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जीवन में मिली परम दुर्लभ वस्तु श्रद्धा, सम्यक दर्शन, चरित्र सब कुछ है, लेकिन ज्ञान नहीं है तो सब बेकार है। श्रद्धा पत्थर की तरह अटूट होना चाहिए। श्रद्धा अनुसार जो भी कार्य मनुष्य करता है प्रभु उसे पूरी करता है। 83.99 लाख योनियों में भटकने के बाद यह दुर्लभ मानव जीवन मिला है। इससे श्रद्धा का भाव हमेशा जागृत रहना चाहिए। यह बात दिव्यानंद जी तीर्थ (निराले बाबा) ने धर्मसभा में कही। जैन उपाश्रय में धर्मसभा में निराले बाबा ने कहा यंत्र तंत्र से नहीं आत्मा की शक्ति से ही श्रद्धा उत्पन्न होती है। सम्यक दर्शन चरित्र है किंतु ज्ञान नहीं है तो श्रद्धा उत्पन्न नहीं होती है। बिना श्रद्धा मानव जीवन पत्थर के समान है। श्रद्धा से ही प्रभु सेवा दान पुण्य मानवता का संचार है यह सब बिना ज्ञान के ही प्राप्त नहीं होता है किंतु जहां स्वार्थ होता है वहां श्रद्धा नष्ट हो जाती है। भगवान महावीर स्वामी ने यंत्र तंत्र से नहीं बल्कि आत्मचिंतन व श्रद्धा से ही संयम का कल्याण किया यही भगवान ने कहा कि आत्मचिंतन करो आत्मा में परमात्मा निवास करते हैं जो मनुष्य को शक्ति प्रदान कर श्रद्धा से जीवन को सफल बनाते हैं। चातुर्मास के लिए धामनोद में विराजित मसा नगर में रुक कर रविवार को जावरा की ओर विहार किया। वे हाटपिपलिया, ताल, आलोट होकर नागेश्वर तीर्थ (उन्हेल) पहुंचेंगे। वहां एक सप्ताह रुक कर वापस धामनोद के पास बन रहे अस्पताल निर्माण में देख रेख खेतों मैं पहुंचेंगे।
पॉजिटिव- आज समय कुछ मिला-जुला प्रभाव ला रहा है। पिछले कुछ समय से नजदीकी संबंधों के बीच चल रहे गिले-शिकवे दूर होंगे। आपकी मेहनत और प्रयास के सार्थक परिणाम सामने आएंगे। किसी धार्मिक स्थल पर जाने से आपको...
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