मध्यप्रदेश भाजपा के उम्रदराज नेता सत्ता का मोह छोड़ पाएंगे या नहीं। यह तो भविष्य तय करेगा, लेकिन अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का टिकट मिलना मुश्किल लग रहा है। दरअसल, पार्टी के कई नेता BJP के 70 प्लस वाले फॉर्मूले में फिट नहीं हैं। लिहाजा उन्हें टिकट मिलने में दिक्कत आ सकती है। पार्टी इन्हें चुनावी मैदान में उतारने में हिचकिचा सकती है। हाल ही में विधानसभा के पूर्व स्पीकर सीतासरन शर्मा का एक बयान वायरल हुआ है। इसमें वे चुनाव नहीं लड़ने के सवाल पर कहते दिख रहे हैं कि वो बंद कमरे में कहते हैं।
मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, दो कैबिनेट मंत्री और पार्टी के लगभग 13 विधायक अगले साल होने वाले चुनाव के दौरान 70 वर्ष की आयु पूरी कर चुके होंगे। पार्टी ने टिकट देने के लिए एक फॉर्मूला तय कर रखा है। इसके तहत 70 साल से अधिक की उम्र के नेताओं को टिकट नहीं देने का मापदंड फिक्स है। ऐसे में PWD मंत्री गोपाल भार्गव और कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए बिसाहूलाल साहू भी टिकट के हकदार नहीं हैं। ये दोनों शिवराज सरकार की कैबिनेट में उम्रदराज मंत्री हैं। ये आगामी चुनाव में उतरने के लिए टिकट की मांग कर सकते हैं। इस मामले में आप भी अपनी राय दे सकते हैं...
पिछला चुनाव हार गए थे कई उम्रदराज नेता
कई ऐसे नेता भी हैं जो पिछले चुनाव में हार चुके हैं, लेकिन एक बार फिर अगले चुनाव के लिहाज से अपने क्षेत्रों में सक्रिय हैं। इन नेताओं में उमाशंकर गुप्ता, रामकृष्ण कुसमारिया, हिम्मत कोठारी और रुस्तम सिंह भी टिकट के लिए दावेदारी कर सकते हैं, लेकिन चुनाव तक इन सभी की आयु 70 के पार हो जाएगी। हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणामों में भी इस फॉर्मूले का गहरा असर पड़ा है। ऐसे में अब मप्र के दिग्गज नेताओं को चुनावी मैदान से बाहर होने का डर सताने लगा है। चुनाव आने पर पार्टी इनको रिटायर कर सकती है।
प्रदेश में पिछली बार 70 से अधिक उम्र वाले 9 में से चार ही जीते
राजनीतिक दल कई तरह के मापदंड तय करता है, लेकिन चुनाव आने पर किसी भी तरह से सिर्फ जीत ही मकसद होता है। ऐसे में तय किए गए मापदंड भी कई बार ब्रेक किए जाते हैं। बीजेपी का 70 का फॉर्मूला पिछले चुनाव में भी था। इसके बाद भी भाजपा-कांग्रेस ने 70 या इससे अधिक उम्र वाले 9 नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन इसमें से सिर्फ 4 को जीत मिली थी। सबसे अधिक उम्र वाले भाजपा के मोती कश्यप (78) और कांग्रेस के सरताज सिंह (78) चुनाव हार गए। भाजपा के तीन प्रत्याशी गुढ़ से नागेंद्र सिंह (76), नागौद से नागेंद्र सिंह (76) और रेगांव से जुगल किशोर बागरी (75) चुनाव जीतने में सफल रहे। कांग्रेस से सिर्फ एक प्रत्याशी कटंगी से तमलाल रघुजी सहारे (71) ही चुनाव जीतने में सफल रहे। गुढ़ विधायक नागेंद्र सिंह विधानसभा में सबसे उम्रदराज जनप्रतिनिधि बने थे। तब उनकी उम्र 76 वर्ष थी।
5 राज्यों के चुनाव में 70 प्लस का ट्रेंड
10 मार्च 2022 को जारी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव के परिणामों पर नजर डालें, तो पता चलता है कि अब देश की राजनीति में 70 से ज्यादा उम्र के नेता तेजी से कम हो रहे हैं। 5 राज्यों की 690 विधानसभा सीटों के परिणामों में 70 से ज्यादा उम्र वाले सिर्फ 19 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है।
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