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मध्य प्रदेश में रविवार 31 जनवरी को जन्म से 5 साल तक के 1 करोड़ 14 लाख बच्चों को पल्स पोलियो की दवा पिलाई जाएगी। पहले दिन पोलियो की दवा बूथ स्तर पर पिलाई जाएगी। इसके बाद दो दिन तक हेल्थ वर्कर घर-घर जाकर बच्चों को पोलियो की दवा पिलाएंगे। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंडों पर भी टीम तैनात की जाएगी। पहले 17 जनवरी को पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान रखा गया था। इसी बीच कोरोना टीकाकरण शुरू होने के कारण इसे टाल दिया गया था। पिछले साल 19 जनवरी को भी यह अभियान प्रदेश में चलाया गया था। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार भारत के कुछ पड़ोसी देशों में पल्स पोलियो के मरीज अभी भी मिल रहे हैं। यही वजह है कि मध्य प्रदेश समेत देशभर में पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान चलाना पड़ रहा है। साल में यह अभियान एक बार चलाया जाता है। जब तक पड़ोसी देशों से पोलियो खत्म नहीं होगा। भारत में इसी तरह से पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान चलाना पड़ेगा। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने बताया कि इस साल कोरोना संक्रमण के डर के चलते हो सकता है बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने के लिए के लिए कम लोग आएं। ऐसे में हेल्थ वर्कर्स को पहले से ही अभिभावकों को समझाइश देने के लिए कहा गया है। पहले दिन बूथ पर नहीं आने वाले बच्चों को घर में जाकर दवा पिलाई जाएगी। कोरोना के चलते दूसरे राज्यों से आए लोगों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिससे वह छूट न सकें। जिन समुदायों में टीकाकरण के प्रति विरोध है वहां जनप्रतिनिधियों के माध्यम से उन्हें प्रेरित किया जाएगा। देश में पल्स पोलियो अभियान की शुरुआत 3 दिसंबर 1995 को हुई थी। 25 साल होने पर मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग इस वर्ष सिल्वर जुबली मना रहा है। इसमें हर गांव में पहली बार पोलियो दवा पीने वालों में 3 से 5 लोगों को ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है। वे घर घर जाकर बता रहे हैं कि टीकाकरण कितना जरूरी है और वह खुद पोलियो पीने के बाद पोलियो की बीमारी से कैसे बचे हुए हैं।
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