भोपाल दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी स्ट्रोक मारा है। उन्होंने अपने भाषण में अघोषित रूप से 2024 के चुनावों का आगाज कर दिया। पीएम आदिवासियों को ‘राम’ से जोड़कर आने वाले चुनाव का एजेंडा भी सेट कर गए। उन्होंने कहा कि वनवासियों के संग बिताए समय ने राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनने में योगदान दिया।
जंबूरी मैदान पर सोमवार को जनजातीय गौरव सम्मेलन में 33 मिनट के भाषण के दौरान पीएम ने केंद्र की कई योजनाएं गिनाईं। पिछली सरकारों पर आरोप लगाते हुए विपक्ष पर भी हमला बोला। उन्होंने आदिवासी समुदाय को यह बताने की कोशिश की कि भारत की सांस्कृतिक यात्रा और आजादी की अलख जगाने में उनकी अग्रणी भूमिका रही, लेकिन पिछली सरकारों ने स्वार्थ भरी राजनीति को ही प्राथमिकता दी। आने वाले चुनावों में आदिवासियों के बीच जाने के लिए बीजेपी के मुद्दे क्या होंगे? इसके संकेत भी उन्होंने दे दिए हैं।
राम और आदिवासियों को इस तरह जोड़ा
प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीराम के जीवन में आदिवासियों को कितना महत्व था? मोदी ने आदिवासियों के योगदान को राम से जोड़ते हुए कहा कि भारत की सांस्कृतिक यात्रा में जनजातीय समाज का योगदान अटूट रहा है। जनजातीय समाज के योगदान के बिना प्रभुराम के जीवन में सफलताओं की कल्पना नहीं की जा सकती। वनवासियों के साथ बिताए समय ने एक राजकुमार को मर्यादा पुरुषोत्तम राम बनाने में योगदान दिया। उस कालखंड में श्रीराम ने वनवासी परंपरा, रहन-सहन जीवन जीने के तौर तरीके से प्रेरणा पाई है।
कांग्रेस पर ऐसे किया प्रहार
पीएम मोदी ने आदिवासियों के इस योगदान को छिपाने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। मोदी ने कहा कि आजाद भारत में जनजातीय योगदान के बारे में बताया ही नहीं गया। उसे अंधेरे में रखने की कोशिश की गई। बताया गया भी गया तो सीमित दायरे में। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि दशकों तक जिन्होंने देश में सरकार चलाई, उन्होंने स्वार्थ भरी राजनीति को ही प्राथमिकता दी। देश की आबादी का करीब 10% होने के बाद भी दशकों तक आदिवासियों के सामर्थ्य को नजरअंदाज किया गया। आदिवासियों का दुख उनकी तकलीफ उनके लिए मायने नहीं रखता था।
क्या बीजेपी इसे मुद्दा बनाएगी?
प्रधानमंत्री ने आदिवासियों के इतिहास को छिपाने का आरोप कांग्रेस पर लगाकर संकेत दे दिए कि आगामी चुनावों में बीजेपी के आदिवासियों को साधने के लिए क्या मुद्दे होंगे? उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को उचित महत्व न देकर पहले की सरकारों ने जो अपराध किया है, उस पर लगातार बोला जाना आवश्यक है। हर मंच पर चर्चा जरूरी है। मोदी के भाषण के इस हिस्से से साफ है कि जातीय समीकरण में आदिवासी बीजेपी की प्राथमिकता में आएगा। इसकी शुरुआत भोपाल रेलवे स्टेशन का नाम गोंड रानी कमलापति के नाम किए जाने से हो गई है।
आदिवासियों को कांग्रेस का वोट बैंक बताया
प्रधानमंत्री ने आदिवासियों के पिछड़ेपन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि मैंने दशकों पहले जब सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की थी, तभी से देखता आया हूं कि देश में कुछ राजनीतिक दलों ने विकास और सुविधाओं से आदिवासी समाज को वंचित रखा। अभाव बनाए रखते हुए चुनावों में उन्हीं अभाव के नाम पर बार-बार वोट मांगे गए। जनजातीय समाज के लिए जो करना चाहिए था, जितना करना चाहिए था, ये नहीं कर पाए। समाज को असहाय छोड़ दिया।
बताया.. कैसे बीजेपी ही हमदर्द है
मोदी ने यह भी समझाने की कोशिश की कि बीजेपी ही आदिवासियों की हमदर्द है। इस समाज का उत्थान केवल बीजेपी ही कर सकती है। उन्होंने कहा कि मैंने गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद आदिवासियों के लिए कई प्रयास किए थे। जब 2014 में देश की सेवा का मौका मिला तो जनजातीय समाज के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा। इस दौरान प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार की योजनाएं गिनाईं।
गांधी के समकक्ष बिरसा मुंडा?
प्रधानमंत्री ने यह बताने की कोशिश की कि जिस तरह देश में महात्मा गांधी का सम्मान है, उसी तरह अब बिरसा मुंडा (आदिवासी जिसे भगवान मानते हैं) को दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम इस संकल्प को फिर दोहरा रहे हैं कि जैसे हम गांधी जयंती मनाते हैं, सरदार पटेल, डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती मनाते हैं, वैसे ही 15 नवंबर को अमर शहीद बिरसा मुंडा की जयंती हर साल जनजातीय गौरव दिवस के रूप में देश में मनाई जाएगी।
सम्मेलन की टाइमिंग भी अहम
जनजातीय सम्मेलन की टाइमिंग भी महत्वपूर्ण है। कुछ महीने बाद प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनाव 2023 के अंत में होने हैं। यानी विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी के लिए पंचायत चुनाव ही एकमात्र मौका है, जब वह आदिवासियों के रुख का आकलन कर सकती है। अपनी रणनीति में बदलाव कर सकती है, इसलिए आदिवासियों को साधने की रणनीति पर अभी से काम शुरू हो गया है।
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