न्यायालय परिसर में आगामी लाेक अदालत और बाल श्रम व बंधुआ मजदूरों के उत्थान को लेकर जागरुकता शिविर आयोजित किया गया,जिसमें तहसील विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष अतुल यादव ने मौजूद लोगों के लिए संबोधित किया। शिविर में न्यायाधीश यादव ने बताया कि बालश्रम और बंधुआ मजदूरी एक सामजिक समस्या बनती जा रही है। कलम पकड़ने की आयु में जब बच्चों को कुची, औजार, पकड़ाए जाते हैं, तो किस प्रकार बाल मन कुंठित होकर उनके भविष्य पर प्रभाव पड़ता है। इस समस्या का मूल कारण गरीबी और शिक्षा का अभाव भी है।
इसे दूर करना बेहद जरूरी है। कार्यक्रम में बैनर, पेम्पलेट के माध्यम से बालश्रम,बंधुआ मजदूरी नालसा गरीबी उन्मूलन योजना के प्रभावी क्रियान्वयन एवं 14 मई को आयोजित होने वाली नेशनल लाेक अदालत के संबंध में विधिक जागरूकता शिविर जागरूक किया गया।
इस संबंध में बाल श्रम निषेध व नियमन कानून 1986 पर भी बताया गया की किस प्रकार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का ऐसे कार्य में नियोजित करना निषिद्व हैं,जहां बच्चों के जीवन और स्वास्थ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो बच्चों के बचपन का अधिकार सुरक्षित करना,बाल श्रम खत्म करना और शिक्षा का सभी को उपलब्ध कराया जाना यह भी प्रक्रिया के हिस्से हैं,और हमारे संविधान में भी मौलिक अधिकारों के रूप में प्रदान किए गए। इस दौरान अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष शेलेन्द्र श्रीवास्तव, दीपेश समैया, एसएम लुकमान, जीएस रघुवंशी, राजपाल सिंह सौलंकी, प्रिंस राठोर, रामेश्वर साहू और सतीश चौरसिया मौजूद रहे।
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