OBC समुदाय के लिए आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27% करने के बाद अब शिवराज सरकार का फोकस आदिवासियों पर है। इस वर्ग के लिए आरक्षित बैकलॉग पदों को भरने की कवायद तेज हो गई है। जनजातीय भाषा और बोलियों को प्राइमरी के सिलेबस में शामिल करने की तैयारी है। यही नहीं, आदिवासी बाहुल्य जिलों में 6वीं से कौशल विकास और रोजगार से जुड़े विषय भी पाठ्यक्रम में जोड़े जा रहे हैं।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 18 सितंबर को गोंड राजा रघुनाथ शाह-शंकर शाह के शहीद दिवस पर जबलपुर में होने वाले कार्यक्रम में आदिवासियों के लिए कई ऐलान कर सकते हैं। आदिवासी गौरव दिवस पर 66 दिन के कार्यक्रम आयोजित करने का रोडमैप तैयार किया जा रहा है। इसकी शुरुआत 18 सितंबर को जबलपुर से की जाएगी। कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह विशेष तौर पर उपस्थित रहेंगे।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान आदिवासी बाहुल्य जिलों में 40 हजार छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया। इससे पहले 20 जिलों के 89 आदिवासी ब्लॉकों के करीब 2800 स्कूलों को बंद करने पर सरकार को इस वर्ग की नाराजगी झेलना पड़ी थी। अब सरकार की कोशिश स्कूली शिक्षा के साथ आदिवासी युवाओं को जोड़ने की है। इसके लिए स्वरोजगार के कोर्स शुरू किए जा रहे हैं।
आदिवासी युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की योजनाओं को प्राथमिकता से पूरा करने की कवायद शासन स्तर पर चल रही है। आदिवासी बेल्ट और आसपास उपलब्ध संसाधनों का बेहतरीन उपयोग करने के साथ ही स्वास्थ्य को लेकर रोडमैप तैयार किया गया है। आदिवासी बाहुल्य 5 जिलों में पीडीएस का राशन घर-घर पहुंचाने की योजना पर अफसर काम कर रहे हैं, हालांकि कौन से जिले होंगे, यह फिलहाल तय नहीं है।
आदिवासियों को सूदखोरों के चंगुल से निकालने के लिए चलेगा अभियान
आदिवासियों को सूदखोरों के चंगुल से निकालने के लिए अभियान भी चलाया जाएगा। इसके लिए सरकार अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति अधिनियम 2020 लागू कर चुकी है, लेकिन अब इसका क्रियान्वयन प्रभावी तरीके से किया जाएगा। सहकारी संस्थाओं में अध्यक्ष के पद पर अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति की नियुक्ति का प्रावधान किए जाने के लिए सहकारी अधिनियम में भी संशोधन का प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा, वनाधिकार अधिनियम के तहत सामुदायिक वनों के प्रबंधन के अधिकार ग्राम सभा को देने की घोषणा भी मुख्यमंत्री कर सकते हैं।
इसलिए हो रही कवायद
आदिवासी बहुल इस इलाके में 84 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 84 में से 34 सीट पर जीत हासिल की थी। वहीं, 2013 में इस इलाके में 59 सीटों पर BJP को जीत मिली थी। 2018 में पार्टी को 25 सीटों पर नुकसान हुआ है। वहीं, जिन सीटों पर आदिवासी उम्मीदवारों की जीत-हार तय करते हैं। वहां सिर्फ BJP को 16 सीटों पर ही जीत मिली है। 2013 की तुलना में 18 सीट कम है। अब सरकार आदिवासी जनाधार को वापस BJP के पाले में लाने की कोशिश में जुटी है।
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