नौतपा के पहले ही दिन मध्यप्रदेश में रोहिणी गल गई। इस दौरान प्रदेश के कई शहरों में रुक-रुककर बारिश हो रही है। निवाड़ी और भिंड में जिले के कुछ हिस्सों में बारिश के साथ ओले भी गिरे। यहां बुधवार दोपहर करीब सवा 2 बजे जिले में अचानक से मौसम में बदलाव आया। निवाड़ी के नेगुवा में बेर के बराबर, वहीं पृथ्वीपुर और आसपास के क्षेत्र में चने और मटर के आकार के ओले गिरे हैं। ओरछा में करीब 10 मिनट, पृथ्वीपुर और नेगुवा में करीब 20 मिनट तक बारिश हुई। भिंड के मिहोना, लहार में आधे घंटे तक तेज बारिश हुई। वहीं, अमायन और ईंगई क्षेत्र में ओले भे गिरे।
सागर, रीवा में दोपहर होते-होते तेज हवा के साथ पानी गिरा। छिंदवाड़ा में भी हल्की बूंदाबांदी हुई। होशंगाबाद में रात को बारिश हुई। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक वेद प्रकाश सिंह ने बताया कि दो दिन तक तापमान में मामूली बढ़ोतरी हो सकती है। दिन का पारा 40 डिग्री के आसपास रह सकता है।
नया सिस्टम 27-28 मई से एक्टिव हो जाएगा। इसके बाद फिर प्रदेशभर में बारिश का दौर शुरू होगा। ग्वालियर, चंबल, जबलपुर, रीवा, सागर और उसके आसपास इलाकों में हल्की बारिश हो सकती है। इंदौर को अभी प्री-मानसून की बारिश के लिए कम से कम एक सप्ताह का इंतजार करना होगा।
क्या होता है रोहिणी का गलना?
ज्येष्ठ माह में सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों के लिए भ्रमण करने लगता है, तब शुरुआती 9 दिन नौतपा रहता है। रोहिणी नक्षत्र में जाने पर सूर्य की तपन कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। रोहिणी के दौरान अगर बारिश होती है तो इसे आम भाषा में रोहिणी का गलना कहा जाता है। साथ ही कहा जाता है कि अगर रोहिणी नक्षत्र में 9 दिन के अंतराल में बारिश ना हो तो उस वर्ष बारिश अधिक होती है।
तीन सिस्टम ने चलाई तेज हवाएं
अभी जम्मू-कश्मीर में एक सिस्टम बना हुआ है। राजस्थान से अरब सागर तक ट्रफ लाइन बनी हुई है। झारखंड के ऊपर चक्रवाती घेरा होने के कारण ग्वालियर-चंबल, सागर, जबलपुर, रीवा और सतना में तेज हवाएं चलीं। इसी के चलते जबलपुर में आंधी-बारिश से पेड़ उखड़ गए। सतना में मकान का छज्जा गिरने से एक राहगीर इसके चपेट में आ गया। वहीं पेड़ के नीचे दबने से 2 लड़कियों की मौत हो गई थी। कई इलाकों से पेड़ उखड़ने की सूचनाएं भी आईं। जबलपुर के भेड़ाघाट में भी बड़ा हादसा होने से टल गया।
अब छत्तीसगढ़ से बारिश आएगी
27 से नया सिस्टम बन रहा है। इससे प्रदेश में फिर से बादल आने शुरू हो जाएंगे। इस बार बारिश छत्तीसगढ़ से सटे इलाकों में होगी। पहले शहडोल, सागर, जबलपुर, नर्मदापुरम और भोपाल के कुछ इलाकों में होगी। इस बार भी बारिश की मेहरबानी पूर्वी मध्यप्रदेश यानी जबलपुर-चंबल, बुंदेलखंड, बघेलखंड और जबलपुर में रहेगी। इंदौर को अभी करीब एक सप्ताह और राहत की बूंदों का इंतजार करना पड़ सकता है।
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