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घरेलू क्रिकेट का नया बादशाह मध्यप्रदेश:88 साल में पहली बार रणजी हमारी, मुंबई को 6 विकेट से धूल चटाई; मिलेंगे 4 करोड़ रुपए

भोपाल9 महीने पहलेलेखक: अनूप दुबे

मध्यप्रदेश क्रिकेट टीम ने इतिहास रचते हुए रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट जीत लिया। फाइनल में उसने मुंबई की टीम को बुरी तरह हराया। 88 साल के रणजी इतिहास में यह पहला मौका है, जब ट्रॉफी मध्यप्रदेश आएगी। 23 साल पहले भी हम फाइनल में पहुंचे थे, लेकिन कर्नाटक से हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि इस बार मध्यप्रदेश की टीम ने मुंबई को 6 विकेट से हराकर ट्रॉफी जीत ली। मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड शुभम शर्मा को दिया गया। उन्होंने पहली पारी में 116 रन बनाए थे, वहीं दूसरी पारी में 30 रन का योगदान दिया। उन्हें 25 हजार रुपए का चेक दिया गया। वहीं मैन ऑफ द सीरीज का अवॉर्ड मुंबई के सरफराज खान को मिला।

मुंबई की जिस टीम को मध्यप्रदेश के लड़कों ने मात दी, वो इंटरनेशनल और IPL प्लेयर्स से सजी थी। 8 प्लेयर इंटरनेशनल तो 1 प्लेयर IPL खेल चुक है, जबकि हमारे यहां का कोई भी प्लेयर इंटरनेशनल लेवल पर कभी नहीं खेला। सिर्फ दो खिलाड़ी ही आईपीएल खेले। मुंबई के प्लेयर्स की औसत उम्र 25 से कम है, MP के प्लेयर्स 25+ हैं, यानी मुंबई के पास प्लेयर्स जरूर बड़े लेवल के हों, लेकिन अनुभव अपना काम कर गया।

अंतिम समय में ऐसे बढ़ती गईं धड़कनें

पहला विकेट 2 रन पर यश दुबे (1), दूसरा विकेट 54 रन पर हिमांशु मंत्री (37), तीसरा विकेट 66 रन पर पार्थ सैनी (5), चौथा विकेट 101 रन पर शुभम शर्मा (30)। रजत पाटीदार 30 रन और आदित्य श्रीवास्तव 1 रन बनाकर नाबाद रहे।

विजेता टीम पर हुई इनाम की बारिश

MPCA सचिव संजीव राव ने बताया कि रणजी ट्रॉफी जितने के बाद एसोसिएशन की ओर से टीम को दो करोड़ रुपए दिए जाएंगे। साथ ही BCCI की ओर से भी बतौर प्राइज मनी टीम को दो करोड़ की राशि टीम को मिलेगी। यह घोषणा बेंगलुरु में रणजी ट्रॉफी जीतने के बाद स्टेज पर ही कही गई।

यह सब करना आसान नहीं था: कप्तान टीम एमपी

"पूरी तरह से उत्साहित हूं। हम बेहद भावुक हैं। कप्तान के रूप में यह मेरा पहला साल था। मैंने जो कुछ सीखा है वह चंद्रकांत सर से है। मैं इसे जारी रखना चाहता हूं। यह बहुत ही शानदार है। अच्छा महसूस हो रहा है। यह सब करना आसान नहीं था।"
- आदित्य श्रीवास्तव, कप्तान एमपी टीम

एमपी ने अच्छा खेला: कप्तान टीम मुंबई

"लड़कों ने जिस तरह से खेला है, वह अविश्वसनीय था। टीम में बहुत सारे नए लोग थे। एमपी ने अच्छा खेला। मैं अधिक समय तक बल्लेबाजी कर सकता था। इस साल नहीं, लेकिन निश्चित रूप से अगले साल हम जीतेंगे। सरफराज, मुलानी, पारकर, अरमान जाफर ने अच्छा खेला। वे टीम का भविष्य हैं।"
-पृथ्वी शॉ, कप्तान, मुंबई टीम

ट्रॉफी जीतने के बाद टीम मध्यप्रदेश।
ट्रॉफी जीतने के बाद टीम मध्यप्रदेश।

मैच डे टू डे...
पहला दिन : मध्यप्रदेश ने मुंबई के 248 रन पर 5 विकेट झटके।
दूसरा दिन : मुंबई 374 रन पर ऑल आउट, मध्यप्रदेश ने दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक 123/1 रन बनाए।
तीसरा दिन : मध्यप्रदेश ने पूरा दिन बल्लेबाजी की। दो विकेट खोकर 368 रन का स्कोर किया। शुभम और यश ने शतक लगाए।
चौथ दिन : मध्यप्रदेश के लिए रजत पटीदार ने शतक बनाया। मध्यप्रदेश ने पहली पारी में 536 रन बनाकर 162 रन की बढ़त ली।
पांचवां दिन : मुंबई को 269 पर ऑल आउट किया। मध्यप्रदेश ने 6 विकेट से मैच जीत लिया।

टीम MP को मिली 2 करोड़ से ज्यादा प्राइज मनी

मध्यप्रदेश को विजेता बनने के साथ ही 2 करोड़ से ज्यादा की प्राइज मनी मिली। फाइनल खेलने वाले प्रत्येक खिलाड़ी को बतौर मैच फीस 1.75 लाख रुपए मिलेंगे। लीग से सेमीफाइनल तक के मैचों के लिए प्रत्येक खिलाड़ी को मैच फीस के रूप में प्रति मैच 1.60 लाख रुपए मिले। फाइनल के लिए प्रत्येक खिलाड़ी को प्रतिदिन 35 हजार रुपए मैच फीस दी जाती है। लीग और सेमीफाइनल मैच 4 दिन के होते हैं। इनमें खिलाड़ियों को प्रत्येक दिन 40 हजार रुपए मैच फीस मिलती है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दी बधाई

प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करते हुए मध्यप्रदेश की टीम को बधाई दी। उन्होंने लिखा, 'रणजी ट्रॉफी 2022 फाइनल मैच में अपने अद्भुत और अद्वितीय खेल से मध्यप्रदेश की टीम ने न केवल शानदार जीत प्राप्त की है, बल्कि लोगों का हृदय भी जीत लिया।' साथ ही सीएम ने कहा कि मध्यप्रदेश की टीम का भव्य स्वागत किया जाएगा, उनका नागरिक अभिनंदन होगा।

कमलनाथ ने भी टीम को बधाई दी

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एसोसिएशन ने कोच को दिया था फ्री हैंड

मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष अभिलाष खांडेकर कहते हैं कि हमने चंदू पंडित को फ्री हैंड दिया। चयनकर्ताओं को फ्री हैंड दिया। इसी का नतीजा है कि 23 साल बाद हमने ये इतिहास रचा। कोच चंदू पंडित की कैप्टनशिप में इसी मैदान में 23 साल पहले टीम मध्यप्रदेश रणजी का फाइनल हारी थी। अब चंदू पंडित की मेंटरशिप में इस बार पुरानी गलतियों से सबक लेते हुए हमने फाइनल मुकाबला जीत लिया।

फाइनल तक का मध्यप्रदेश का सफर;

पहला मैच
गुजरात को 106 रन से हराया
मध्यप्रदेश : 274 और 251
गुजरात : 331 और 88

दूसरा मैच
मेघालय को पारी और 301 रन से हराया
मेघालय : 61/137
एमपी : 499/6 विकेट पर पारी घोषित

तीसरा मैच
केरल से ड्रॉ खेला
एमपी : 585/9 पारी घोषित
केरल : 432/9

चौथा मैच
पंजाब को 10 विकेट से हराया
पंजाब : 219/203
एमपी : 397/26 विकेट पर पारी घोषित

पांचवां मैच
बंगाल को 174 रन से हराया
बंगाल : 219/203
एमपी : 397/26 विकेट पर पारी घोषित

फाइनल
मुंबई को 6 विकेट से हराया
मुंबई : 374 और 268 रन
मध्यप्रदेश : 536 रन और 108/4

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महाराजा रणजीत सिंह के नाम पर रणजी ट्रॉफी
रणजी ट्रॉफी का नाम अंग्रेजों के अधीन रहे भारत में नवानगर (वर्तमान में जामनगर) स्टेट के महाराजा रणजीत सिंह के नाम पर रखा गया। वह 1907 से 1933 तक इस स्टेट के महाराजा रहे। भारत के पहले क्रिकेटर थे, जिन्हें इंग्लैंड की क्रिकेट टीम से खेलने का मौका मिला था। इंग्लैंड के लिए 1896 से 1902 के बीच 15 टेस्ट मैच खेले। यह वह दौर था जब भारत की क्रिकेट टीम नहीं हुआ करती थी। रणजीत सिंह की 1933 में मृत्यू के बाद 1934 में उनके नाम पर भारत में घरेलू टूर्नामेंट रणजी शुरू हुआ। पहला मैच 4 नवंबर 1934 को मद्रास और मैसूर के बीच चेपक के मैदान पर खेला गया। इस टूर्नामेंट के लिए पटियाला के महाराज की ओर से ट्रॉफी दान में दी गई थी।

जानते हैं प्रदेश के लिए इतिहास रचने वाले प्लेयर्स की कहानी...

डेब्यू में सारांश ने पापा से कहा था- 5 विकेट लूंगा, डॉग दिलाना
टीम MP की जीत का हिस्सा बने इंदौर के क्रिकेटर सारांश जैन (28) के पापा सुबोध जैन भी रणजी प्लेयर रहे हैं। उनके भाई सौरभ जैन ने बताया- सारांश ने 12th तक पढ़ाई की है। एक दिन पापा ने उससे पूछा- क्रिकेट में फ्यूचर बनाना है तो पढ़ाई और क्रिकेट में से एक को चुनना होगा। सारांश ने क्रिकेट चुना। 2015 में अंडर-23 में सीके नायुडू ट्रॉफी में कैप्टन बना। 2014 में पहला डेब्यू खेलने वो इंदौर से तमिलनाडु जा रहा था। तब पापा से बोला था- अगर मैंने अपने पहले डेब्यू में 5 विकेट लिए तो मुझे एक डॉग लाकर देना। मैच में सारांश ने 5 विवेट लिए। इंदौर लौटकर आने पर पापा से रुपए लिए और घर में एक लेब्राडोर डॉग लेकर आया।

कोच बोले- शुभम शर्मा मेहनती, उनकी मेहनत दिखती है
शुभम शर्मा के कोच करणसिंह शेखावत बताते हैं कि 15 साल की उम्र में शुभम उनके पास आईटीआई ग्राउंड पर समर कैम्प में आया था। मेहनती लड़का है, इसलिए उसकी मेहनत दिखती है। वैसे तो शुभम ऑलराउंडर है, लेकिन वह कवर शॉट बखूबी खेलता है। कोविड के पहले इंदौर में रणजी के मैच चल रहे थे, तब शुभम 195 पर खेल रहा था, लेकिन उसने हवा में शॉट मारा और कैच आउट हो गया। वो ऑफ ब्रेक बॉलर है। उसकी बॉलिंग में भी अब सुधार आया है।

सबसे छोटे अक्षत ने 3 साल की उम्र में थामा बल्ला

अशोकनगर के रहने वाले 18 साल के अक्षत रघुवंशी। टीम में सबसे छोटे और युवा खिलाड़ी हैं। अक्षत के पिता केपी रघुवंशी बताते हैं कि अक्षत ने तीन साल की उम्र में बल्ला थामा। पहले तो उसे घर में ही क्रिकेट खिलाते रहे, लेकिन 5 साल की उम्र आते-आते अक्षत गली-मोहल्ले में रबर की गेंद से चौके-छक्के लगाने लगा। 9 साल की उम्र में ही अक्षत ने अंडर-14 में अशोकनगर को फाइनल में जितवाया। अशोकनगर में क्रिकेट के लिए ज्यादा संभावना नहीं होने से पिता उसे इंदौर ले आए। इसके बाद शुरू हुआ अक्षत का प्रोफेशनल क्रिकेट का सफर।

कोरोना ने तोड़ा, लेकिन हौसले नहीं टूटे

टीम के हरफनमौला खिलाड़ी अनुभव अग्रवाल मूलत: बुंदेलखंड के छतरपुर के रहने वाले हैं। उन्होंने पहली पारी में 3 विकेट लिए। माता-पिता काफी समय पहले भोपाल आ गए थे। पिता ने कोलार में शूज की शॉप खोली। अब तब कुछ ठीक था। अनुभव ने छोटी उम्र में खेलना शुरू किया, लेकिन 14 साल की उम्र में प्रोफेशनल क्रिकेट की तरफ रुख किया। नेशनल क्रिकेट कोचिंग सेंटर में खेलना शुरू किया। कोच भुवन शुक्ला ने बताया कि अनुभव पहले से ही प्रतिभाशाली हैं, लेकिन उसका चयन नहीं हो पाता था।

उसकी तेज गेंदबाजी में काफी धार थी। एमपी टीम में चयन होने के बाद वह चोटिल हो गया था। 6 महीने के लिए वह मैदान से दूर हो गया। उसके बाद उसने सीनियर टीम में वापसी की। कोरोना के दौरान उसके पिता का कारोबार बंद हो गया। फिर वे वापस छतरपुर चले गए। अब यहां वह बहन के साथ किराए के मकान में रहता है। मां जरूर बीच-बीच में भोपाल में आती रहती हैं। वे 15 दिन बेटा-बेटी और 15 दिन छतरपुर में रहती हैं।

डिवीजन तक बदलना पड़ा

मध्यप्रदेश के लिए शतक जड़ने वाले यश दुबे का सफर भी आसान नहीं रहा। अच्छा खेलने के बाद भी उन्हें भोपाल की टीम से खेलने का मौका नहीं मिला। ऐसे में यश ने होशंगाबाद का रुख किया। वहां से सिलेक्ट होने के बाद डिवीजन खेले। अब वे एमपी टीम में हैं। यश सीजन में सबसे ज्यादा रन बनाने वालों में देश में तीसरे नंबर पर हैं।

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