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एक जमाने में पेयजल का मुख्य स्रोत हैंडपंप हुआ करते थे लेकिन इस आधुनिक युग और तकनीक में गांवों की तस्वीर बदली है। बदलते दौर में भले ही लोगों को शासकीय सुविधाओं से पानी नहीं मिल रहा है, लेकिन शासकीय सुविधाओं के भरोसे न बैठकर निजी ट्यूबवेल का सहारा ज्यादा मात्रा में है। गांव में 40 में से मात्र 6 हैंडपंप चालू हैं। जो केवल 48 घरों की प्यास बुझाते हैं। गांव में 523 मकान पंजीकृत हैं जहां पर इन घरों में 100 से ज्यादा निजी ट्यूबवेल हैं, लगभग 200 से ज्यादा घरों में निजी ट्यूबवेल का पानी उपयोग होता है। 275 घरों में सरकारी ट्यूबवेल से नलों से पानी जाता है। अभी केवल 40 हैंडपंपों में से केवल 6 हैंडपंप चालू बाकी के 34 हैंडपंप अनुपयोगी हो गए हैं जो 48 घरों की प्यास बुझाते हैं।
नल-जल योजना शुरू होने पर और भी उपयोगिता खत्म हो जाएगी
मलवासा के लिए नल-जल योजना प्रस्तावित है। लगभग काम समाप्ति की ओर है। जिसका लाभ 12 महीने में लोगों को मिलने लग जाएगा। ऐसे में हैंडपंप की उपयोगिता शून्य हो जाएगी। ग्रामीण रीना चौरासिया ने बताया कि आजकल शासन को गांवों में पानी की समस्या पर हैंडपंप देकर पैसे बर्बाद करने की जरूरत नहीं है क्योंकि ग्रामीण पेयजल के लिए अब हैंडपंप का इस्तेमाल नहीं करते हैं। जहां से मोटर चलती है वहां से पानी भरते हैं। ग्रामीण श्यामलाल पाटीदार ने बताया कि हैंडपंपों का उपयोग कोई नहीं करता है, क्योंकि आजकल घर-घर शौचालय होने से पानी की आवश्यकता ज्यादा पड़ती है। ऐसे में 1000 लीटर पानी की रोज आवश्यकता होती है। ऐसे में हैंडपंप का पानी इतनी मात्रा में लाना मुश्किल सा है इसलिए लोगों को ज्यादा रुचि स्वयं के निजी ट्यूबवेल पर ज्यादा हो गए हैं।
तीन मोहल्लों में ही उपयोग में लाए जा रहे हैं हैंडपंप
मलवासा सचिव श्रवण चौहान ने बताया हैंडपंप का उपयोग आजकल नाममात्र रह गया है। अभी केवल तीन मोहल्लों में 6 हैंडपंप उपयोग हो रहे हैं। बाकी हैंडपंप भी चालू हैं लेकिन लोग इनके उपयोग की जगह नलजल व ट्यूबवेल मोटर का उपयोग करते हैं।
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