रतलाम नगर निगम चुनाव में प्रचार अभियान अब जोर पकड़ रहा है। महापौर पद के लिए यहां कांग्रेस और भाजपा में कड़ा मुकाबला है। रतलाम नगर निगम में पिछले 3 कार्यकाल से भाजपा के महापौर रहे हैं। लेकिन महापौर के चुनाव में प्रचार अभियान से भाजपा के ही पूर्व महापौर चेहरे गायब नजर आ रहे हैं। भाजपा के होर्डिंग और पोस्टर से पूर्व महापौर डॉ सुनीता यार्दे, आशा मौर्य और शैलेंद्र डागा के फोटो नहीं लगाए गए हैं। महापौर प्रत्याशी के मैदानी प्रचार में भी केवल पूर्व महापौर रहे शैलेंद्र डागा एक्टिव नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस नेताओं ने इसे लेकर सोशल मीडिया पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता सुजीत उपाध्याय ने सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि पिछले 15 वर्षों से भाजपा के 3 महापौर रतलाम नगर निगम में रहे हैं लेकिन महापौर के ही चुनाव में तीनों पूर्व महापौर कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। भाजपा एंटी इनकंबेंसी फैक्टर के चलते इन्हें प्रचार अभियान से दूर रखे हुए हैं। वहीं भाजपा के जिला महामंत्री प्रदीप उपाध्याय का कहना है कि यह शुरुआती प्रचार अभियान है समय आने पर पूर्व महापौर भी प्रचार अभियान और जनसंपर्क में पहुंचेंगे।
दरअसल वर्ष 2004 से नगर निगम रतलाम के महापौर पद पर भाजपा का कब्जा रहा है। जहां आशा मौर्य वर्ष 2004 , शैलेंद्र डागा वर्ष 2009 में और पिछले चुनावों में डॉ सुनीता यार्दे महापौर बनी थी। वर्तमान में जारी नगर निगम चुनाव में भाजपा विकास कार्य और सुशासन के नाम पर चुनाव लड़ रही है। लेकिन चुनाव प्रचार से भाजपा के पूर्व में रहे तीनों महापौर के गायब होने से कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया है। कांग्रेस द्वारा सोशल मीडिया पर उठाए गए सवालों में पूछा जा रहा है कि शहर में 15 सालों तक रहे भाजपा के पूर्व महापौर को एंटी इनकंबेंसी से बचने के लिए प्रचार अभियान से दूर क्यों रखा गया है। वहीं, पूर्व महापौर को लेकर पूछे गए सवाल पर भाजपा के नेता जल्दी ही पूर्व महापौर और सभी बड़े नेताओं के चुनाव प्रचार अभियान में उतरने की बात कह रहे हैं।
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