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कॉलोनाइजर एवं उद्याेगपति भूपेंद्र डांगी ने गुरुवार को एक बयान जारी किया। इसमें बताया कि मैंने वर्ष 2006 में यूनियन बैंक से 20 हजार लिमिट वाला क्रेडिट कार्ड लिया था। इसे 2008 में संपूर्ण बकाया के साथ वापस जमा करवा दिया।
ये कार्ड बंद हो गया। इसके 12 साल बाद 2020 में मुझे बैंक डिफाल्टर बताते हुए सिबिल खराब कर दी और फिर 2 लाख 27 हजार 151 रुपए का बकाया बताते हुए ये राशि जमा करने का नोटिस भेज दिया। इसके बाद हमने शाखा में आपत्ति दर्ज करते हुए क्रेडिट कार्ड का ब्योरा मांगा लेकिन नहीं दिया। केवल जनवरी 2020 की स्थिति का बकाया का स्टेटमेंट भेज दिया। ये राशि लेट फीस सर्विस चार्ज के नाम पर बकाया बताई जबकि नियम ये है कि तय लिमिट से ज्यादा बकाया होने पर बैंक द्वारा कार्डधारक को नोटिस दिया जाता है।
मुझे कोई नोटिस नहीं दिया गया। फिर बैंक ने एक नया कारनामा ये कर दिया कि 20 नवंबर 2020 को उसी क्रेडिट कार्ड पर सिर्फ 33 हजार 759 रुपए बकाया होने का नोटिस भेज दिया। जब हम 2008 में ही सारा बकाया जमा कर चुके और बाद में अलग से कोई राशि जमा नहीं की तो फिर 2 लाख 27 हजार से बकाया घटकर 33 हजार 759 कैसे हो गया। इन सभी बिंदुओं को लेकर एडवोकेट चंद्रप्रकाश रामनानी के मार्फत जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद पेश किया है। इसमें न्याय की गुहार लगाते हुए बैंक सिबिल सही करवाने की मांग की है।
पॉजिटिव- आपकी सकारात्मक और संतुलित सोच द्वारा कुछ समय से चल रही परेशानियों का हल निकलेगा। आप एक नई ऊर्जा के साथ अपने कार्यों के प्रति ध्यान केंद्रित कर पाएंगे। अगर किसी कोर्ट केस संबंधी कार्यवाही चल र...
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