जिस तरह से जल संकट के समय टैंकरों से शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के रहवासियों को पानी पलब्ध कराया जाता है। ठीक उसी तर्ज पर वन विभाग द्वारा भी वन्य प्राणियों को टैंकरों के माध्यम से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके लिए जगह-जगह सीमेंट कांक्रीट के हौज बनाया गया हैं।
इन हौज में टैंकरों के माध्यम से पानी भरा जा रहा है। जिससे वन्य प्राणियों को पानी के लिए जंगलों से बाहर न जाना पड़े और उन्हें पानी आसानी से उपलब्ध हो जाए। रायसेन रेंज में अमरावद बीट के आरएएफ 379 सौसर और दूसरे स्थानों पर हौज बनवाकर जाकर उनमें पानी भरा जा रहा है।
पानी की कमी से वन्य प्राणी नगर और गांवों की तरफ भी कर लेते हैं रुख
जंगलों में जलस्रोत सूख जाने के बाद वन्य प्राणी नगर और गांवों की तरफ रुख कर लेते हैं। ऐसे में वन्य प्राणियों और रहवासियों को दोनों को ही नुकसान पहुंचने की समस्या खड़ी हो जाती है। इस स्थिति से बचने के लिए इस तरह के प्रयास किए जाते हैं कि वन्य प्राणियों को पानी के लिए जंगलों से बाहर न जाना पड़े और उन्हें गर्मी के दिनों में भी जंगलों में ही पानी उपलब्ध हो जाए।
जलस्रोत सूखने के कारण वन्यजीवों पर भी मंडरा रहा संकट
गर्मी के दिनों में जंगलों में नदी, पोखर और दूसरे जल स्त्रोत सूख जाते हैं। इससे हिरण, तेंदुए, बाघ, नील गाय, जंगली सुअर सहित अन्य वन्य प्राणियों के सामने में पानी के पानी की उपलब्ध नहीं बचती। इससे वे पानी के लिए परेशान होकर दूर-दूर तक जाने लगते हैं। इस स्थिति में भी यदि पानी नहीं मिलता तो पानी की कमी और हीट स्ट्रोक से उनकी मौत तक हो सकती है। यही बात वन विभाग की चिंता का कारण बन जाती है।
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