मध्यप्रदेश में स्ट्रीट डॉग्स अनकंट्रोल हो गए हैं। भोपाल में बुधवार को 7 साल की मासूम बच्ची की आंख कुत्ते ने नोंच दी। प्रदेश के सबसे बड़े हमीदिया हॉस्पिटल में रात में ही बच्ची का ऑपरेशन हुआ। बच्ची खतरे से बाहर है, लेकिन उसकी आंख की रोशनी आएगी या नहीं, इस पर डॉक्टर भी कुछ नहीं बता पा रहे हैं। पिछले आठ महीने में भोपाल में तीन बड़े हादसे हुए और तीनों में कुत्तों ने बच्चियों को शिकार बनाया। मध्यप्रदेश में एक दिन में कुत्ते काटने के औसत 180 मामले सामने आ रहे हैं। इनमें भोपाल के 30 से 40 केस हैं।
बुधवार की शाम बांसखेड़ी कोलार में रहने वाली 7 साल की सुहानी को कुत्ते ने नोंच दिया। परिजन और पड़ोसी उसे एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल में लेकर दौड़ लगाते रहे। आखिर रात में उसे हमीदिया हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। रात में डॉक्टरों ने बच्ची का ऑपरेशन किया। आंख की पलक पूरी तरह से डैमेज हो गई है। मामले में मंत्री-महापौर से लेकर जिला प्रशासन और नगर निगम भी हरकत में आ गया। रात में ही कुत्तों को पकड़ने के लिए निगम की टीम पहुंची और जिस कुत्ते ने बच्ची को काटा, उसे पकड़कर ले गई। महापौर मालती राय ने शहर में जल्द ही एनिमल बर्थ सेंटर बनाने और आवारा कुत्तों को पकड़ने की कार्रवाई करने की बात कही है।
आठ महीने पहले हो चुका बवाल, हाईकोर्ट भी सख्त
कुत्तों के काटने को लेकर आठ महीने पहले 1 जनवरी 2022 को भोपाल में बवाल हो चुका है। बागसेवनिया इलाके में 4 साल की बच्ची पर आवारा कुत्तों ने हमला किया था। मानव अधिकार आयोग भी हरकत में आया। आयोग ने निगम कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी थी। वहीं, हाईकोर्ट भी सख्त हुआ था। इसके बाद सरकार से लेकर जिला प्रशासन-नगर निगम तक सब हरकत में आए। सीएम शिवराज सिंह चौहान कलेक्टर-कमिश्नर पर भड़के थे तो सांसद मेनका गांधी तक भी मामला पहुंचा था। इसके बाद निगम ने कार्रवाई की, लेकिन बाद में वह सुस्त हो गई।
भोपाल में ही कुत्तों पर 7 करोड़ रुपए खर्च
भोपाल में कुत्तों की नसबंदी पर करीब साढ़े 5 साल में 7 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। इस दौरान एक लाख 5 हजार से ज्यादा कुत्तों की नसबंदी की गई। बावजूद इनका कुनबा बढ़ रहा है। गेहूंखेड़ा, कोलार, अवधपुरी, बाग मुगालिया, बागसेवनिया, जहांगीराबाद, एमपी नगर, तलैया, शाहपुरा, माता मंदिर क्षेत्र, पंचशील नगर समेत कई इलाकों में कुत्तों के शिकार के मामले भी बढ़ गए हैं। रोजाना निगम अधिकारियों तक शिकायतें भी पहुंच रही हैं।
विधानसभा में उठ चुका है मामला
प्रदेश में अवारा कुत्तों की नसबंदी का मामला मार्च-21 में विधानसभा में गूंजा था। BJP विधायक यशपाल सिसौदिया ने सवाल करते हुए कहा था कि प्रदेश में आवारा कुत्तों का आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसे लेकर सरकार क्या रही है? इस पर नगरीय प्रशासन ने जवाब दिया था कि सरकार प्रदेश के 5 बड़े शहरों में पिछले पांच साल में आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने के लिए नसबंदी पर 17 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। विधायक ने एनजीओ पर सवाल उठाए थे। इंदौर और भोपाल में नसबंदी पर सबसे ज्यादा 14 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने की जानकारी दी गई थी।
एमपी में कुत्तों के हमले बढ़े
प्रदेश में आवारा कुत्तों के हमलों से हर साल हजारों लोग घायल हो रहे हैं। एक दिन में एवरेज 180 मामले सामने आते हैं। आंकड़ों पर बात करें तो बीते सात साल मप्र में आवारा कुत्तों की संख्या में करीब दो लाख की संख्या में कमी आई है। साल 2012 में एमपी में 12 लाख 8 हजार 539 आवारा कुत्ते थे। सात साल में यानी, 2019 में इनकी संख्या घटकर एक लाख 9 हजार 96 बची है। सात साल में आवारा कुत्तों की संख्या में करीब 17% की कमी आई है। ये इसी महीने अगस्त में विधानसभा में दी गई थी। हालांकि, वर्ष 2020, 2021 और 2022 में अब तक कुत्तों की संख्या बढ़ी है।
भोपाल के ये तीन बड़े मामले
4 साल की बच्ची को कुत्तों ने नोंचा
1 जनवरी को बाग सेवनिया इलाके में आवारा कुत्तों ने 4 साल की बच्ची गुड्डी को नोंच दिया था। बच्ची के सिर, कान और हाथ में गहरे घाव हुए थे। चेहरे के साथ ही पेट, कमर और कंधे पर भी चोट लगी थी। उसके पिता राजेश बंसल कवर्ड कैंपस में निर्माणाधीन मकान में मजदूरी करते थे, जो अब चले गए। बच्ची का कई दिन तक इलाज चलता रहा। फिर वह ठीक हो गई।
आज भी सहमी रहती है बच्ची
'26 फरवरी का वो दिन कभी नहीं भूल पाएंगे। 6 साल की बेटी निमिशा घर के बाहर खेल रही थी। तभी 3-4 कुत्तों ने उसे नोंच दिया था। कुत्तों ने बिटिया को जमीन पर गिरा दिया और काटने लगे थे। तभी पड़ोसियों और परिजनों ने दौड़कर निमिशा को बचाया। कुत्तों का शिकार बनने के बाद निमिशा को गहरे घाव हो गए, जो अब खत्म तो हो गए, लेकिन बिटिया अब भी सहमी रहती है।' यह कहना है ई-6 वर्धमान ग्रीन पार्क के पास अशोका गार्डन में रहने वाले आशीष वर्मा का। उन्होंने बताया, वो दिन कभी नहीं भूल पाएंगे, लेकिन कुत्तों की समस्या अब तक खत्म नहीं हुई। कॉलोनी और घर के आसपास कुत्तों के झुंड मंडराते रहते हैं। नगर निगम को शिकायत की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। ऐसे में बच्चों का ध्यान रखना पड़ता है।
दौड़कर बचाई जान बच्ची की जान
17 अगस्त को बांसखेड़ी कोलार में 7 साल की सुहानी को कुत्ते ने नोंच दिया। लोगों ने दौड़कर उसकी जान बचाई। यहां रहने वाली समाजसेविका नीलम मिश्रा सुहानी को हॉस्पिटल लेकर गईं। उन्होंने बताया कि, कुत्ते के हमले से सुहानी का चेहरा लहूलुहान हो गया। पहले जेके हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। फिर हमीदिया लाए। रात में ही ऑपरेशन हुआ। अब उसकी हालत ठीक है, लेकिन आंख की रोशनी आएगी या नहीं, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।
कुत्तों के काटने की ये वजह भी: एक्सपर्ट
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के रिटायर्ड SDO रमाकांत दीक्षित बताते हैं कि जानवर इंसानों की तरह प्रेम, नाराजगी जैसे भावों को भली प्रकार से समझते हैं। एनिमल बाइट के केसेज की सबसे बड़ी वजह इरिटेशन (खीझना) होती है। जानवरों की नाराजगी के कई कारण हो सकते हैं जैसे ज्यादा गर्मी, पानी और भोजन की कमी। जानवरों के प्रति स्थानीय रहवासियों का गलत व्यवहार भी एनिमल्स में इरिटेशन बढ़ा देता है। अलग-अलग जिलों में इनके इरिटेशन पर शोध किया जाना चाहिए, तभी सही निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है।
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