सुप्रीम कोर्ट में नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव बिना OBC आरक्षण कराने के निर्देश के बाद सरकार मायूस हो गई। वो कहते हैं कि मन के जीते जीत है, मन के हारे हार…। सरकार ने भी ठान ली थी। कोशिश की और सशर्त अनुमति मिली। इसका श्रेय ‘सरकार’ को मिलना लाजिमी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खबर के बाद जब तक ‘सरकार’ एक्टिव होती, उससे पहले राज्य के कद्दावर मंत्री ने बयान जारी कर दिया। उन्होंने ‘आधी रोटी पर दाल’ ले डाली और इसके लिए मुख्यमंत्री के साथ अपना योगदान भी बता दिया।
बीजेपी ने इसे पार्टी की जीत बताकर जश्न मनाया। यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा तक मौजूद रहे, लेकिन पिछड़ा वर्ग के मंत्री नदारद रहे। सुना है कि ‘सरकार’ ने सभी को साइड लाइन कर सिर्फ एक मंत्री को आगे रखा। यही नहीं, पिछड़ा वर्ग एवं अल्प संख्यक कल्याण विभाग के मंत्री राम खिलावन पटेल भी पिक्चर से गायब रहे। बताया तो यह भी गया कि पिछड़ा वर्ग मोर्चा के अध्यक्ष भगत सिंह कुशवाहा का हाल ही में इस्तीफा ले लिया गया था। जश्न कुशवाहा भी मौजूद रहे, लेकिन अलग-थलग। वजह पूछने पर एक मंत्री की टिप्पणी- यही तो सियासत है। राजनीति में सबका साथ-सबका विकास नहीं, सबका साथ-अपना विकास चलता है।
अलसुबह अफसरों की मीटिंग कर रहे सीएम
सरकार’ चुनावी मोड में हैं। सुना है कि मैदानी कार्यक्रमों में भीड़ कम होने (गर्मी के कारण भी) से ‘सरकार’ नाराज हैं। फिर जिस तरह से साम्प्रादायिक व अपराध की बड़ी घटनाएं हो रही हैं, उससे ‘सरकार’ की इमेज को धक्का लगता दिख रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मैदानी अमले को नसीहत देने के लिए नया फंडा अपनाया है। पिछले कुछ दिनों से वे अलसुबह अफसरों की वर्चुअल मीटिंग कर रहे हैं।
इसे लेकर एक सीनियर IAS का कहना है- ‘सरकार’ अब अपनी इमेज वैल्यू में बदलाव करने की तरफ बढ़ रहे हैं। देश में शायद ही कोई मुख्यमंत्री होगा, जो सुबह 6.30 बजे अफसरों को जगाकर मीटिंग करता हो। शुरुआत उन्होंने गृह जिले में पेयजल संकट की शिकायत मिलने के बाद की। वे अब उन जिलों के कलेक्टर-एसपी से संवाद कर रहे हैं, जहां हाल में बड़ी घटनाएं हुईं। जिस तरह से सुबह की मीटिंग का रिस्पांस मिल रहा है, वे अब हर दूसरे दिन ऐसी मीटिंग करेंगे।
‘सरकार’ की शान में हुई ‘गुस्ताखी’
पिछले दिनों सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का पार्ट-2 लांच हुई। इसके लिए जोर-शोर से कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, लेकिन विभाग के एक अफसर ने अनजाने में ‘सरकार’ की शान में गुस्ताखी कर डाली। हुआ यूं कि कार्यक्रम के स्वागत भाषण देने विभाग के एक सीनियर आईएएस अफसर पहुंचे। अब वे ‘सरकार’ की तारीफ में भावनाओं में इतना बह गए कि जो घोषणाएं मुख्यमंत्री को करना थीं, वह साहब ने ही कर डाली। उन्होंने जब पहली घोषणा की, तो कलेक्टर ने पर्ची भेजकर टोका भी, लेकिन वे कहां रुकने वाले थे। फिर विभाग के डायरेक्टर ने उनके कान में जाकर कहा, तब कहीं जाकर साहब रुके। बता दें कि ये वही अफसर हैं, जिनकी मुख्यमंत्री ने उद्योगपतियों से मुलाकात के दौरान उनका परिचय कराते हुए कहा था– यह हमारे सबसे ऑनेस्ट अफसर हैं।
‘नामदार’ मंत्री बेटे को बना रहे ‘कामदार’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे के बाद बीजेपी के उन नेताओं की नींद हराम हो गई है, जो बेटे-बेटियों का भविष्य राजनीति में देख रहे हैं। उन्होंने कहा था- वंशवाद लोकतंत्र के लिए खतरा है। हमने जंग की शुरुआत की है, तो हमें भी अपने गिरेबां में झांकना होगा। इसके बाद कई नेताओं को अपने पुत्रों का राजनीतिक भविष्य खटाई में दिख रहा है, लेकिन एक मंत्री ने अपने बेटे की मार्केटिंग तेज कर दी है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके साथ अब बेटा भी नजर आने लगा है। OBC आरक्षण में कानूनी जीत के बाद मंत्री के साथ बेटा भी बीजेपी दफ्तर पहुंचा। यही नहीं, गृह जिले के जन्मदिन के उत्सव की बागडोर भी मंत्री पुत्र ने संभाली। सुना है कि मंत्रीजी अपने बेटे को ‘कामदार’ बना रहे हैं।
और अंत में..
इंटरव्यू ऐसे लिया जैसे सरकारी नौकरी ....
अफसरों ने एक फुल्की वाले की दाढ़ी कटवा दी। दरअसल, मुख्यमंत्री से सरकारी योजना का लाभ लेने वालों का संवाद होना था। मामला बड़वानी का है। प्रशासन ने इसके लिए एक फुल्की बेचने वाले को सिलेक्ट किया। कहते हैं कि इलाके में वह ‘पप्पू फुल्की वाले’ नाम से फेमस है। ट्रेनिंग के लिए तहसीलदार के दफ्तर बुलाया गया। वह दुकान बंद कर पहुुंचा भी, लेकिन साहब गायब थे। करीब दो घंटे इंतजार करना पड़ा। इसके बाद SDM साहब से परिचय कराया।
अब साहब ने भी ‘पप्पू फुल्की वाले’ का इंटरव्यू ऐसे लिया, जैसे कि वह सरकारी नौकरी के लिए जा रहा हो। साहब ने उसे पूरे एटीकेट्स बता डाले। कौन से कपड़े पहनने हैं। बैठना कैसे है। मुख्यमंत्री सवाल करेंगे, तो उत्तर क्या देना है। वगैरह-वगैरह। साथ ही, कहा गया- अपनी दाढ़ी कटवा लो, लेकिन उसने मना कर दिया। तहसीलदार ने समझाया कि मुख्यमंत्री से बात करने का मौका मिल रहा है। दाढ़ी तो फिर आ जाएगी। बाकायदा एक अफसर उसके साथ सैलून गया और दाढ़ी कटवा दी। इस पूरे ऐपिसोड में उसकी दुकान चार दिन तक बंद रही। मुख्यमंत्री से उसका संवाद हो गया, लेकिन कार्यक्रम के बाद उसने कान पकड़ लिए। कहा- अब ऐसे कार्यक्रम में शामिल नहीं होऊंगा।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.