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रतलाम में महालक्ष्मी के खजाने वाला मंदिर:नोटों की लड़ियों, सोने-चांदी और हीरे के जेवरात से सजा दरबार, कोरोना प्रोटोकॉल में बाहर से ही दर्शन

रतलामएक वर्ष पहलेलेखक: दिव्यराज राठौर
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दिवाली के त्योहार पर रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर में कुबेर का खजाना सज गया है। इस बार भी लोगों ने यहां लाखों के नोट, सोने-चांदी के आभूषण, हीरे आदि मंदिर में चढ़ावे के रूप में रखे हैं। मान्यता है कि मंदिर में सजावट के लिए श्रद्धालु दिवाली से पहले जेवर और नकदी भेंट करते हैं। यहां इन जमा आभूषणों और नकदी से दिवाली के पांचों दिनों तक महालक्ष्मी का शृंगार किया जाता है।

इसकी प्रसिद्धि देशभर में कुबेर का खजाना के नाम से है। बीते सालों की तुलना में इस साल माता के शृंगार के लिए भक्तों ने ज्यादा चढ़ावा दिया है। हालांकि कोविड 19 के चलते भक्तों को बाहर से ही माता लक्ष्मी और कुबेर के खजाने के दर्शन करने होंगे। इस बार मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा। इसके लिए प्रशासन ने खास व्यवस्थाएं की हैं।

रियासत काल से मंदिर में धन और दौलत सजाने की परंपरा
रियासत काल में महाराजा रतन सिंह राठौर ने रतलाम शहर बसाया था। उस दौर में ही महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण किया गया था। मंदिर में तीन पीढ़ियों से सेवा दे रहे पुजारी परिवार के संजय पुजारी के अनुसार राजशाही शासनकाल में संपूर्ण धन-दौलत से माता लक्ष्मी का विशेष शृंगार दीपावली के पर्व पर किया जाता था। तब से यह परंपरा चली आ रही है।

बीच में ये परंपरा बंद हो गई थी, लेकिन पिछले 10 सालों से माता लक्ष्मी के भक्त शृंगार के लिए धन-दौलत दीपावली के 5 दिनों के लिए मंदिर में भेंट करते हैं।

मंदिर में इस तरह नोटों की गडि्डयां चढ़ाई जाती हैँ।
मंदिर में इस तरह नोटों की गडि्डयां चढ़ाई जाती हैँ।

बहीखाते में चढ़ावे का रखा जाता है हिसाब
माता लक्ष्मी के दरबार में सजने वाले कुबेर के खजाने के लिए श्रद्धालुओं की भेंट को बकायदा रजिस्टर में नाम और फोटो के साथ नोट किया जाता है। इसे दिवाली के पांचवें दिन बहीखाते के रिकॉर्ड के आधार पर भक्तों को लौटाया जाता है। माता लक्ष्मी के प्रति श्रद्धालुओं की श्रद्धा इतनी मजबूत है कि भक्त बिना संकोच के धन-दौलत माता लक्ष्मी के चरणों में समर्पित करते हैं।

माता लक्ष्मी के नाम पर आता है मनी ऑर्डर
यही नहीं, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र से भी श्रद्धालु धन-दौलत माता के दरबार में सजाने के लिए भेंट करते हैं। यही नहीं, कई श्रद्धालु चढ़ावे की राशि माता लक्ष्मी के नाम पर मनी ऑर्डर से भी भेजते हैं। यहां मनी ऑर्डर लेकर आने वाले पोस्टमैन के अनुसार दीपावली के त्योहार के समय कई श्रद्धालु मनी ऑर्डर द्वारा दरबार में चढ़ावा पहुंचाते हैं।

नोटों से बनाए वंदनवार से सजाया जाता है दरबार
महालक्ष्मी मंदिर में इस बार भी 50 रुपए से लेकर 500 रुपए तक के नोटों से खास वंदनवार बनाए गए हैं। इनसे मंदिर को सजाया गया है। दिवाली के हफ्ते भर पहले से ही श्रद्धालु मेहनत कर नोटों की लड़ियों से मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। माता के दरबार में सेवा देने के लिए स्थानीय भक्तों के साथ महाराष्ट्र और गुजरात से भी श्रद्धालु यहां खास दिवाली के लिए पहुंचते हैं।

माता के दरबार में नोटों की लड़ियां लगाकर सजाई जाती हैं।
माता के दरबार में नोटों की लड़ियां लगाकर सजाई जाती हैं।

सुरक्षा के लिए सीसीटीवी और गार्ड
महालक्ष्मी के दरबार में सजी धन-दौलत की सुरक्षा के लिए 24 घंटे एक दर्जन से ज्यादा सीसीटीवी से नजर रखी जाती है। वहीं, माणक चौक थाना पुलिस के फोर्स के अलावा अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती भी की जाती है।

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