रतलाम के सकलेचा परिवार के 3 सदस्यों ने आज सांसारिक मोह माया का त्याग कर दीक्षा ग्रहण कर ली । मुमुक्षु रत्नवल्लभाई, पत्नी वर्षा बहन एवं पुत्री केजल कुमारी ने सांसारिक मोह त्यागते हुए सांसारिक वस्तुएं और नोट चल समारोह में लुटाए। जिसके बाद आज सुबह दीक्षा कार्यक्रम की शुरुआत हुई जिसमें महाराज श्री कल्याणरत्न विजय जी के सानिध्य में तीनों ने वैराग्य धारण किया । इस दौरान केश लोचन और श्वेत वस्त्र धारण करने की प्रक्रिया के बाद तीनों दीक्षार्थी महाराज श्री के साथ अहमदाबाद के विहार पर रवाना हो गए। दीक्षा प्राप्त करने के साथ ही तीनों ने सांसारिक रिश्तो का भी त्याग कर दिया । अब वह द्वारा दिए गए नए नामों के साथ जैन संत के रूप में जाने जाएंगे।
आज सुबह से ही दीक्षार्थी रत्नवल्लभभाई, पत्नी वर्षा बहन और पुत्री केजल के दीक्षा की प्रक्रिया शुरू हो गई। महाराज श्री कल्याणरत्न विजय जी के सानिध्य में तीनों ने दीक्षार्थी के जीवन की शुरुआत की। दीक्षा के दौरान तीनों दीक्षार्थीयों मुस्कुराते चेहरे और जयघोष के नारों के बीच किसी उत्सव सा माहौल बन गया। जहां दीक्षा की प्रक्रिया के बाद महाराज श्री ने दीक्षार्थीयों का नामकरण किया। अब रत्नवल्लभ भाई सिंहसत्व विजय , वर्षा बहन साध्वी नीरतिचार और केजल कुमारी साध्वी निराभिमान के रूप में जानी जाएंगी। दीक्षाविधि पश्चात तीनों दीक्षार्थी मुनिराज श्री कल्याणरत्नविजयजी महाराज और आदीठाणा के साथ अहमदाबाद के लिए सागोद रोड से शिवगढ़, रावटी और कुशलगढ़ होते हुए विहार कर गए।
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