10 दिन में जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की किल्लत की तस्वीर बदल गई है। पहले जहां एक-एक सिलेंडर के लिए मरीजों के परिजन संघर्ष कर रहे थे अब वहां 150 सिलेंडराें का स्टाॅक है। कोरोना की दूसरी लहर में अप्रैल-मई में 1 हजार से ज्यादा लोगों को 237 बेड पर ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ा।
मरीजों की संख्या ज्यादा होने से आइसोलेशन व नए व पुराने आईसीयू के सभी बेड फुल हो गए थे और प्रतिदिन 300 से 400 सिलेंडर की खपत हो रही थी। अब इसमें राहत मिलने लगी है। अभी भी 250 से 300 सिलेंडर आ रहे है लेकिन वर्तमान में 150 सिलेंडर बचत में हैं। फिलहाल 5-6 वाहन अल्टरनेट चल रहे हैं जो नागदा से ऑक्सीजन सिलेंडर 3 से 4 घंटे में भरकर ला रहे हैं। जिन्हें आवश्यकता लग रही है उन्हें तत्काल सिलेंडर उपलब्ध करा रहे हैं। रविवार की स्थिति अनुसार सेंट्रल लाइन से जुड़े ऑक्सीजन सपोर्ट वाले आइसोलेशन के 140 मंे से 83 और आईसीयू के 27 में 8 बेड खाली है।
इन पांच प्रमुख कारणों से माइनस से ऐसे प्लस हो गई ऑक्सीजन
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