बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री को ठग कहने वाले श्याम मानव की भी इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति से जुड़े श्याम मानव ने ही महाराष्ट्र में जादू टोना के खिलाफ 2013 में कानून बनवाया था। उन्होंने बागेश्वर सरकार के दिव्य दरबार में हो रहे कथित चमत्कारों को ठगी कहते हुए इसी कानून के तहत शिकायत की है, लेकिन 200 से ज्यादा बाबाओं का भांडाफोड़ कर चुके श्याम की शिकायत पर इस बार महाराष्ट्र सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया।
दैनिक भास्कर ने श्याम मानव से नागपुर में खास बातचीत की। उन्होंने कहा- यदि बागेश्वर सरकार चमत्कार से ये बता सकते हैं कि किसकी अलमारी में क्या रखा है और किसका नाम क्या है तो वे ये भी बता सकते हैं कि कहां बम रखा है। मोदी सरकार को दिव्य शक्ति वाले पहले से ही बता देंगे कि कहां आतंकी खतरा है। अपना देश सुरक्षित हो जाएगा। इससे बढ़िया क्या बात होगी।
श्याम मानव ने बताया कि बचपन में तांत्रिकों ने उनका भी भूत उतारा था। वे भी सिद्धि प्राप्त करने के लिए बाबाओं का जूठन खाते थे, लेकिन जब उन्हें पता लगा कि ये सब झूठ है, तो उन्होंने इसके खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया। 28 साल की उम्र में ही श्याम मानव ने अंग्रेजी के लेक्चरर की नौकरी छोड़कर अंध श्रद्धा के खिलाफ काम शुरू कर दिया।
अब उनकी उम्र 71 साल है, लेकिन अपने काम में पूरी ताकत से लगे हैं। बहुत जोर देकर कहते हैं कि बागेश्वर सरकार के दिव्य दरबार में चमत्कार के नाम पर ठगी हो रही है। वे भक्तों को धमकाते हैं कि जिस लड़की को होटल लेकर गए थे, उसका नाम उजागर कर देंगे। शिकायत पर अब तक कार्रवाई नहीं होने के सवाल पर कहते हैं कि महाराष्ट्र के गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस बागेश्वर की रामकथा में गए थे, इसलिए पुलिस खुद ही प्रेशर में आ गई और एक्शन नहीं लिया।
श्याम मानव ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कई सवालों के खुलकर जवाब दिए
सवाल: बागेश्वर सरकार को पाखंडी क्यों कहते हैं आप?
जवाब: मैंने पाखंडी शब्द का उपयोग नहीं किया। मैं कहता हूं कि धीरेंद्र शास्त्री ठगी करते हैं और अंधविश्वास फैलाते हैं। नागपुर में उनकी रामकथा का 5 से 13 जनवरी तक आयोजन हुआ था। मैं 2 जनवरी को इंडियन साइंस कांग्रेस में हिस्सा लेने मुंबई से आया था। मेरी पहली प्रतिक्रिया यही थी कि रामकथा पर मुझे कोई आपत्ति नहीं है। मैं खुद अपने संस्कार शिविरों में बच्चों को रामकथा सुनाता था।
नागपुर को हम पोल खोल शहर कहते हैं। यहां जो भी चमत्कार के दावे करता है, उसकी हम पोल खोलते रहे हैं। उनको भगाते हैं या फिर जेल भेजते हैं।
यूट्यूब पर काफी वीडियो उनके उपलब्ध हैं। हमारी टीम ने 40 से 50 वीडियो खंगाले। हमारे ध्यान में आया कि इसमें कानून का उल्लंघन हो रहा है। फिर हमने उन वीडियो से ऐसे प्रमाण निकाले, जिसमें कानून का उल्लंघन हो रहा है। उसका शब्दांकन तैयार किया। बाद में उस वीडियो के फुटेज सहित 8 जनवरी को पुलिस को मैंने शिकायत की।
8 तारीख तक इसलिए रुके क्योंकि उसी दिन दिव्य दरबार था। जब तक नागपुर में दिव्य दरबार नहीं लगता, तब तक हमारी शिकायत का कोई मतलब नहीं था। महाराष्ट्र में जादू टोना विरोधी कानून 2013 में बना है। इस कानून का हर शब्द मैंने फाइनल किया है। सभी पार्टियों ने इस कानून का समर्थन किया था। हर पार्टी के प्रमुख को समझाने के लिए मैं खुद उन तक पहुंचा था। महाराष्ट्र में सभी पार्टियों की सहमति से ये कानून बना। तब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस थे। उन्हीं के कार्यकाल में हर जिले में पुलिस अधिकारियों को इस कानून का प्रशिक्षण दिया गया।
मैंने खुद इस कानून के तहत लिखित फॉर्मेट में शिकायत दर्ज की। शिकायत दर्ज करने का अधिकार मुझे नहीं होता है, ये अधिकार उस विजिलेंस अधिकारी को होता है। उनकी जिम्मेदारी है कि उनके कार्याधिकार क्षेत्र में ऐसी कोई घटना न घटे। यदि घटी तो खुद शिकायत दर्ज कर आगे की कार्रवाई पूरी करे।
हमने धीरेंद्र शास्त्री के जो वीडियो पेश किए हैं, उस पर ये कानून 100 फीसदी लागू होता है।
जादू टोना विरोधी कानून के क्रियान्वयन के लिए 2014 में एक समिति गठित हुई। इसका सह अध्यक्ष मैं हूं। सामाजिक न्याय मंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं। महाराष्ट्र में यह विभाग मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास है, इस नाते वे खुद इस समिति के अध्यक्ष हैं। इसी विभाग के राज्यमंत्री इस समिति के उपाध्यक्ष होते हैं। कई विभागों के सचिव इसमें शामिल होते हैं।
सवाल: क्या दिव्य दरबार पर भी जादू टोना कानून लागू होता है?
जवाब: बिल्कुल। कई वीडियोज पर ये कानून लागू होता है।
सवाल: आपने शिकायत की है, फिर एक्शन क्यों नहीं हुआ?
जवाब: मैनें 8 तारीख को शिकायत की है। जब 8 तारीख को दिव्य दरबार लगा, इसके बाद फिर शिकायत की, लेकिन अब तक इस कानून के तहत कोई एक्शन हुआ या नहीं हुआ, इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है।
सवाल: क्यों नहीं हो पा रहा है लागू?
जवाब: क्योंकि पुलिस ने अब तक FIR दर्ज नहीं की है।
सवाल: FIR दर्ज क्यों नहीं की?
जवाब: उन्हें मेरी शिकायत पर तत्काल एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी। अब तक नहीं की गई है। इसमें शायद पॉलिटिकल प्रेशर काम कर रहा है। ये दो तरह का हो सकता है। पुलिस को शायद ऐसा लग रहा है देवेंद्र फडणवीस खुद गृहमंत्री हैं। वे खुद गए थे रामकथा में, इसलिए पुलिस खुद ही प्रेशर में आ गई और एक्शन नहीं ले रही है। अधिकारी गुडबुक में रहने की कोशिश करते हैं, ये भी हो सकता है।
वास्तविकता क्या है ये मुझे तब पता चलेगा जब मैं शासन के पास जाऊंगा। कोई अगर शिकायत दर्ज नहीं हुई तो मैं कारण पूछूंगा। उन्हें लिखित में बताना होगा कि क्यों शिकायत दर्ज नहीं हुई। कारण पता चलेगा तो फिर मैं समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास पूरे केस को लेकर जाऊंगा। इसके बाद कारण पता चलेगा तो मैं गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलूंगा। पूछूंगा कि जब इन वीडियो में स्पष्ट है कि कानून लागू होता है तो फिर पुलिस ने एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की।
सवाल: आपने उन्हें चुनौती किस आधार पर दी है?
जवाब: धीरेंद्र शास्त्री भक्त का नाम अपने आप पहचानते हैं, ऐसा उनका दावा है। पिताजी का नाम पहचानते हैं। उम्र पहचानते हैं। मोबाइल नंबर पहचानते हैं। किसी के साथ प्रेम संबंध है तो वो लड़की कौन है, उस लड़की को लेकर कौनसे होटल में गए थे? उसका मोबाइल नंबर क्या है, मैं उजागर कर दूंगा, ये कहते हैं। इसका मतलब कि वे मोबाइल नंबर भी जानते हैं।
उन्होंने भक्तों के सामने ये भी दावा किया है कि किस आलमारी में क्या रखा है? ये भी वे बता सकते हैं। उसी के आधार पर हमने एक चुनौती प्रक्रिया शुरू की। हमने ऐसे दावों को शामिल किया, जिनकी जांच की जा सकती है। जैसे आज के जमाने में मेरा नाम क्या है, श्याम राव है कि श्याम है। मोबाइल के मामले में भी आज के जमाने में कोई अचरज की बात नहीं है। आपका जो रजिस्टर्ड नंबर होगा, वही कहेंगे महाराज। ऐसी बातें 100 फीसदी जांची जा सकती है।
पास के रूम में 10 चीजें रखेंगे, वो चीजें कौनसी हैं, ये महाराज को पहचानना है। ये प्रक्रिया पत्रकारों के सामने होगी, लेकिन उन्हें निर्णय लेने का अधिकार नहीं होगा।
सवाल: धीरेंद्र शास्त्री आपको रायपुर बुला रहे थे क्यों नहीं गए आप?
जवाब: मैंने ये चुनौती उन्हें नागपुर में दी है। रायपुर में नहीं। वो नागपुर नहीं आते तो चुनौती नहीं देता। नागपुर पोल खोल शहर है, इसलिए चुनौती दी गई। मैं उन्हें उनके धाम में जाकर चुनौती देने वाला नहीं था। देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री हैं, उनके ही लोगों ने आयोजन किया था।
उन्हें यहां 100 फीसदी प्रोटेक्शन मिलेगा। उनकी दिव्य शक्ति सिद्ध होगी तो हम उनसे माफी मांगेंगे। पैरों पर माथा टेकेंगे। अपना काम हमेशा के लिए बंद कर देंगे।
सीधी बात है कि ये सब बच्चों का खेल थोड़े ही है कि आप रायपुर आ जाओ। आप पत्रकारों के सामने कोई चमत्कार का दावा करो तो आप थोड़े ही पहचान पाओगे। उसके लिए अनुभव जरूरी है। ट्रेंड आंखें जरूरी हैं। लोगों को भभूती और चैन मिलना बड़ा चमत्कार लगता है। ये भी ध्यान देने की बात है।
नागपुर में दिव्य दरबार में जो प्रसंग हुआ उसे समझिए। वो एक भक्त से पूछते हैं तुम्हारे पिताजी का नाम क्या है? वो कहता है शंकरलाल। फिर महाराज शुरू करते हैं कि तुम्हारे पिताजी का नाम शंकरलाल है, इस पर्ची में हमने पहले ही लिख दिया है। बाद में कहते हैं कि माइक में कहो ये सब सच है न। नहीं तो तुम्हारे सारे कांड खोल देंगे।
अब बाकी लोगों को लगता है कि महाराज ने सब पहचान लिया। मेरे दिमाग में सवाल खड़ा होता है कि शंकरलाल नाम पूछने की क्या आवश्यकता है? भक्त आया, बोलना शुरू किया।
जानकारी कैसे निकाली जाती है, इसके लिए मैंने कई बाबाओं को प्रमाण के साथ एक्सपोज किया है, इसलिए कह रहा हूं कि ये जानकारी प्राप्त करने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं। हम कह रहे हैं कि वैज्ञानिक प्रक्रिया के तहत ही ये चुनौती स्वीकार की जाएगी। उससे पहले ये भी देखा जाएगा कि महाराज को किसी भी तरह की जानकारी प्राप्त न हो। न पत्रकारों के पास मोबाइल होंगे, न पंच कमेटी के पास, न हमारे पास। महाराज के पास एकदम से 10 आदमी खड़े किए जाएंगे, फिर महाराज एक-एक व्यक्ति का परिचय बताए।
सवाल: बागेश्वर सरकार कह रहे हैं कि श्याम मानव के गुरू ईसाई हैं, मूलत: केरल के हैं और वर्तमान में श्रीलंका में हैं, इसलिए आप इस तरह के आरोप लगा रहे हैं?
जवाब: वो बात कर रहे हैं डॉ. अब्राहम की। वो कभी के मर चुके हैं। दूसरी बात मेरे सही गुरू हैं विनोबा भावे। दूसरे गुरू हैं आचार्य दादा धर्माधिकारी, जिनके कारण मैं अंध विश्वास निर्मूलन के काम से जुड़ा हूं। तीसरे गुरू हमारे जयप्रकाश नारायण हैं। चौथे गुरू माधव वैद्य हैं। वे तरुण भारत के संस्थापक संपादक रहे। उनसे ही मैंने पत्रकारिता सीखी। वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बौद्धिक प्रमुख रह चुके हैं। पांचवें गुरू दीभा घूमरे। वे भी तरुण भारत के संपादक रहे। डॉ. अब्राहम जिनकी बात बागेश्वर सरकार कह रहे हैं, वे कभी मेरे गुरू नहीं रहे।
हमारा संगठन दुनिया का पहला ऐसा संगठन है जो कहता है कि हम धर्म और भगवान के खिलाफ नहीं है, लेकिन धर्म और भगवान के नाम पर जो शोषण होता है, ठगी होती है, उसके खिलाफ ये आंदोलन है। जब से ये आंदोलन शुरू हुआ तब से कह रहा हूं कि ये महाराष्ट्र की संत परंपरा का एक्सटेंशन है।
संत ज्ञानेश्वर, संत नामदेव, संत तुकाराम और अभी के गाड़गे महाराज और तुकड़ोजी महाराज। ये सभी बहुत ही तार्किक संत रहे हैं। समाज सुधारक रहे हैं। इंसान को इंसान बनाने की कोशिश करने वाले संत रहे हैं। अंध श्रद्धा दूर करने वाले संत रहे हैं। उन्हीं का मैं एक्सटेंशन हूं और उन्हीं का मैं काम कर रहा हूं।
सवाल: यानी आप अपने आप को संत मान रहे हैं?
जवाब: नहीं.. मैं खुद को संत नहीं मान रहा हूं। उनके कदमों पर कदम रखकर मैं ये काम कर रहा हूं। पूरी दुनिया में आप जाइए, हमारे जैसा संगठन आपको नहीं मिलेगा। केवल महाराष्ट्र के व्यक्ति को ही ये सूझ सकता है। महाराष्ट्र के व्यक्ति ने जब ये देखा होगा कि तुकाराम जी के समय से ये काम किया जा रहा है। भगवान के खिलाफ कुछ न बोलते हुए ये किया जा रहा है, तभी आप हिम्मत कर पाओगे।
सवाल: आप पर आरोप है आप सिर्फ हिंदू बाबाओं पर ही पाखंड या ठगी के आरोप लगाते हैं, दूसरे धर्म के बाबाओं में ये नहीं दिखता आपको?
जवाब: जो मेरी नीयत पर सवाल खड़े कर रहे हैं, ये उनका अज्ञान इसलिए है क्योंकि वे मेरे काम को नहीं जानते। सीधी सी बात है कि मैं खुद हिंदू हूं। महाराष्ट्र में अपने आपको हिंदू कहना इतना आसान नहीं है, क्योंकि मैं प्रोग्रेसिव परंपरा का हूं। जब मैं खुद को हिंदू कहता हूं तो बैकवर्ड बन जाता हूं। सनातनी हिंदू क्या होता है, इसे मैं अच्छी तरह से जानता हूं।
मैं हिंदू परंपरा में जन्मा हूं। उसके अंधविश्वास मैंने भुगते हैं। मैं 10 वीं क्लास में पढ़ रहा था। भूत लगा था। तांत्रिक ने निकाला था। मैं कई बाबाओं का भक्त था। उनके केवल चरण ही नहीं छूता था, उनकी जूठन भी खाता था। सेवा करता था।
मुझे चमत्कार प्राप्त करने थे। सिद्धियां प्राप्त करनी थीं। मोक्ष प्राप्त करना था। उसमें मैंने अपनी जिंदगी का बहुत समय लगाया है। इतना सब करने के बाद मुझे पता चला कि ये सब झूठा है। मेरा ही नहीं, मेरे परिवार का भी इसमें बहुत नुकसान हुआ है।
मेरे पिताजी राजनीतिक तौर पर बहुत प्रभावशाली थे। कोई भी बाबा आता तो उनके पास आता था। फिर कई सांसद और विधायक उन बाबाओं के भक्त बन जाते। मेरे पिताजी कोई अनपढ़ व्यक्ति नहीं थे। एक जमाने में वे विनोबा जी के सचिव थे। इतने पढ़े लिखे व्यक्ति भी इतने अंधविश्वास में डूबे थे। उस परिवार में मैं पला बढ़ा। जब मुझे पता चला कि से सब बातें झूठी हैं। भूत नहीं होता। चमत्कार नहीं होता। ये सब जानकर मैंने नौकरी छोड़ी और फुल टाइम इसी काम में लग गया। मैं 40 साल से इसी काम में लगा हूं।
तब मेरी भूमिका थी कि मैं जिस ढंग से ठगा गया है, वैसे मेरे भाई-बहन ठगे न जाए। देश में 80 फीसदी हिंदू हैं। मैं जो भी करूंगा तो काम तो 80 फीसदी लोगों के लिए करूंगा। इसका मतलब ये नहीं कि दूसरे धर्मों के लोग ठगी करेंगे तो उनको हम छोड़ देंगे।
हमने पादरियों को जेल भेजा है। भारत में पहली बार ऐसा हुआ कि 5 पादरियों ने नागपुर में चंगाई सभा लगाई थी। कहा जाता था कि बहरा सुनने लगता है। लंगड़ा चलने लगता है। उनको हमने जेल भेजा।
मुस्लिम तांत्रिकों के लिए तो हमें हमेशा आंदोलन करना पड़ता है। दरगाह में लोगों को तकलीफ होती है तो हम आवाज उठाते हैं। कामठी की मस्जिद में चांद तारा चमक रहा था। हमने बताया कि ये चमत्कार नहीं है। हम ऐसा वातावरण तैयार करते हैं कि इसमें धर्म के आधार पर कोई भेद न हो।
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