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दुनिया में ना किसी मंत्र से ना तंत्र से, ना जप से ना तप से, परमात्मा यदि मिलता है तो महात्मा के बताए मार्ग से। महात्मा रास्ता बताता है तो परमात्मा से मिलने का रास्ता आसान हो जाता है। ईश्वर है लेकिन दिखाई नहीं देते। अमूमन हर व्यक्ति इसी में उलझा रहता है। वस्तुत: विश्वास ही परमात्मा है। यह बात अयोध्या स्वामी संतश्री वल्लभाचार्य महाराज ने गुरुवार को पोरवाल धर्मशाला में रामकथा में कही। उन्होंने भगवान राम के जन्म से लेकर वन प्रसंग सुनाया। माता कैकयी ने श्रीराम को चौदह साल के लिए वन जाने का वचन मांगा था और वे आज्ञा का पालन कर वनवास काटकर वापस भी लौटे। आज माताएं पुत्रों को विदेश पढ़ने भेजती हैं।
परिजन प्रसन होते हैं लेकिन बच्चे वापस नहीं आते। वे वहां जाने के बाद अपने संस्कार भूल जाते हैं। श्रीराम वनवास पर गए लेकिन उनके आदर्श उनके संस्कार आज हम सबके प्रेरणा स्रोत हैं। संतश्री ने कहा कि अयोध्या मंे श्रीराम मंदिर बन रहा है, वह भगवत प्रेरणा से बन रहा है। रामकथा आदर्श कथा है, जिसमें जीवन जीने का सूत्र मिलता है। बुराइयों का नाश इस कथा के माध्यम से किया जा सकता है। इससे पहले जांगड़ा पंच पोरवाल समाज ने संतश्री को बग्घी में विराजित कर शोभायात्रा निकली। उनके स्वागत में पूरा नगर उमड़ा। शोभायात्रा बस स्टैंड स्थित रामजानकी मंदिर से निकली, जो मुख्य मार्गों से गुजरी। महिलाओं ने कलश धारण किए। विभिन्न स्थानों पर पुष्पवर्षा के कर यात्रा का स्वागत किया गया। संतश्री का शाॅल-श्रीफल व चरण वंदना कर सम्मान किया गया।
पॉजिटिव- इस समय ग्रह स्थितियां पूर्णतः अनुकूल है। सम्मानजनक स्थितियां बनेंगी। विद्यार्थियों को कैरियर संबंधी किसी समस्या का समाधान मिलने से उत्साह में वृद्धि होगी। आप अपनी किसी कमजोरी पर भी विजय हासिल...
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