पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
Install AppAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
खेल मैदानों की तीसरी कड़ी में हम बता रहे हैं लीड कॉलेज ग्राउंड का हाल। कॉलेज का छात्र हो, आर्मी-पुलिस की ट्रेनिंग करने वाले या रोज घूमने वाले... सभी की पहली पसंद ये ग्राउंड हैं। क्योंकि, ये शहर के बीच बना एकमात्र मैदान है।
इसके ट्रैक पर पत्थर पड़े हैं। मतगणना स्थल बनने से यहां टेंट लगाने के लिए गड्ढ़े खोद दिए गए। 2.5 लाख रुपए की हैमर थ्रो की नेट निकाल दी, जो आज तक नहीं लगाई गई है। राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को खुद ट्रैक की मरम्मत करना पड़ रही है। फुटबॉल और हॉकी के खिलाड़ी तो इस मैदान से दूर जा चुके हैं। तीन साल से विश्वविद्यालय की कोई प्रतियोगिता भी यहां नहीं हुई है।
84 से यहां होती थी सिंघाड़े की खेती
एथलेटिक्स के अंतरराष्ट्रीय कोच अमानत खान ने बताया वे 1984 से मैदान से जुड़े हैं। मैदान वाली जगह सिंघाड़े की खेती होती थी। क्रीड़ा अधिकारी बलवीरसिंह कुशवाह के कार्यकाल में मैदान बना और विश्वविद्यालयीन स्पर्धाएं होने लगीं। यहां इंटरनेशनल लेवल का 400 मीटर का 8 लेन ट्रैक है। स्पर्धाएं नहीं होने से ट्रैक का मेंटेनेंस ढंग से नहीं हो रहा है। इससे ट्रैक की हालत खराब हो गई है।
मैदान ने दिए कई खिलाड़ी
35 साल से मैदान से जुड़े कोच राकेश शर्मा ने बताया कि यहां से कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी निकले हैं। स्वाति वाड़ेकर डीएसपी रैंक पर हैं, मुकेश यादव दिल्ली सीआरपीएफ में डीएसपी हैं। यहां के खिलाड़ी गृह व रक्षा सहित कई विभागाें में हैं।
बारिश में होती है परेशानी
हैमर थ्रो की नेट दूसरी जगह लगाएंगे। ट्रैक ठीक है। मेंटेनेंस के लिए मजदूर रखा है। बारिश में परेशानी होती है। नवीनीकरण के लिए विक्रम विश्वविद्यालय से डिमांड कर चुके हैं। -संजय वाते, प्राचार्य, लीड कॉलेज, रतलाम
ये एथलेटिक्स के लिए बहुत अच्छा ग्राउंड है।1998 में यहां प्रैक्टिस करते थे। नवीनीकरण हो। हम मदद करने को तैयार हैं। -स्वाति वाड़ेकर (मुराब), डीएसपी, पीएचक्यू
पॉजिटिव- आप प्रत्येक कार्य को उचित तथा सुचारु रूप से करने में सक्षम रहेंगे। सिर्फ कोई भी कार्य करने से पहले उसकी रूपरेखा अवश्य बना लें। आपके इन गुणों की वजह से आज आपको कोई विशेष उपलब्धि भी हासिल होगी।...
Copyright © 2020-21 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.