सिवनी के सिमरिया गांव में तीन आदिवासियों को बेरहमी से पीटा गया था। इसमें दो की मौत हो गई थी। आदिवासियों की हत्या के मामले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस मामले में राजनीति भी शुरू हो गई, लेकिन इस सबके पीछे दर्द और आंसुओं की लंबी कहानी छूट गई।
जेल भेजे गए आरोपियों में 18 साल का वेदांत भी शामिल है। वह पॉलिटेक्निक में सिविल इंजीनियरिंग के 6वें सेमेस्टर में पढ़ रहा है। उसकी बहन एमएससी कर रही है। बहन को भरोसा नहीं हो रहा है कि जिस भाई को वो छोटी-छोटी बातों पर थप्पड़ जड़ देती थी, वो अब मॉब लिंचिंग के आरोप में जेल में बंद है। ये तो हुआ एक तरफ का दर्द, लेकिन दूसरी ओर भी उतना गुस्सा है। मृतक संपत की बेटी सीमा कहती है कि मेरे पिता के हत्यारों को फांसी की सजा होनी चाहिए। उनके मकानों पर भी बुलडोजर चलाया जाना चाहिए।
वो तो अभी 19 साल का भी नहीं हुआ है…
वेदांत की बड़ी बहन सुमन कहती है कि वो पॉलिटेक्निक के 6वें सेमेस्टर में पढ़ रहा है। उस दिन वो कॉलेज से आया। उस दिन शादी थी, इसलिए वो घर से बाहर था। इसलिए वो उन लोगों के साथ चला गया। वो किसी संगठन का सदस्य नहीं है। मेरा भाई निर्दोष है। सबसे पहले अब उसका नाम आ रहा है। वो कभी ऐसी चीजों में शामिल नहीं रहा।
वेदांत की दादी सुशीला चौहान का कहना है कि बच्चे निर्दोष हैं। उन्होंने गोमांस काटने वालों को जीवित सौंपा है। वो थाने में मरे हैं, पिटाई से उनकी मौत नहीं हुई।
मॉब लिंचिंग में मारे गए संपत लाल बट्टी की बेटी सीमा बट्टी कहती हैं कि जो हमारे पापा के साथ हुआ, वो उनके साथ भी होना चाहिए। उनको फांसी होनी चाहिए। उनका घर भी गिरवाया जाना चाहिए।
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