सिवनी में हाल ही में गोमांस की तस्करी के आरोप में तीन आदिवासियों की मॉब लिंचिंग हुई थी। इस वारदात में दो लोगों धानशा और संपत की मौत हो गई थी, वहीं एक शख्स जिंदा बच गया था। मारपीट में जिंदा बचे शख्स बृजेश बट्टी से दैनिक भास्कर ने बात कर जाना कि उस रात वहां क्या हुआ था। बृजेश ने बताया कि उस रात वहां क्या हुआ था...
मैं उस रात अपने परिवार के साथ सोया हुआ था। रात के करीब 2 बजे होंगे। अचानक मेरे कानों में आवाज गूंजी– मारो.. मारो..। बजरंग दल वालों ने मुझे पकड़कर बाहर खींच लिया। घर में मेरी मां और छोटी बहन भी थीं। वो 20 से 25 लोग थे। मेरे परिवार वालों ने मुझे बचाने की कोशिश भी की, लेकिन वो मुझे लात-घूंसे और डंडों से मारते रहे। पहले भीतर ही दो थप्पड़ मारे। कह रहे थे कि हम बजरंग दल के आदमी हैं। कहने लगे कि तुमने गो हत्या की है। मुझे उस बारे में कुछ पता नहीं था।
वो हमको मारते पीटते हुए पुलिस के पास ला रहे थे, तभी गांव के कुछ लोगों ने उनसे कहा कि यदि रास्ते में इनको कुछ हो गया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? उन्हीं में से किसी व्यक्ति ने पुलिस को फोन किया। एक-डेढ़ घंटे बाद पुलिस आई। पुलिस हम तीनों को ले गई। संपत और धानशा को बहुत मारा था, मुझे उनसे कम मार पड़ी थी। उनको पहले भी मारा था, फिर मारते-पीटते हुए उन्हें हमारे घर तक भी लाए थे।
नहीं पता गोमांस रखने का आरोप क्यों लगाया
ये बजरंग दल वालों की ही कोई चाल रही होगी। मुझे नहीं पता कि मुझ पर गोमांस रखने का झूठा आरोप किसने लगाया। गाय का मांस होता तो वो मुझे दिखाते।
धानशा और संपत चौकी में उतरने की हालत में नहीं थे
बृजेश ने बताया कि उपद्रवियों ने धानशा और संपत की इतनी पिटाई की थी कि वो गाड़ी में ठीक ढंग से बैठ पाने की स्थिति में भी नहीं थे। वो पहले ही अधमरे वो चुके थे। वो बादलपारा पुलिस चौकी में उतर भी नहीं पा रहे थे। यहां से फिर उन्हें उरई अस्पताल ले गए। यहां सुबह 8 बजे पता लगा कि पहले धानशा और 10 मिनट बाद संपत की भी मौत हो गई।
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