बढ़ी। महज 12वीं तक की पढ़ाई के बाद जैविक खेती में मेहनत से नया मुकाम हासिल किया। बता दें, चंपा सिंह राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत कृषि सखी मास्टर ट्रेनर के रूप अब तक पांच हजार से ज्यादा परिवारों को जैविक खाद (वर्मी कंपोस्ट) अपनाने के लिए प्रशिक्षण और प्रोत्साहन दे चुकी हैं।
गरीबी के बीच चंपा ने 12वीं तक पढ़ाई की
अनूपपुर जिले के आदिवासी बाहुल्य अंचल पुष्पराजगढ़ विकासखंड के सोनियामार गांव की निवासी चंपा सिंह 9 साल की थीं, तभी पिता तान सिंह का निधन हो गया। मां ने शहडोल बालिका छात्रावास में प्रवेश दिलवाकर चंपा को आठवीं तक पढ़ाया। इसके बाद आर्थिक परेशानियों के कारण वो गांव आ गईं। यहां रहकर ओपन स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई की। कुछ समय बाद भाइयों ने विवाह कर दिया और दो महीने बाद ही पति का भी निधन हो गया। फिर भी चंपा ने हार नहीं मानी।
5500 परिवारों को प्रशिक्षण दे चुकी हैं चंपा
वर्ष 2014 में चंपा आजीविका मिशन से जुड़ी और समूह बनाया। इसके बाद कृषि सखी के रूप में जैविक खेती से जुड़े प्रयोगों का प्रशिक्षण लेना शुरू किया। हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब में भी चंपा ने जैविक कृषि पद्धति का प्रशिक्षण लिया।
उन्हें हरियाणा के झज्जर विकासखंड में कार्य करने का मौका मिला। 15 दिन के मानदेय के रूप में पहली आय 11 हजार 600 रुपए हुई। इसके बाद उन्होंने जैविक खेती के प्रशिक्षण को ही मुख्य काम बना लिया। चंपा अब तक करीब 5500 परिवार को यह प्रशिक्षण दे चुकी हैं। एक बार के प्रशिक्षण के बदले 700 रुपए मानदेय प्राप्त होता है। चंपा स्वसहायता समूह की मदद से जैविक खाद और कीटनाशक भी तैयार करती हैं। जैविक कीटनाशक दवा पत्तियों, गोबर और गोमूत्र के माध्यम से तैयार किया जाता है।
कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए मिल चुका है सम्मान
अनूपपुर जिले में करीब 2 हजार किसानों ने उनसे प्रेरित होकर जैविक खेती अपना ली है। चंपा सिंह समूह की सदस्यों के साथ वर्मी कंपोस्ट, जैव- कीटनाशक बनाकर बिक्री भी कर रही हैं। चंपा की वार्षिक आय बढ़कर 2.97 लाख हो गई है।
चंपा को 5 मई 2018 को राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन भोपाल द्वारा कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कृत भी किया गया। इस बारे में राज्य ग्रामीण आजीविका परियोजना मिशन अनूपपुर, मध्य प्रदेश के मिशन प्रबंधक शशांक बताते हैं कि प्रधानमंत्री से चंपा का संवाद जिले की सभी महिलाओं के लिए गौरव की बात है।
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