जबलपुर हाईकोर्ट में चल रहे 27% ओबीसी आरक्षण मामले में शिवराज सरकार ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को खड़ा किया है। अब कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील इंद्रा जयसिंह व अभिषेक मनु सिंघवी से पैरवी कराने का फैसला किया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बुधवार को दिल्ली में दोनों वरिष्ठ वकीलों से मुलाकात की।
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 20 सितंबर तय की है। कोर्ट में OBC को 27% आरक्षण देने पर स्टे ऑर्डर के जरिए लगाई गई रोक पर 1 सितंबर को अंतिम बहस हुई। कोर्ट ने फिलहाल अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया है। इस तरह फिलहाल 27% आरक्षण पर रोक बरकरार रहेगी।
कांग्रेस के प्रदेश मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा के मुताबिक कमलनाथ ने ओबीसी आरक्षण के मामले में पार्टी के वरिष्ठ नेता और वकील इंद्रा जयसिंह व अभिषेक मनु सिंघवी के साथ लंबी चर्चा की है। इसके बाद फैसला लिया गया, ओबीसी समुदाय को 27% आरक्षण का हक दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी जाएगी।
हाईकोर्ट से फैसला कब आएगा और फैसला आने के बाद क्या, वह सुप्रीम कोर्ट की दहलीज तक भी जाएगा, यह सब भविष्य की बात है। फिलहाल, प्रदेश के दोनों ही दलों खासकर कांग्रेस को इस मामले पर राजनीति करने का अवसर मिल गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ऐलान कर चुके हैं, सरकार इस समुदाय को 27% आरक्षण देना चाहती है। दूसरी तरफ, मध्य प्रदेश की तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी किया था। जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
इसलिए हो रही सियासत
प्रदेश की आबादी में 50% से ज्यादा हिस्सेदारी OBC समुदाय की है। इस समुदाय को राज्य में अभी 14% आरक्षण मिलता है, जो मंडल कमीशन की सिफारिशों से भी कम है। अब दोनों ही दल चाहते हैं, इस समुदाय को मिलने वाले आरक्षण की सीमा 27% हो जाए, लेकिन श्रेय खुद लेना चाहते हैं। फौरी तौर पर इसे आने वाले समय में प्रदेश में होने वाले विधानसभा के 3 उपचुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है, लेकिन असलियत में यह 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी से जुड़ा मामला भी है।
कांग्रेस ने की थी शुरुआत
मामले को सबसे पहले कांग्रेस ने पकड़ा था। 2018 में कमलनाथ के नेतृत्व में बनी कांग्रेस की सरकार ने 2019 में कैबिनेट में प्रस्ताव पारित कर राज्य में ओबीसी का आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% करने का फैसला किया था। बाद में राज्य विधानसभा ने इसे सर्वानुमति से मंजूरी भी दे दी थी। वह मामला आगे बढ़ता उससे पहले ही मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में बैठने वाले कुछ छात्रों ने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी और कोर्ट ने मामले पर स्टे दे दिया। तब से ही मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
BJP अध्यक्ष बोले- जब वकील करना थे, तब क्यों नहीं किए
कांग्रेस द्वारा कोर्ट में वकील खड़ा करने को लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी है। शर्मा ने कहा- जब कोर्ट में वकील खड़ा करना थे, तब क्यों नहीं किए? कमलनाथ और दिग्विजय सिंह झूठ बोलकर लोगों को गुमराह करते हैं। जब मुख्यमंत्री थे, तब तो एडवोकेट जरनल को खड़ा नहीं किया। कैविएट दायर नहीं की।
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