इन दिनों नर्मदा नदी किनारे स्थित गांवों के ग्रामीणों ने बारिश से पहले अवैध रूप से नर्मदा रेत का स्टॉक करना शुरू कर दिया है। अभी ग्रामीण स्टॉक करके रख रहे हैं, बारिश में पानी गिरने के बाद रेत महंगे दामों पर बेचकर अच्छा मुनाफा कमाएंगे।
ग्रामीणों के पास न तो रेत के स्टॉक करने की लीगल अनुमति है न ही रेत उत्खनन की अनुमति,बावजूद इसके ग्रामीण बेफिक्री के साथ नर्मदा से उत्खनन कर अवैध स्टॉक कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार अभी एक ट्राली 1500 से 2हजार रुपए ट्राली बिक रही है। बारिश के दौरान यही ट्राली 4 से 5 हजार रुपए में बिकेगी।
खास बात यह है कि अफसरों को इस बात की जानकारी हाेने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिससे जहां नर्मदा का स्वरुप बिगड़ रहा है तो वहीं बेतहाशा उत्खनन से बाढ़ के हालत भी बनते हैं इसके अलावा शासन को रायल्टी से मिलने वाले राजस्व का नुकसान भी हो रहा है बावजूद इसके कार्रवाई न होना समझ से परे हैं।
यहां सबसे ज्यादा उत्खनन, प्रशासन नहीं कर रहा कार्रवाई
क्षेत्र के पतई घाट सोकलपुर, रिछावर घाट, नयाखेड़ा घाट, थालादिघावन, गौरखपुर, डुंगरिया करहैया, अलीवाड़ा, गहलावन, खेरे पिपरिया में प्रतिदिन ग्रामीण बेफिक्री के साथ रेत का स्टॉक कर रहे हैं। समाजसेवियों द्वारा उत्खनन प्रशासन को जानकारी देने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है। ग्रामीणों ने बताया कि अफसर भी उत्खनन करने वाले माफियाओं से लेनदेन करके छोड़ देते हैं जबकि ओवरलोड ट्रालियों के कारण सड़कें क्षतिग्रस्त हो रही है।
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