दिवाली पर श्री रामराजा दरबार को रोशनी और फूलों से सजाया गया है। दर्शन के लिए श्रद्धालु सुबह से हाथ में फूल, माला, प्रसादी और दीपक लेकर कतारों में लगे दिखाई दिए। प्रशासन ने भीड़ को देखते हुए सुरक्षा इंतजाम किए हैं।
बुंदेलखंड की अयोध्या यानी निवाड़ी जिले के ओरछा में दीपोत्सव पर्व की अलग ही धूम रहती है। भक्तों का मंदिर में आने का सिलसिला सुबह से ही शुरू हो गया है। मंदिर में फूल, रंगीन रोशनी और बंदनवारों से आकर्षक साज सज्जा की गई है। श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए प्रशासन ने भी मंदिर परिसर में सुरक्षा व्यवस्था के पूर्ण इंतजाम किए हैं।
बेतवा नदी किनारे स्थित इस नगरी में भगवान श्री रामराजा की तरह पूजे जाते हैं। अपने राजा के दर्शन के लिए श्रद्धालु सुबह से हाथ में फूल, माला, प्रसादी और दीपक लेकर कतारों में लगे दिखाई दिए। श्रद्धालु रामराजा सरकार के आंगनमें दीप प्रज्ज्वलित कर रहे हैं। भगवान के दर्शन करने के बाद घर में दीपावली की पूजा और आतिशबाजी करेंगे। दीप प्रज्वलन के लिए जिले समेत बाहर से भक्त आए हैं।
भक्तों से राजा और प्रजा का संबंध
श्री रामराजा मंदिर परिसर, मां जानकी मंदिर, चतुर्भुज मंदिर, हरदौल बैठका, लक्ष्मीजी मंदिर सहित सभी देवालयों में भक्तों ने दीप जलाए। यह देश का एकमात्र मंदिर ऐसा है, जहां पर राजा के रूप में रामराजा सरकार को तीनों समय सशस्त्र सलामी दी जाती है। भगवान यहां भव्य मंदिर को छोड़कर रसोई घर में विराजे हैं।
माता लक्ष्मी से की सुख-समृद्धि की कामना
रामराजा सरकार के दर्शन करने के बाद भक्तों ने लक्ष्मी मंदिर की तरफ रुख किया। यहां दीपक जलाकर माता से परिवार की सुख समृद्धि मांगी। मां जानकी मंदिर में शेषनाग के उपर भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मीजी की अद्भुत प्रतिमा भी विराजमान है। यही कारण है कि जानकी मंदिर में हर दीपावली पर भक्तों द्वारा भक्ति के साथ सुख-संपत्ति की प्राप्ति के लिए दीप प्रज्ज्वलित किए।
मोनिया नृत्य का आकर्षण
दीपोत्सव के बाद अगले दिन मंदिर में मोनिया नृत्य की परंपरा है। बुंदेलखंड के ग्रामीण खरीफ की अच्छी फसल होने की खुशी और रबी की अच्छी फसल होने की कामना लेकर दीपावली पर गांवों से टोलियां बनाकर निकलते हैं। 12 धार्मिक स्थलों पर पहुंचकर नृत्य करते हैं। नृत्य करने वाली टोली के सभी ग्रामीण मौन व्रत रखते हैं। बारह धार्मिक स्थलों पर नृत्य करने के बाद अपने घर पहुंचकर मौन व्रत खोलते हैं।
ओरछा के रामराजा दरबार में खुशहाली के लिए नृत्य की यह अनूठी परंपरा सैकड़ों वर्षों से जीवंत है। इस बार नरक चौदस से ही यहां मोनिया नृत्य करने वाली टोलियां पहुंचने लगीं। भक्तों ने मंदिर के बाहर परिसर में नृत्य कर रामराजा सरकार की भक्ति की।
विलुप्त हो रहा मोनिया नृत्य
मोनिया नृत्य का स्वरूप सांस्कृतिक के साथ युद्ध कौशल से भी जुड़ा है। इस नृत्य में एक दर्जन लोग गोला बनाकर खड़े होते हैं। बीच में एक व्यक्ति खड़ा होता है। इन सभी के हाथ में लाठियां होती हैं। गोले के बीच में अकेले खड़े व्यक्ति पर लोग गीत व ढोल नगड़िया की थाप की लय पर लाठियां बरसाते हैं।
यह लोक नृत्य युद्ध कला कौशल व लोक संगीत का समन्वित स्वरूप है। इसमें चरवाहों की लाठियां दीपावली गीत व ढोल नगड़िया की लय युद्ध कला के साथ संगीत की रोमांचकारी लय पैदा करती है। अब यह नृत्य धीरे-धीरे विलुप्त हो रहा है।
अब जानिए राम राजा की नगरी ओरछा की कहानी
एक ऐसा मंदिर जहां राम विराजे ही नहीं
रानी का संदेश मिलते ही राजा मधुकर शाह ने राम राजा के विग्रह को स्थापित करने के लिए चतुर्भुज मंदिर बनवाना शुरू किया। रानी की राम के प्रति लगन को देखते हुए इस तरह मंदिर बनवाया जा रहा था कि रानी सुबह जैसे ही अपनी आंखें खोलें शयन कक्ष से ही उन्हें राम के दर्शन हो जाएं।
रानी संवत 1631 चैत्र शुक्ल नवमी को ओरछा पहुंचीं। मंदिर का निर्माण कार्य उस समय अंतिम चरणों में था। रानी ने राम लला की मूर्ति अपने महल की रसोई में रख दी। यह निश्चित हुआ कि शुभ मुहूर्त में मूर्ति को चतुर्भुज मंदिर में रखकर इसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। मंदिर तैयार हुआ, मुहूर्त भी निकला, लेकिन राम के इस विग्रह ने चतुर्भुज जाने से मना कर दिया।
ओरछा में अतिथि को नहीं देते गार्ड ऑफ ऑनर
राम स्वयं राजा थे और ओरछा जाने की पूर्व शर्त भी यही थी, इसलिए भगवान राम के यहां स्थापित होते ही मधुकर शाह अपना राज छोड़ कर टीकमगढ़ चले गए। ओरछा के सरकार यानी राजा के रूप में ख्यात हुए भगवान राम। ओरछा में भगवान राम राजा के रूप में विराजमान हैं, इसलिए ओरछा परिकोटा के अंदर आने वाले किसी भी विशिष्ट या अतिविशिष्ट व्यक्ति को पुलिस गार्ड ऑफ ऑनर नहीं देती। देश के प्रधानमंत्री से लेकर कई अतिविशिष्ट व्यक्ति कई बार ओरछा आए, लेकिन उन्हें सलामी नहीं दी गई। ओरछा के राम राजा सरकार के सामने, प्रजा मान सभी लोग नतमस्तक होते हैं।
इंदिरा गांधी काे भी करना पड़ा था इंतजार
31 मार्च 1984 में ओरछा के पास सातार नदी के तट पर चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ओरछा पहुंची थीं। वे मंदिर में दर्शन करने पहुंची, लेकिन दोपहर के 12 बज चुके थे। भगवान को भोग लग रहा था। पुजारी ने पट गिरा दिए थे। अफसरों ने पट खुलवाने की बात कही। इंदिरा गांधी को नियमों की जानकारी दी। वे करीब 30 मिनट इंतजार करती रहीं। इसके बाद रामराजा सरकार के दर्शन कर सकीं।
रामनवमी पर 5 लाख दीयों से जगमग हुई रामराजा सरकार की नगरी
बुंदेलखंड की अयोध्या यानी ओरछा में इस साल अप्रैल में रामनवमी पर दीपावली जैसा नजारा देखने को मिला था। यहां भगवान श्रीराम के जन्म महोत्सव को लेकर 5 लाख दीपक जलाए गए थे। 10 मिनट में 4500 वॉलंटियर्स ने इन दीयों को जलाया। ओरछा में 6 जगह यह दीये जलाए गए। कार्यक्रम में शामिल होने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश के पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर, निवाड़ी जिले के प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव भी पहुंचे। यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह ने कंचना घाट पर महाआरती की। पूरी खबर पढ़ें
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.