आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए शिवराज सरकार ने एक और फैसला किया है। आदिवासी बाहुल्य मंडला, नीमच, मंदसौर, श्योपुर, सिंगरौली और राजगढ़ जिले में मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में भवन निर्माण के लिए प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। सरकार इस पर 1500 करोड़ रुपए खर्च करेगी। हालांकि, अभी निर्माण एजेंसी तय नहीं की गई है।
सरकार के प्रवक्ता डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया प्रदेश के आदिवासी बहुल जिलों में इलाज की सुविधा के लिए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की जा रही है। इन छह कॉलेजों को मिलाकर प्रदेश में 20 जिलों में मेडिकल कॉलेज हो जाएंगे।
प्रदेश सरकार ने बच्चियों से दुष्कर्म पर फांसी की सजा देने के विधेयक को वापस ले लिया है। वजह है कि इसमें किए गए सभी प्रावधानों को केंद्र सरकार ने केंद्रीय अधिनियम दंड विधि (संशोधन) अधिनियम 2018 में शामिल कर लिया था, जबकि मप्र सरकार विधानसभा में पारित विधेयक मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा था। चूंकि यह कानून पूरे देश में लागू हो चुका है, इसलिए केंद्र सरकार ने अब राज्य के विधेयक को वापस लेने का अनुरोध किया था।
सीमेट प्रशासन अकादमी से अलग
राज्य शैक्षणिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमेट) को प्रशासन अकादमी से अलग किया जाएगा। बैठक में इसकी मंजूरी मिल गई है। बता दें कि 2010 में इसकी स्थापना प्रशासन अकादमी की यूनिट के रूप में की गई थी। इसके साथ ही मध्यप्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी, मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी और तीनों विद्युत वितरण कंपनियों की परियोजनाओं के लिए 1,818 करोड़ रुपए की योजना को मंजूरी दी गई है।
बैठक में राज्य वित्त निगम द्वारा भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) से लिए लोन का निपटारा एकमुश्त समझौता योजना के माध्यम से करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। सिडबी ने 90 करोड़ रुपए पर एकमुश्त समझौता करने की सैद्धांतिक सहमति दी है, जो किस्तों में देना होगा। शासन यह राशि निगम को लघु अवधि के लिए लोन के रूप में देगा, जिसका भुगतान वह अपना नवनिर्मित व्यावसायिक कार्यालय भवन को बेचकर करेगा।
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