राज्य सरकार ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने का अध्यादेश पारित कर दिया है। इससे शहर की अवैध कॉलोनियां तो वैध हो जाएंगी लेकिन जिन लोगों ने अविकसित कॉलोनियों में प्लाॅट खरीद रखे हैं। उनकी समस्या आगे भी बरकरार रहेगी। वजह अविकसित कॉलोनियों के प्लाॅटों की रजिस्ट्री पर रोक नहीं हटना है। दो महीने पहले इन कॉलोनियों की रजिस्ट्री पर रोक लगाई थी जो अब तक जारी है। इससे प्राॅपर्टी के डेढ़ हजार से ज्यादा सौदे अटक गए हैं।
शहर में ज्यादातर कॉलोनियां अविकसित हैं। प्राॅपर्टी बाजार में प्लाॅट और मकान के सबसे ज्यादा सौदे इन्हीं कॉलोनियों में होते हैं लेकिन इन कॉलोनियों में दो हजार स्क्वेयर फीट से छोटे प्लाटों की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी है। इससे दो महीने से रजिस्ट्रियां रुक गई हैं। ऐसे में जिन्होंने अपने घर का सपना देखकर इन कॉलोनियों में प्लाॅट खरीदा है लेकिन रजिस्ट्री नहीं होने से उनका घर का सपना अधूरा है।
जबकि राष्ट्रीकृत बैंकें भी इन कॉलोनियों में मकान बनाने के लिए लोन मुहैया करा रही है। एक सप्ताह पहले सीएम शिवराजसिंह चौहान ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने का तो अध्यादेश पारित कर दिया लेकिन अविकसित कॉलोनियों को लेकर फैसला नहीं हो पाया है। इससे आज भी लोगों को रोक हटने का इंतजार है ताकि उनके घर का सपना पूरा हो सकें।
अवैध कॉलोनियों को वैध करने का अध्यादेश : इधर नई गाइडलाइन में यहां बढ़ेंगे भाव
इन अविकसित कॉलोनियों की रजिस्ट्री पर भले ही रोक लगा रखी है लेकिन एक अगस्त से लागू होने वाली नई गाइडलाइन में इन्हीं कॉलोनियों में 70 से 80 फीसदी तक जमीन के भाव बढ़ाने की तैयारी है। यानी भले ही रजिस्ट्री ना हो लेकिन जमीन महंगी हो जाएगी। इसकी वजह इन कॉलोनियों में महंगे दामों पर जमीनें बिकना हैं। ऐसे में इन कॉलोनियों में नई गाइडलाइन में 80 फीसदी तक रेट बढ़ाए गए हैं।
ये कॉलोनियां कहलाती हैं अविकसित
कॉलोनाइजर ने कॉलोनी काटने के लिए लाइसेंस लिया। विकास शुल्क जमा कर कॉलोनी में विकास कार्य करवाने की परमिशन भी ली। विकास कार्य का वादा कर लोगों को प्लाॅट बेचे। लेकिन विकास कार्य नहीं करवाए। ऐसी कॉलोनी अविकसित कॉलोनियां कहलाती हैं।
जिनकी पहले रजिस्ट्री व नामांतरण हुआ है कम से कम उनकी रजिस्ट्री तो हो
रतलाम जिला प्राॅपर्टी एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश पीपाड़ा ने बताया अवैध कॉलोनी और अवैध कॉलोनियों में होने वाले प्लाॅटों की रजिस्ट्री के तो हम भी खिलाफ हैं लेकिन छोटे प्लाॅटों की रजिस्ट्री पर लगी रोक तो हटना चाहिए। ऐसे प्लाॅट जिनकी पहले रजिस्ट्री हो चुकी है और नामांतरण हो चुका है, मकान बन चुके हैं। उनकी तो कम से कम रजिस्ट्री होना चाहिए।
जब पूरे प्रदेश में कहीं भी रजिस्ट्री पर रोक नहीं है तो फिर यहां क्यों रोक लगा रखी है। एडवोकेट लोकेश शर्मा ने बताया कि कम से कम रजिस्ट्री से रजिस्ट्री करने पर तो कम से कम रोक हटना चाहिए। जब बैंकें इन कॉलोनियों में मकान बनाने के लिए लोन दे रही हैं तो फिर छोटे प्लाॅटों की रजिस्ट्री पर क्यों रोक लगा रखी है। जबकि सबसे ज्यादा डिमांड इन्हीं कॉलोनियों में है। ऐसे में छोटे प्लाॅटों की रजिस्ट्री पर लगी रोक हटाना चाहिए ताकि लोग रजिस्ट्री करा सकें।
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